गलवान झड़प के बाद वायुसेना ने 68,000 से अधिक सैनिकों, 90 टैंकों और अन्य हथियार प्रणालियों को LAC पर पहुंचाया था - रिपोर्ट

By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: August 14, 2023 01:47 PM2023-08-14T13:47:58+5:302023-08-14T16:46:14+5:30

वायुसेना के विमानों ने भारतीय सेना के कई डिवीजन को ‘एयरलिफ्ट’ किया, जिसमें कुल 68,000 से अधिक सैनिक, 90 से अधिक टैंक, पैदल सेना के करीब 330 बीएमपी लड़ाकू वाहन, राडार प्रणाली, तोपें और कई अन्य साजो-सामान शामिल थे। वायुसेना के परिवहन बेड़े द्वारा कुल 9,000 टन की ढुलाई की गई।

IAF aircraft airlifted multiple divisions of the Indian Army more than 90 tanks To Eastern Ladakh | गलवान झड़प के बाद वायुसेना ने 68,000 से अधिक सैनिकों, 90 टैंकों और अन्य हथियार प्रणालियों को LAC पर पहुंचाया था - रिपोर्ट

अभियान में सी-17 ग्लोबमास्टर विमान शामिल थे

Highlightsभारतीय वायुसेना ने 68,000 से अधिक सैनिकों को एलएसी पर पहुंचायालगभग 90 टैंक और अन्य हथियार प्रणालियों को भी पूर्वी लद्दाख में पहुंचायासी-130जे सुपर हरक्यूलिस और सी-17 ग्लोबमास्टर विमान शामिल थे

नई दिल्ली: भारतीय सेनाओं के लिए कोई भी काम असंभव नहीं है। ये साबित किया है  भारतीय वायुसेना ने। पिछले कुछ सालों में भारतीय वायुसेना ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है जो किसी और देश की वायुसेना करने का सोच भी नहीं सकती। गलवान घाटी में हिंसक झड़पों के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तेजी से तैनाती के लिए भारतीय वायुसेना ने 68,000 से अधिक सैनिकों, लगभग 90 टैंक और अन्य हथियार प्रणालियों को देशभर से पूर्वी लद्दाख में पहुंचाया था।

विशेष अभियान के तहत एलएसी के साथ विभिन्न दुर्गम क्षेत्रों में त्वरित तैनाती के लिए वायुसेना के परिवहन बेड़े द्वारा सैनिकों और हथियारों को बहुत कम समय में पहुंचाया गया था। इतना ही नहीं बढ़ते तनाव के चलते वायुसेना ने चीन की गतिविधियों पर पैनी नजर रखने के लिए क्षेत्र में बड़ी संख्या में रिमोट संचालित विमान (आरपीए) भी तैनात किए थे। एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है।

वायुसेना के विमानों ने भारतीय सेना के कई डिवीजन को ‘एयरलिफ्ट’ किया, जिसमें कुल 68,000 से अधिक सैनिक, 90 से अधिक टैंक, पैदल सेना के करीब 330 बीएमपी लड़ाकू वाहन, राडार प्रणाली, तोपें और कई अन्य साजो-सामान शामिल थे। वायुसेना के परिवहन बेड़े द्वारा कुल 9,000 टन की ढुलाई की गई। इस कवायद में सी-130जे सुपर हरक्यूलिस और सी-17 ग्लोबमास्टर विमान भी शामिल थे। वायुसेना के विभिन्न हेलीकॉप्टर को गोला-बारूद और सैन्य साजो-सामान को पर्वतीय ठिकानों तक पहुंचाने के कार्य में लगाया गया था। 

बता दें कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के बाद सरकार लगभग 3,500 किलोमीटर लंबी एलएसी पर बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दे रही है। रक्षा मंत्रालय ने पहले ही पूर्वी लद्दाख में न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) पर समग्र बुनियादी ढांचे में वृद्धि एवं सुधार का काम शुरू कर दिया है, ताकि सभी प्रकार के सैन्य विमान इससे संचालित हो सकें। गलवान घाटी में हुई झड़पों के बाद से थलसेना ने भी अपनी लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसने पहले ही अरुणाचल प्रदेश में एलएसी के साथ पर्वतीय क्षेत्रों में आसानी से ले जाने योग्य एम-777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर तोपें अच्छी-खासी संख्या में तैनात कर दी हैं। एम-777 को चिनूक हेलीकॉप्टर में शीघ्रता से ले जाया जा सकता है और सेना के पास अब अभियानगत आवश्यकताओं के आधार पर उन्हें शीघ्रता से एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने का साधन है।

तनाव के बीच सेना ने अरुणाचल प्रदेश में अपनी इकाइयों को दुर्गम क्षेत्र में संचालित होने वाले अमेरिका निर्मित वाहनों, इजराइल की 7.62 एमएम नेगेव लाइट मशीन गन और कई अन्य घातक हथियारों से लैस किया है। भारतीय और चीनी सेना के बीच पूर्वी लद्दाख में कुछ स्थानों पर तीन साल से अधिक समय से गतिरोध बना हुआ है।

Web Title: IAF aircraft airlifted multiple divisions of the Indian Army more than 90 tanks To Eastern Ladakh

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