आईसीएचआर पोस्टर विवाद: कांग्रेस और मोदी सरकार में जंग, पूछा- शामिल क्यों नहीं है नेहरू की तस्वीर

By शीलेष शर्मा | Published: August 30, 2021 11:27 AM2021-08-30T11:27:13+5:302021-08-30T11:29:24+5:30

आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, सावरकर जैसे नेताओं के चित्रों को आईसीएचआर की पोस्टर में शामिल किया गया है, फिर जवाहर लाल नेहरू के चित्र को क्यों छोड़ा गया इस पर कांग्रेस नरेंद्र मोदी सरकार से सफाई मांग रही है।

ICHR poster controversy: Congress asked why Jawaharlal Nehru picture not included | आईसीएचआर पोस्टर विवाद: कांग्रेस और मोदी सरकार में जंग, पूछा- शामिल क्यों नहीं है नेहरू की तस्वीर

पोस्टर में जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर नहीं होने पर विवाद (फोटो- ट्विटर)

Highlightsआईसीएचआर के पोस्टर में जवाहर लाल नेहरू की तस्वीर शामिल नहीं करने पर है विवाद।देश की आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के मौके पर जारी किया गया है पोस्टर।आईसीएचआर ने सफाई दी है अभी और पोस्टर जारी होने हैं, उसमें नेहरू की तस्वीर शामिल है।

नई दिल्ली: देश की आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) द्वारा जारी किये गए पोस्टर से जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर गायब होने को लेकर कांग्रेस और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के बीच घमासान शुरू हो गया है। 

कांग्रेस का आरोप है कि प्रधानमंत्री मोदी जानबूझ कर नेहरू की प्रासंगिकता को समाप्त करने के लिए एक षड्यंत्र के तहत उनके नाम, उनकी उपलब्धियों और आजादी के आंदोलन में उनकी भूमिका को इतिहास के पन्नों से हटाना चाहते है। 

हालांकि आईसीएचआर ने सफाई दी है कि अमृत महोत्सव की पोस्टर श्रंखला का यह पहला पोस्टर है और आने वाले पोस्टरों में नेहरू का चित्र शामिल किया गया है।  

शशि थरूर समेत कई कांग्रेसी नेताओं ने बोला मोदी सरकार पर हमला 

पार्टी के सांसद शशि थरूर ने आईसीएचआर और मोदी सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि यह केवल छोटी हरकत नहीं बल्कि आजादी के आंदोलन को कमतर आंकने की कोशिश है। उन्होंने आरोप लगाया कि 'आईसीएचआर पहले भी ऐसी हरकतें कर चुका है और लगता है कि ये उसकी आदत का हिस्सा बन  चुका है।'

पूर्व केंद्रीय मंत्री शकील अहमद ने लोकमत से बातचीत करते हुए कहा कि आजादी के लिए 10 वर्ष तक पंडित नेहरू, जिन्होंने अपनी पत्नी के बीमार होने पर भी अंग्रेज़ों से छुट्टी नहीं मांगी, उनका फोटो शामिल नहीं होना सरकार की घिनौनी नीयत को दर्शाता है। हैरानी तो इस बात को लेकर है कि अंग्रेजों से माफी मांगने वाले सावरकर की तस्वीर पोस्टर पर छापी गयी है।

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जयराम रमेश का कहना था कि पोस्टर पर नेहरू का चित्र न होने पर मोदी खामोश क्यों। नेहरू का चित्र न होना आजादी के तथ्यों से खिलवाड़ है। मोदी नेहरू की विरासत को समाप्त करने पर तुले हैं, जो संभव नहीं है।  उन्होंने सलाह दी कि पीएम मोदी को दुर्भावना से ऊपर उठकर आईसीएचआर को कड़े निर्देश देने चाहिए।  

जानेमाने पत्रकार वीर संघवी ने ट्वीट किया "वह कहते हैं कि  विजेताओं द्वारा इतिहास लिखा जाता है, लेकिन आज के भारत में इतिहास मूर्खों द्वारा लिखा जा रहा है। यह साफ है कि  आईसीएचआर में किसी ने नेहरू को न ही पढ़ा और न ही समझा।"

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की टिप्पणी थी "माफ़ी माँगना संघ का चरित्र है, सावरकर ने माफ़ी मांगी, आपातकाल में संघ  कार्यकर्ताओं  ने मांगी, इन लोगों को भगत सिंह, महात्मा गाँधी, पंडित नेहरू जैसे देश भक्तों को आवश्यकता नहीं।"

पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम ने ट्वीट किया "आईसीएचआर के सदस्य सचिव का यह स्पष्टीकरण कि उनका चित्र पहले पोस्टर से क्यों छूटा, भारत की आजादी के संघर्ष में पूरी तरह ऊटपटांग है।" 

पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि  "चंद अज्ञानी लोगों की मानसिकता से न सच झूठ में बदल जाएगा, जो इतिहास रचा जा चुका है, वह मिट नहीं पायेगा, नेहरू जी आजादी के आंदोलन के अग्रणी सिपाही थे और भारत के पहले प्रधानमंत्री, जो सच स्थापित करने के लिए पर्याप्त है।"

Web Title: ICHR poster controversy: Congress asked why Jawaharlal Nehru picture not included

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