35 माह से नहीं मिला एचपीसीएल कर्मचारी को वेतन, संसद में उठा मामला, कुछ की मौत हो चुकी, कुछ ने आत्महत्या कर ली

By भाषा | Published: December 10, 2019 01:07 PM2019-12-10T13:07:07+5:302019-12-10T13:07:07+5:30

तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन ने एचपीसीएल के कर्मचारियों और कामगारों को 2016 के बाद से वेतन न मिलने का मुद्दा उठाया। डोला ने कहा कि 35 माह से वेतन न मिल पाने की वजह से एचपीसीएल के कर्मचारी परेशान हैं। कुछ की मौत हो चुकी है और कुछ ने आत्महत्या भी की है।

HPCL employee did not get salary for 35 months, matter raised in Parliament, some died, some committed suicide | 35 माह से नहीं मिला एचपीसीएल कर्मचारी को वेतन, संसद में उठा मामला, कुछ की मौत हो चुकी, कुछ ने आत्महत्या कर ली

राष्ट्रीय कंपनी अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) की व्यवस्था का पालन सुनिश्चित करने की मांग की गई।

Highlightsकई कर्मचारियों के बच्चों की पढ़ाई अर्थसंकट की वजह से बाधित हो रही है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम एचपीसीएल गहरे संकट में है।उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान उन्होंने कहा कि 2018-19 के बजट में केंद्र ने कामगारों के लिए 90 करोड़ रुपये की राशि मुहैया कराई थी लेकिन यह राशि वितरित नहीं की गई।

हिन्दुस्तान पेपर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) में कर्मचारियों और कामगारों को पिछले 35 माह से वेतन न मिलने का मुद्दा राज्यसभा में मंगलवार को उठाया गया और सरकार से इस संस्थान के कर्मियों को बकाया वेतन दिए जाने की व राष्ट्रीय कंपनी अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) की व्यवस्था का पालन सुनिश्चित करने की मांग की गई।

तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन ने एचपीसीएल के कर्मचारियों और कामगारों को 2016 के बाद से वेतन न मिलने का मुद्दा उठाया। डोला ने कहा कि 35 माह से वेतन न मिल पाने की वजह से एचपीसीएल के कर्मचारी परेशान हैं। कुछ की मौत हो चुकी है और कुछ ने आत्महत्या भी की है।

कई कर्मचारियों के बच्चों की पढ़ाई अर्थसंकट की वजह से बाधित हो रही है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम एचपीसीएल गहरे संकट में है और असम में स्थित इसकी दोनों उत्पादन इकाइयां बंद पड़ी हैं। उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान उन्होंने कहा कि 2018-19 के बजट में केंद्र ने कामगारों के लिए 90 करोड़ रुपये की राशि मुहैया कराई थी लेकिन यह राशि वितरित नहीं की गई।

डोला ने कहा कि राष्ट्रीय कंपनी अपीलीय न्यायाधिकरण ने इस साल मई में बकाया वेतन दिए जाने का आदेश दिया था। अब तक इस आदेश का पालन नहीं किया गया। उन्होंने सरकार से इस ओर शीघ्र ध्यान दिए जाने की मांग की। सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदन में मौजूद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से इस मुद्दे पर गौर करने के लिए कहा। 

रास में भाकपा ने उठाई बैंकों का विलय न करने की मांग

राज्यसभा में मंगलवार को भाकपा के एक सदस्य ने बैंकों का विलय न करने की मांग करते हुए सरकार से अनुरोध किया कि वह बैंकों को हुए नुकसान की भरपाई करे तथा संकट में डालने वाले चूककर्ताओं के नामों का खुलासा करे। उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान भाकपा के विनय विश्वम ने बैंकों के विलय का मुद्दा उठाया।

उन्होंने कहा कि बैंक उद्योग आज संकट में है लेकिन इसका समाधान बैंकों का विलय कदापि नहीं है। विश्वम ने कहा कि बैंकों के विलय के विरोध में दस लाख बैंक कर्मी आज हड़ताल कर रहे हैं तथा संसद की ओर उनका मार्च भी है। उन्होंने कहा ‘‘ये कर्मचारी मांग कर रहे हैं कि बैंकों का विलय न किया जाए क्योंकि यह समस्या का समाधान नहीं है।’’

विश्वम ने कहा कि छह बैंकों का विलय किया जाना है जिससे उनका अस्तित्व पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। इन बैंकों की दूरदराज के इलाकों में शाखाएं हैं जो विलय के बाद नहीं रहेंगी। उन्होंने मांग की बैंकों को हुए नुकसान की सरकार को भरपाई करनी चाहिए और उन चूककर्ताओं के नामों का खुलासा करना चाहिए जो बैंकों को संकट में डालने के लिए जिम्मेदार हैं।

विश्वम ने कहा ‘‘देश को इन चूककर्ताओं के नाम जानने का हक है। ’’ साथ ही भाकपा सदस्य ने आम आदमी पर लगाया गया सेवा कर वापस लिए जाने की मांग भी की। 

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