कार की तेज रफ्तार लापरवाही पूर्ण कृत्य की बात साबित करने के लिए काफी नहीं, हाईकोर्ट ने ‘हिट एंड रन’ मामले में चालक के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द किया
By भाषा | Published: August 10, 2022 04:18 PM2022-08-10T16:18:49+5:302022-08-10T16:20:27+5:30
भारतीय दंड संहिता की धाराओं 279 और 304ए के तहत दर्ज एक प्राथमिकी पर विचार करते हुए न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने कहा कि इस तरह के मामले में ‘तेज रफ्तार या लापरवाही पूर्ण कृत्य’ की मौजूदगी एक ‘आवश्यक घटक’ है।
नई दिल्लीःदिल्ली उच्च न्यायालय ने कथित ‘हिट एंड रन’ के एक मामले में एक कार चालक के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया और कहा कि टक्कर मारने वाली गाड़ी को बहुत तेज रफ्तार में चलाने के आरोप लापरवाही पूर्ण कृत्य की बात को स्वत: साबित नहीं करते हैं।
भारतीय दंड संहिता की धाराओं 279 और 304ए के तहत दर्ज एक प्राथमिकी पर विचार करते हुए न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने कहा कि इस तरह के मामले में ‘तेज रफ्तार या लापरवाही पूर्ण कृत्य’ की मौजूदगी एक ‘आवश्यक घटक’ है और इस मामले में किसी गवाह ने यह दावा नहीं किया कि आरोपी की कार इस तरह से चलाई जा रही थी कि किसी व्यक्ति को चोट पहुंचे। प्राथमिकी के अनुसार तेजी से आई कार ने पीड़ित को उस वक्त टक्कर मार दी जब वह सड़क पार कर रहा था।
इसमें दावा किया गया कि टक्कर के कारण पीड़ित गिर गया और चालक मौके से भाग गया। अदालत ने पांच अगस्त के आदेश में कहा, ‘‘इस अदालत ने बार-बार यह रुख व्यक्त किया है कि टक्कर मारने वाले वाहन के बहुत तेजी से चलाये जाने के आरोप आईपीसी की धाराओं 279/304ए के तहत अंधाधुंध और लापरवाही पूर्ण कृत्य किये जाने की बात स्वत: साबित नहीं करते।’’