रोशनी अधिनियम को रद्द करने के फैसले में संशोधन की याचिका पर सुनवाई अगले सप्ताह
By भाषा | Updated: December 7, 2020 21:12 IST2020-12-07T21:12:19+5:302020-12-07T21:12:19+5:30

रोशनी अधिनियम को रद्द करने के फैसले में संशोधन की याचिका पर सुनवाई अगले सप्ताह
जम्मू, सात दिसंबर जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने सोमवार को रोशनी अधिनियम को रद्द करने के उसके पूर्ववर्ती फैसले में संशोधन का अनुरोध करने वाली प्रशासन की याचिका पर सुनवाई अगले सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी।
यह याचिका राजस्व विभाग में विशेष सचिव नजीर अहमद ठाकुर ने चार दिसंबर को दायर की थी। न्यायालय के लगभग दो महीने पुराने फैसले में संशोधन के अनुरोध वाली याचिका में कहा गया कि इससे बड़ी संख्या में आम लोग अनायास ही पीड़ित हो जाएंगे जिनमें भूमिहीन कृषक और ऐसे व्यक्ति भी शामिल हैं जोकि स्वयं छोटे से टुकडे पर घर बनाकर रह रहे हैं।
याचिका के मुताबिक, लाभार्थियों में से आम लोगों और जमीन पर कब्जा जमाने वाले अमीर लोगों के बीच फर्क करने की आवश्यकता है। साथ ही भूमिहीन मजदूरों अथवा ऐसे लोगों को आवंटित भूमि का कब्जा बरबरार रखने की अनुमति का पक्ष लिया गया जोकि खुद ही उस जमीन पर घर बनाकर रह रहे हैं।
इस बीच, वकील शेख शकील अहमद ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, '' उच्च न्यायालय ने मामले को 16 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया।''
अहमद रोशनी अधिनियम को अदालत में चुनौती देने वाले प्रोफेसर एसके भल्ला के वकील हैं। अदालत ने नौ अक्टूबर को इस अधिनियम को ''अवैध, असंवैधानिक एवं अरक्षणीय'' करार दिया था और रोशनी अधिनियम के तहत आवंटित की गई भूमि के मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।
उल्लेखनीय है कि रोशनी अधिनियम को वर्ष 2001 में लागू किया गया था, जिसके तहत राज्य की भूमि पर कब्जा जमाए लोगों को इसका मालिकाना हक देने के ऐवज में प्राप्त रकम को बिजली उत्पादन परियोजनाओं के लिए उपयोग करने की परिकल्पना की गई थी।
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