नयी दिल्ली, 14 दिसंबर दिल्ली पुलिस ने सोमवार को यहां एक अदालत के समक्ष आरोप लगाया कि उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगे मामले में आरोपी जेएनयू छात्रा देवांगना कलिता यह दिखाने के लिये मीडिया में “विमर्श” गढ़ रही है कि सांप्रदायिक दंगों के पीछे भाजपा नेता कपिल मिश्रा थे और अगर जांच, अभियोजन तथा देश मीडिया में जो बताया जा रहा है उसके आधार पर आगे बढ़ता रहा तो यह कानून के शासन का अंत होगा।
पुलिस ने यह दलील भी दी कि अभियोजन को गलत दिखाने के लिये आरोपी की ओर से कथित तौर पर पुलिस की निष्क्रियता का एक अन्य विमर्श गढ़ा गया।
दंगों में बृहद साजिश के मामले में कलिता की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के समक्ष पुलिस ने यह दलील दी।
कलिता के वकील अधिवक्ता अदित पुजारी ने पूर्व में मीडिया की एक खबर का संदर्भ दिया था जिसमें कहा गया था कि पुलिस की एक कथित आंतरिक रिपोर्ट के मुताबिक संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) समर्थक प्रदर्शनकारियों ने भीम आर्मी के वाहन पर हमला किया था।
पुजारी ने कहा था कि दंगे सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों द्वारा शुरू नहीं किये गए थे बल्कि कथित तौर पर मिश्रा के नेतृत्व वाले सीएए समर्थक प्रदर्शनकारियों द्वारा इसे शुरू किया गया।
पुलिस की तरफ से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने दावा किया कि आरोपी कथित तौर पर मिश्रा को दंगों के पीछे दिखाने और इसे वायरल कर लोगों को यह मनवाने के लिये यह “विमर्श” गढ़ रही है।
प्रसाद ने कहा, “पहले आरोपी ने एक विमर्श बनाया और फिर व्यापक रूप से लोगों को यह मानने के लिये तैयार किया कि आपको जो बताया जा रहा है वही सही है, जिससे लोग यह मानें कि अभियोजन एक समुदाय को निशाना बना रहा है। क्या मीडिया की यह खबरें अभियोजन का भविष्य तय करेंगी? यह नहीं हो सकता।”
उन्होंने आगे कहा कि यह विमर्श इसलिये गढ़े गए ताकि दिखाया जा सके कि पुलिस कथित तौर पर पक्षपातपूर्ण जांच कर रही है।
अदालत ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 16 दिसंबर को तय की है।
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