हाथरस रेप केसः सुप्रीम कोर्ट ने घटना को कहा- ‘लोमहर्षक’, आठ अक्टूबर तक जानकारी दे योगी सरकार

By भाषा | Published: October 6, 2020 08:44 PM2020-10-06T20:44:10+5:302020-10-06T20:44:10+5:30

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने इस घटना को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया।

hathras news in hindi Supreme Court incident- 'Lomharkhaar' Yogi government inform till October 8 | हाथरस रेप केसः सुप्रीम कोर्ट ने घटना को कहा- ‘लोमहर्षक’, आठ अक्टूबर तक जानकारी दे योगी सरकार

इस मामले में सीबीआई की जांच शीर्ष अदालत की निगरानी में करायी जा सकती है।

Highlightsपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई करते हुये कहा कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि इसकी जांच सुचारू ढंग से हो। सुनवाई के दौरान ही उत्तर प्रदेश सरकार ने सारे मामले को सीबीआई को सौंपने की इच्छा व्यक्त की।इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लंबित कार्यवाही के दायरे और शीर्ष अदालत इसे कैसे ज्यादा प्रासंगिक बना सकती है, इस बारे में सुझाव दें।

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने हाथरस की घटना को ‘लोमहर्षक’ बताते हुये मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह दलित लड़की से कथित बलात्कार और बाद में उसकी मौत हो जाने के मामले में गवाहों के संरक्षण के लिये उठाये गये कदमों के बारे में आठ अक्टूबर तक जानकारी दे।

शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह इस बारे में बृहस्पतिवार तक हलफनामा दाखिल करे। न्यायालय ने यह भी जानना चाहा कि पीड़ित परिवार ने किसी वकील का चुनाव किया है। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने इस घटना को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया। पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई करते हुये कहा कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि इसकी जांच सुचारू ढंग से हो। हालांकि, सुनवाई के दौरान ही उत्तर प्रदेश सरकार ने सारे मामले को सीबीआई को सौंपने की इच्छा व्यक्त की क्योंकि राजनीतिक मकसद की खातिर इस मामले के बारे में फर्जी बातें फैलाई जा रही हैं।

पीठ ने इस मामले में पेश सभी पक्षों से कहा कि वे इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लंबित कार्यवाही के दायरे और शीर्ष अदालत इसे कैसे ज्यादा प्रासंगिक बना सकती है, इस बारे में सुझाव दें। प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा, ‘‘ हाथरस मामले में एक के बाद एक कहानियां फैलाई जा रही हैं। इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच यह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी निहित स्वार्थों के वास्ते अपने मकसदों के लिये फर्जी कहानियां नहीं बना सकेगा।

सीबीआई की जांच शीर्ष अदालत की निगरानी में करायी जा सकती

उन्होंने कहा कि इस मामले में सीबीआई की जांच शीर्ष अदालत की निगरानी में करायी जा सकती है। मेहता ने कहा, ‘‘इस घटना में एक युवती की जान चली गयी है और किसी को भी इसे सनसनीखेज नहीं बनाना चाहिए। इसकी जांच स्वतंत्र होनी चाहिए और स्वतंत्र लगनी भी चाहिए।’’

इस मामले में चुनिन्दा हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह ने न्यायालय से अनुरोध किया कि पीड़त परिवार को संरक्षण प्रदान किया जाये। जयसिंह ने कहा कि परिवार का कहना है कि इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने जाने से वह संतुष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत की निगरानी में विशेष जांच दल को इस मामले की जांच करनी चाहिए। इस मौके पर पीठ ने इन्दिरा जयसिंह से सवाल किया कि इस मामले में आप किस अधिकार से हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘इस मामले में तो आपकी कोई अधिकार नहीं है। लेकिन, हम आपको सुन रहे हैं क्योंकि यह मामला बहुत ही महत्वपूर्ण है। हम आपको सुन रहे हैं क्योंकि यह बहुत ही हतप्रभ करने वाली घटना है। इसके बावजूद इस मामले में हम आपकी स्थिति के बारे में सोच रहे हैं।’’ कुछ महिला वकीलों की ओर से अधिवक्ता कीर्ति सिंह ने कहा कि इस मामले की जांच शीर्ष अदालत की देख-रेख में होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह एक ‘लोमहर्षक’ घटना है लेकिन वह नहीं चाहती कि न्यायालय में एक ही बात बार-बार दोहरायी जाये।

लोमहर्षक घटना है लेकिन सवाल यह है कि हम एक ही जैसी कितनी दलीलें सुने?

पीठ ने कहा, ‘‘यह लोमहर्षक घटना है लेकिन सवाल यह है कि हम एक ही जैसी कितनी दलीलें सुने? कृपया यह समझिये कि न्यायालय में अपने सरोकार को दोहराने की जरूरत नहीं है।’’ पीठ ने कहा, ‘‘न्यायालय के लिये प्रत्येक पक्ष से एक ही दलील बार-बार सुनना जरूरी नहीं है। यह इस घटना पर टिप्पणी नहीं है, लेकिन कृपया हमारे दृष्टिकोण को भी समझिये।’’ इससे पहले, उत्तर प्रदेश सरकार ने जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दलित महिला से कथित सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में सीबीआई जांच का अनुरोध किया।

राज्य सरकार ने न्यायालय में दाखिल अपने हलफनामे में कहा है कि यह महत्वपूर्ण है कि इस मामले की किसी स्वतंत्र केन्द्रीय एजेन्सी से जांच करायी जाये। हलफनामे में कहा गया है कि राज्य सरकार पहले ही केन्द्र से अनुरोध कर चुकी है कि इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी जाये क्योंकि इससे कतिपय निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच में डाले जा रहे व्यवधानों से बचा जा सकेगा। राज्य सरकार ने इस मामले की केन्द्रीय जांच ब्यूरो से जांच कराने की सिफारिश की है और एफएसएल की रिपोर्ट का जिक्र करते हुये बलात्कार के आरोप से इंकार किया है।

हाथरस के एक गांव में 14 सितंबर को 19 वर्षीय दलित लड़की से अगड़ी जाति के चार लड़कों ने कथित रूप से बलात्कार किया था। इस लड़की की 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी थी। पीड़ित की 30 सितंबर को रात के अंधेरे में उसके घर के पास ही अंत्येष्टि कर दी गयी थी। उसके परिवार का आरोप है कि स्थानीय पुलिस ने जल्द से जल्द उसका अंतिम संस्कार करने के लिये मजबूर किया। स्थानीय पुलिस अधिकारियों का कहना है कि परिवार की इच्छा के मुताबिक ही अंतिम संस्कार किया गया। 

Web Title: hathras news in hindi Supreme Court incident- 'Lomharkhaar' Yogi government inform till October 8

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे