हिंदू सेना ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में पहुंची सुप्रीम कोर्ट, कोर्ट सर्वे के खिलाफ दायर मुस्लिम पक्ष की याचिका को की खारिज करने की मांग
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 17, 2022 07:58 PM2022-05-17T19:58:33+5:302022-05-17T20:12:13+5:30
हिंदू सेना ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने आवेदन में कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर काशी विश्वनाथ मंदिर और श्रृंगार गौरी मंदिर प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत आते हैं और संविधान की धारा 4 (3) (1) के अनुसार इसे प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 से छूट मिलती है।
दिल्ली:ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में मुस्लिम पक्ष द्वारा सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद उसके पीछे-पीछे हिंदू सेना ने भी सर्वोच्च न्यायालय की दरवाजा खटखटा दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता ने मंगलवार को मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर की गई याचिका के विरोध में हस्तक्षेप आवेदन दायर करके अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद प्रबंधन समिति द्वारा दायर याचिका को खारिज करने की मांग की है।
अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद प्रबंधन समिति ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करके वाराणसी कोर्ट द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में कराये जा रहे वीडियो सर्वे को रोकने की चुनौती दी गई थी।
अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद प्रबंधन समिति मामले में आज हुई सुनवाई के साथ हिंदू सेना की ओर से वकील बरुन कुमार सिन्हा ने भी इसे खारिज करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में आवेदन कर दिया।
हिंदू सेना की ओर से दिये आवेदन में कहा गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर काशी विश्वनाथ मंदिर और श्रृंगार गौरी मंदिर प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत आते हैं और संविधान की धारा 4 (3) (1) के अनुसार इसे प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 से छूट मिलती है।
इसके साथ ही हिंदू सेना की ओर से आवेदन में यह भी कहा गया है कि मुगल सम्राट औरंगजेब ने विवादित स्थल पर काशी विश्वनाथ मंदिर को गिराकर उसकी जगह पर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण करवा दिया था। पुराने मंदिर के अवशेष नींव, खंभों और मस्जिद के पिछले हिस्से में स्पष्ट देखा जा सकता है।
वहीं आज अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद प्रबंधन समिति की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में नोटिस जारी कर रहे हैं। हम वाराणसी कोर्ट को आदेश दे रहे हैं कि मस्जिद परिसर में जहां शिवलिंग मिला है, उस जगह को सुरक्षित रखा जाए, लेकिन इसके साथ ही मुस्लिम लोगों को नमाज पढ़ने की भी आजादी होगी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 19 मई को तारीख दे दी।