अस्पताल ने काम के दौरान मलयालम में बात करने से नर्सों को रोकने संबंधी आदेश वापस लिया
By भाषा | Published: June 6, 2021 03:22 PM2021-06-06T15:22:48+5:302021-06-06T15:22:48+5:30
नयी दिल्ली, छह जून दिल्ली के सरकारी गोविंद बल्लभ पंत अस्पताल ने नर्सिंग कर्मचारियों को मलयालम भाषा में बात न करने के लिए कहने वाले आदेश को आलोचना के बाद रविवार को वापस ले लिया और कहा कि मामले में कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
चिकित्सा निदेशक डॉ. अनिल अग्रवाल ने एक नया आदेश जारी कर कहा, ‘‘अस्पताल प्रशासन और दिल्ली सरकार की जानकारी या किसी भी निर्देश के बिना जी बी पंत अस्पताल के नर्सिंग अधीक्षक द्वारा जारी परिपत्र तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाता है।’’
डॉ. अग्रवाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मामले की जांच चल रही है और कड़ी कार्रवाई की जाएगी।’’
उल्लेखनीय है कि अस्पताल के नर्सिंग अधीक्षक ने शनिवार को एक परिपत्र जारी कर अपने नर्सिंग कर्मचारियों को काम के दौरान मलयालम भाषा में बात नहीं करने को कहा था, क्योंकि ‘‘अधिकतर मरीज और सहकर्मी इस भाषा को नहीं जानते हैं,’’ जिसके कारण बहुत असुविधा होती है।
यहां के प्रमुख अस्पतालों में से एक गोविंद बल्लभ पंत स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (जीआईपीएमईआर) द्वारा जारी परिपत्र में नर्सों से कहा गया था कि वे संवाद के लिए केवल हिंदी और अंग्रेजी का उपयोग करें, अन्यथा ‘‘कड़ी कार्रवाई’’ का सामना करने के लिए तैयार रहें।
जी बी पंत के नर्सिंग स्टाफ संगठन के एक अधिकारी ने कहा कि अस्पताल में करीब 850 नर्स काम कर रही हैं जिनमें से तकरीबन 400 मलयाली हैं।
संगठन के अध्यक्ष लीलाधर रामचंदानी ने दावा किया कि अस्पताल में मलयालम भाषा का इस्तेमाल करने के संबंध में एक मरीज द्वारा स्वास्थ्य विभाग में एक वरिष्ठ अधिकारी को भेजी शिकायत के आधार पर परिपत्र जारी किया गया, हालांकि ‘‘संगठन परिपत्र में इस्तेमाल शब्दों पर आपत्ति व्यक्त करता है।’’
इस परिपत्र की चिकित्सा समुदाय, नेताओं और जनता ने आलोचना की थी।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जहां भाषायी भेदभाव खत्म करने का आह्वान किया, वहीं पार्टी के नेता शशि थरूर ने कहा कि यह आदेश ‘‘अस्वीकार्य, अशिष्ट, अपमानजनक और भारतीय नागरिकों के मौलिक मानवाधिकारों का हनन है।
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