हेट स्पीच: बुधवार को निर्धारित 'धर्म संसद' को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड को दी चेतावनी, हिमाचल प्रदेश से मांगा जवाब
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 26, 2022 01:09 PM2022-04-26T13:09:35+5:302022-04-26T13:18:53+5:30
जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि अभद्र भाषा को नहीं रोका गया तो (उत्तराखंड) के मुख्य सचिव को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। हम मुख्य सचिव को कोर्ट में तलब करेंगे।
नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तराखंड के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वह अदालत में सार्वजनिक रूप से यह कहें कि रुड़की में निर्धारित ‘धर्म संसद’ में कोई अप्रिय बयान नहीं दिया जाएगा। कार्यक्रम बुधवार को होना है।
जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने उत्तराखंड सरकार द्वारा दिए गए इस आश्वासन पर गौर किया कि अधिकारियों को विश्वास है कि आयोजन के दौरान कोई अप्रिय बयान नहीं दिया जाएगा और इस अदालत के फैसले के अनुसार सभी कदम उठाए जाएंगे। अभद्र भाषा को नहीं रोका गया तो (उत्तराखंड) के मुख्य सचिव को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। हम मुख्य सचिव को कोर्ट में तलब करेंगे।
पीठ में जस्टिय अभय एस. ओका और जस्टिय सीटी रविकुमार भी शामिल हैं। पीठ ने कहा, “हम उत्तराखंड के मुख्य सचिव को उपरोक्त आश्वासन सार्वजनिक रूप से कहने और सुधारात्मक उपायों से अवगत कराने का निर्देश देते हैं।”
पिछले साल दिसंबर में हरिद्वार में आयोजित तीन दिवसीय ‘धर्म संसद’ के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जहां एक समुदाय के सदस्यों को निशाना बनाकर नफरत भरे भाषण दिए गए थे।
एक अलग सुनवाई में, सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में एक कार्यक्रम पर हिमाचल प्रदेश सरकार से भी तीखे सवाल किए, जिसने मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरे भाषणों की मेजबानी की और हिंदुओं को हिंसा का सहारा लेने का आह्वान किया।
अदालत ने कहा कि सरकार 7 मई तक हलफनामा दाखिल करे और बताए कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए? मामले की अगली सुनवाई 9 मई को होगी।
(भाषा इनपुट के साथ)