उच्च न्यायालय ने ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ के मार्फत संपत्ति रखने के खिलाफ दायर याचिका खारिज की
By भाषा | Published: July 15, 2021 03:06 PM2021-07-15T15:06:24+5:302021-07-15T15:06:24+5:30
नयी दिल्ली, 15 जुलाई दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को उस याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया जिसमें दिल्ली पुलिस को निर्देश देने का आग्रह किया गया था कि संपत्ति के मालिकाना हक के तौर पर ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ को स्वीकार नहीं करे।
मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने वकील और याचिकाकर्ता से पूछा, ‘‘क्या आप चाहते हैं कि दिल्ली पुलिस घर-घर जाकर सर्वेक्षण करे?’’
याचिका दायर करने वाले वकील मनोहर लाल शर्मा ने कहा कि दिल्ली पुलिस को जब शिकायत मिलती है कि किसी व्यक्ति ने ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ के आधार पर संपत्ति रखी है तो उसे कार्रवाई करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ अवैध दस्तावेज है और अगर किसी व्यक्ति ने इसके आधार पर कोई संपत्ति रखी है तो उस पर भारतीय दंड संहिता और कालाधन कानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिए।
अदालत ने शर्मा से कहा कि वह या तो याचिका वापस ले लें अन्यथा उन पर वह जुर्माना लगाएगी।
अदालत ने कहा, ‘‘हम नोटिस जारी करना नहीं चाहते हैं। हम वकील पर जुर्माना नहीं लगाना चाहते हैं।’’
इसके बाद वकील ने याचिका वापस ले ली।
याचिका में कहा गया कि ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ के माध्यम से बिक्री काला धन छुपाने और कर से बचने के लिए होता है जो गंभीर अपराध है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि जांच में उन्होंने पाया कि ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ के माध्यम से बिचौलिए काफी संख्या में बेनामी संपत्ति खरीदते हैं और इसका इस्तेमाल वे किराये के व्यवसाय में करते हैं।
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