पुरुष, महिला एक साथ रहते हैं, तो कानून इसे विवाह जैसा मानेगा, बेटा पैतृक संपत्तियों में हिस्सा पाने का हकदार: सुप्रीम कोर्ट
By भाषा | Published: June 14, 2022 07:10 AM2022-06-14T07:10:22+5:302022-06-14T07:15:10+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने केरल के एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि कोई पुरुष और महिला लंबे समय तक साथ रहते हैं तो कानून के अनुसार इसे विवाह जैसा ही माना जायेगा। कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के फैसले को भी रद्द किया।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि यदि कोई पुरुष और महिला लंबे समय तक साथ रहते हैं तो कानून के अनुसार इसे विवाह जैसा ही माना जायेगा और उनके बेटे को पैतृक संपत्तियों में हिस्सेदारी से वंचित नहीं किया जा सकता है।
शीर्ष अदालत ने केरल उच्च न्यायालय के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि विवाह के सबूत के अभाव में एक साथ रहने वाले पुरुष और महिला का ‘‘नाजायज’’ बेटा पैतृक संपत्तियों में हिस्सा पाने का हकदार नहीं है।
न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नज़ीर और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा, ‘‘यह अच्छी तरह से स्थापित है कि अगर एक पुरुष और एक महिला पति और पत्नी के रूप में लंबे समय तक एक साथ रहते हैं, तो इसे विवाह जैसा ही माना जायेगा। इस तरह का अनुमान साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 के तहत लगाया जा सकता है।’’
केरल उच्च न्यायालय के 2009 के उस फैसले के खिलाफ एक अपील पर अदालत का यह यह निर्णय सामने आया, जिसमें एक पुरुष और महिला के बीच लंबे समय तक चले रिश्ते के बाद पैदा हुए एक व्यक्ति के वारिसों को पैतृक संपत्तियों में हिस्सा देने संबंधी निचली अदालत के आदेश को खारिज कर दिया गया था।