IAS Sanjeev Hans Rape Case: प्राथमिकी देर से दर्ज कराया, आईएएस संजीव हंस को राहत, पटना हाईकोर्ट ने दुष्कर्म केस को किया रद्द, जानें टाइमलाइन
By एस पी सिन्हा | Published: August 6, 2024 05:03 PM2024-08-06T17:03:02+5:302024-08-06T17:19:19+5:30
IAS Sanjeev Hans Rape Case: महिला का आरोप था कि राजद के तत्कालीन विधायक गुलाब यादव ने उसे धोखे अपने फ्लैट पर बुलाकर दुष्कर्म किया और फिर उसका वीडियो बनाया।
पटनाः पटना हाईकोर्ट ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संजीव हंस द्वारा रूपसपुर थाने में दर्ज मामले को रद्द करने संबंधी याचिका को स्वीकार करते हुए बड़ी राहत दी है। न्यायाधीश संदीप कुमार ने संजीव हंस की याचिका पर सभी पक्षों को सुनने के बाद 21 जून को निर्णय सुरक्षित रखा था, जिसे सुनाते हुए दुष्कर्म के प्राथमिकी को रद्द कर दिया। बता दें कि संजीव हंस के खिलाफ दुष्कर्म का केस बिहार के औरंगाबाद की एक महिला ने किया था। महिला का आरोप था कि राजद के तत्कालीन विधायक गुलाब यादव ने उसे धोखे अपने फ्लैट पर बुलाकर दुष्कर्म किया और फिर उसका वीडियो बनाया।
इसके बाद वीडियो के आधार पर उसको ब्लैकमेल किया गया। महिला ने आरोप लगाया था कि उसे दिल्ली और पुणे जैसे शहरों के बड़े होटलों में बुलाकर गुलाब यादव और उसके पार्टनर संजीव हंस ने दुष्कर्म किया था। दुष्कर्म के कारण उसे एक बच्चा भी हुआ है। महिला ने 2022 में पटना पुलिस में दुष्कर्म की शिकायत की थी, लेकिन पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज नहीं किया।
इसके बाद महिला ने कोर्ट में याचिका दायर कर प्राथमिकी दर्ज करने की गुहार लगाई थी। कोर्ट के आदेश पर 2023 के जनवरी में पटना के रूपसपुर थाने में संजीव हंस और पूर्व विधायक गुलाब यादव के खिलाफ दुष्कर्म, ब्लैकमेलिंग और धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया था। इस केस के अनुसंधान के बाद पटना पुलिस ने संजीव हंस और गुलाब यादव पर लगे दुष्कर्म के आरोप को सही पाया था।
पटना के एसएसपी ने भी अपने सुपरविजन रिपोर्ट में संजीव हंस पर दुष्कर्म के आरोप को सही पाया। पटना पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि पुणे के जिस होटल में महिला ने दुष्कर्म होने की बात कही थी, उस होटल में संजीव हंस ने कमरा बुक किया था। संजीव हंस ने कमरा बुक कराने के लिए पहचान पत्र के तौर पर अपना ड्राइविंग लाइसेंस भी दिया था।
पुलिस ने अपनी जांच रिपोर्ट में संजीव हंस और महिला के बेटे की डीएनए जांच कराने की भी बात कही थी। इसके बाद अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द कराने के लिए संजीव हंस ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका दायर होने के साथ ही हाईकोर्ट ने संजीव हंस के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई करने पर रोक लगा दी थी।
कोर्ट ने इस मामले में 21 जून को आखिरी सुनवाई की थी और फिर फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज न्यायाधीश संदीप कुमार की बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाया। न्यायाधीश संदीप कुमार ने कहा कि दुष्कर्म के इस मामले में प्राथमिकी काफी देर से दर्ज कराया गया है। हाईकोर्ट की बेंच ने प्राथमिकी को लेकर कई और सवाल उठाये हैं और उसे रद्द करने का आदेश दिया है।
उधर, पीड़िता के वकील दीनू कुमार ने कहा कि वे हाईकोर्ट के फैसले का अध्ययन कर रहे हैं। इसके बाद आगे की कार्रवाई पर विचार करेंगे। दीनू कुमार ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट जाकर भी पीड़िता के लिए न्याय मांगेगे। बता दें कि कुछ दिन पहले ही राज्य सरकार ने आईएएस अधिकारी संजीव हंस को ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव के पद से हटा दिया था।