एचडी कुमारस्वामी: पहली बार BJP के सपोर्ट से बने सीएम, दूसरी बार कांग्रेस का हाथ पकड़कर पाई सत्ता
By आदित्य द्विवेदी | Published: May 23, 2018 05:39 PM2018-05-23T17:39:07+5:302018-05-23T17:46:42+5:30
एचडी कुमारस्वामी पहली बार साल 2006 में बीजेपी के सहयोग से कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने थे। तय हुआ थी कि बीजेपी और जेडीएस 19-19 महीने मुख्यमंत्री पद रखेंगे। कुमारस्वामी ने अपनी बारी पूरे होते ही बीजेपी को सत्ता सौंपने से इनकार कर दिया था।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के घर पर एक पारिवारिक बैठक में किसी ने उनके बेटे एचडी कुमारस्वामी पर तंज कस दिया कि राजनीति उनके वश की बात नहीं। फिल्म निर्माता के रूप में सफलता हासिल कर चुके एचडी कुमारस्वामी को ये बात लग गयी। कुमारस्वामी ने अपना जमा-जमाया फिल्मी करियर छोड़कर राजनीति में कूदने का मन बना लिया। पिता की विरासत के चलते राजनीति में उनकी एंट्री भले ही आसानी से हो गयी हो, आगे का सफर मुश्किलों भरा रहा। पुरानी कहावत है सब्र का फल मीठा होता है। कुमारस्वामी के लिए ये भी यह पूरी तरह सही साबित हुआ है। 1994 में राजनीति में कदम रखने वाले कुमारस्वामी 23 मई 2018 को कर्नाटक के 33वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले लिया है। कुमारस्वामी कांग्रेस, जनता दल (सेकुलर) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) गठबंधन के नेता के तौर पर राज्य के मुखिया बने हैं। 2018 विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को कुल 222 सीटों में से महज 37 पर जीत मिली। कांग्रेस के 78 और बहुजन समाज पार्टी के एक विधायक की मदद से उन्होंने सरकार बनायी है। सीएम कुमारस्वामी दल (सेकुलर) की कर्नाटक इकाई अध्यक्ष भी हैं।
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स्कूल-कॉलेज में एक औसत छात्र रहे कुमारस्वामी को क्रिएटिव चीजों में ज्यादा रुचि थी। कुछ इंटरव्यू में उन्होंने स्वीकारा कि वो बचपन में अक्सर क्लास छोड़कर फिल्में देखने चले जाते थे। बाद में उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में ही अपना करियर बनाने की सोची। उन्होंने कुछ फिल्मों का प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन भी किया। कुमारस्वामी ने चुनौती स्वीकार करके राजनीति में आते वक्त भी सोचा था कि कुछ सालों में खुद को साबित करने के बाद वो सिनेमा की दुनिया में वापस चले जाएंगे। लेकिन एकबार राजनीतिक भंवर में फंसने के बाद वो इसी के होकर रह गए। कुमारस्वामी के गृह नगर में उनका एक थिएटर भी है।
कुमारस्वामी ने 1994 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। 1996 में उन्होंने कनकपुरा सीट से पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत कर भारतीय संसद पहुंचे। 1998 के उपचुनाव में उन्हें कनकपुरा सीट से हार का सामना करना पड़ा। 1999 में उन्होंने सथनूर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और एक बार फिर हार गए। 2004 विधानसभा चुनाव में उन्होंने रामनगर सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 3 फरवरी 2006 को कर्नाटक में जेडी (एस) और बीजेपी के गठबंधन की सरकार बनी और कुमारस्वामी मुख्यमंत्री चुने गए।
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दरअसल, जेडीएस और बीजेपी ने सत्ता करार के बाद गठबंधन की सरकार बनाई थी। तय हुआ था कि इसमें पहले 19 महीने तक कुमारस्वामी मुख्यमंत्री रहेंगे और 3 अक्टूबर 2007 के बाद बीजेपी का मुख्यमंत्री होगा। उस वक्त कुमारस्वामी के पास 42 विधायक थे। 19 महीने तक सरकार चलाने के बाद कुमारस्वामी बीजेपी को सत्ता देने से मुकर गए। बहुत ना होने की वजह से उन्होंने अपना इस्तीफा तत्कालीन गवर्नर रामेश्वर ठाकुर को सौंप दिया। राज्य में 9 अक्टूबर 2007 से 8 नवंबर 2007 के बीच राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।
2008 के विधानसभा चुनाव में कुमारस्वामी ने एकबार फिर रामनगरम सीट से बड़ी जीत दर्ज की। लेकिन इसबार उन्हें 14 विधायकों का नुकसान उठाना पड़ा। उनकी पार्टी के सिर्फ 30 विधायक ही जीत सके। बीजेपी को सहानुभूति का वोट मिला। 2008 में बीजेपी ने सरकार बनाई और बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बनाए गए। 2013 के विधान सभा चुनावों में भी जेडीएस को बड़ी सफलता नहीं मिली। उनके पास केवल 28 विधायक थे। करीब 11 साल तक विपक्ष में रहने के बाद इस चुनाव में कुमारस्वामी की किस्मत ने पलटी खायी। 12 साल पहले 2006 में जिस बीजेपी की मदद से वो कर्नाटक की राजगद्दी पर बैठे थे 2018 में उसी बीजेपी को दाँव देकर वो कांग्रेस के कन्धों पर चढ़कर मुख्यमंत्री बने हैं। कुमारस्वामी के इस अंदाज से आप भी मानेंगे कि वो राजनीति के लिए बिल्कुल मुफीद हैं। उनके जिस भी रिश्तेदार ने उनपर तंज कसा था इतिहास ने उसे पूरी तरह गलत साबित कर दिया है।
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