अदालत ने हरियाणा सरकार से कहा, सुनिश्चित करें कि दिल्ली की जलापूर्ति बाधित नहीं हो
By भाषा | Published: May 25, 2019 12:28 AM2019-05-25T00:28:12+5:302019-05-25T00:28:12+5:30
मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति ए जे भांभनी की पीठ ने कहा, ‘‘वहां (हरियाणा) से दिल्ली में जल के प्रवाह में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए।’’
दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को हरियाणा सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि राष्ट्रीय राजधानी को जलापूर्ति बाधित नहीं हो। अदालत ने यह निर्देश उस समय दिया जब उसे बताया गया कि यमुना नदी पर खनन क्रियाकलाप हो रहे हैं और कई जगह ‘मेढ़’ बनाए गए हैं।
मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति ए जे भांभनी की पीठ ने कहा, ‘‘वहां (हरियाणा) से दिल्ली में जल के प्रवाह में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए।’’ उच्च न्यायालय ने इस बात का निरीक्षण करने के लिए एक समिति का गठन किया था कि दिल्ली तक पानी लाने वाली नहरों में ‘मेढ़’ नहीं बनाए जाएं।
इस समिति ने पीठ से कहा कि यमुना नदी में 11 स्थानों पर इस तरह की बाधाएं मिली हैं। समिति ने रिपोर्ट सौंपकर कहा कि बांध बनाने के अलावा यमुना तथा इसकी एक सहायक नदी में बड़े पैमाने पर खनन कार्य चल रहा है। समिति में उच्च न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश इंद्रमीत कौर और न्याय मित्र राकेश खन्ना शामिल हैं। पीठ ने उसके बाद हरियाणा को रिपोर्ट पर अपनी आपत्ति दर्ज कराने के लिए 22 जुलाई तक का समय दिया और राज्य को निर्देश दिया कि सुनिश्चित करे कि नदी में कोई अवरोध नहीं बनाये जाएं।