हिजाब विवाद: कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा- मीडिया सुनवाई के दौरान की टिप्पणियों को रिपोर्ट नहीं करे, आदेश का इंतजार करे
By विनीत कुमार | Published: February 10, 2022 04:18 PM2022-02-10T16:18:52+5:302022-02-10T16:19:32+5:30
कर्नाटक हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा है कि मीडिया सुनवाई के दौरान की टिप्पणियों को रिपोर्ट नहीं करे। उन्होंने कहा कि मीडिया मामले में आदेश का इंतजार करे।
बेंगलुरु: कर्नाटक हाई कोर्ट ने हिजाब विवाद पर गुरुवार को कहा कि मीडिया को इस मामले में सुनवाई के दौरान की जा रही टिप्पणियों को रिपोर्ट नहीं करना चाहिए। कोर्ट ने अपील की कि मामले में आदेश का इंतजार किया जाना चाहिए। कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी ने सुनवाई के दौरान ये बात कही।
कॉलेज में छात्राओं द्वारा हिजाब पहनकर जाने के मुद्दे पर दायर याचिकाओं पर कर्नाटक हाई कोर्ट की तीन जजों की पीठ सुनवाई कर रही है। इसमें कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सहित जस्टिस कृष्ण एस. दीक्षित और जस्टिस जैबुन्निसा एम. काजी शामिल हैं।
Chief Justice Ritu Raj Awasthi requests media not to report oral observations and wait for the Court order.
— Bar & Bench (@barandbench) February 10, 2022
He says please wait for order.#HijabBan#KarnatakaHighCourt
हिजाब विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस ए. एस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट मामले पर सुनवाई कर रहा है और उसे इस पर सुनवाई करके फैसला करने लेने देना चाहिए।
कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई की है अपील
इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मामले को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने और इसकी सुनवाई नौ न्यायाधीशों की पीठ से कराने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, 'दिक्कत यह है कि स्कूल और कॉलेज बंद हैं। लड़कियों पर पथराव हो रहा है। यह विवाद पूरे देश में फैल रहा है।'
सिब्बल ने कहा कि वह मामले पर कोई आदेश नहीं चाहते, केवल यह चाहते हैं कि सुनवाई के लिए याचिका को सूचीबद्ध किया जाए। इसके बाद चीफ जस्टि ने कहा, 'हम इस पर गौर करेंगे।'
इससे पहले, सिब्बल ने कहा था कि हिजाब को लेकर विवाद कर्नाटक में हो रहा था और अब यह पूरे देश में फैल रहा है। इसमें अब पूरे देश के बच्चे शामिल हो रहे हैं, जब परीक्षाओं को बस दो महीने रह गए हैं। इसके बाद पीठ ने कहा, 'कृपया रुकें। इसमें हम कुछ नहीं कर सकते। हाई कोर्ट को फैसला करने दें। हम तुरंत मामले पर हस्तक्षेप क्यों करें। हाई कोर्ट मामले पर सुनवाई कर सकता है।