24 नवंबर को 53वें प्रधान न्यायधीश बनेंगे न्यायमूर्ति सूर्यकांत?, बीआर गवई की जगह लेंगे, जानें बड़े फैसले, 9 फरवरी, 2027 को सेवानिवृत्त होंगे

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 23, 2025 13:39 IST2025-11-23T13:38:48+5:302025-11-23T13:39:46+5:30

हरियाणा के हिसार जिले में 10 फरवरी, 1962 को मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे न्यायमूर्ति सूर्यकांत एक छोटे शहर के वकील से देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक पहुंचे हैं, जहां वह राष्ट्रीय महत्व और संवैधानिक मामलों के कई फैसलों और आदेशों का हिस्सा रहे।

haryana hisar Justice Surya Kant become 53rd Chief Justice November 24 replace BR Gavai Learn about important decisions retire on February 9, 2027 | 24 नवंबर को 53वें प्रधान न्यायधीश बनेंगे न्यायमूर्ति सूर्यकांत?, बीआर गवई की जगह लेंगे, जानें बड़े फैसले, 9 फरवरी, 2027 को सेवानिवृत्त होंगे

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Highlightsपद पर लगभग 15 महीने तक रहेंगे।नौ फरवरी, 2027 को सेवानिवृत्त होंगे।मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।

नई दिल्लीः न्यायमूर्ति सूर्यकांत सोमवार को भारत के 53वें प्रधान न्यायधीश के रूप में शपथ लेंगे। न्यायमूर्ति सूर्यकांत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने संबंधी फैसले, बिहार मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण, पेगासस स्पाइवेयर मामला सहित कई ऐतिहासिक फैसलों और आदेशों का हिस्सा रहे हैं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत न्यायमूर्ति बीआर गवई की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल आज शाम समाप्त होगा। गत 30 अक्टूबर को न्यायमूर्ति सूर्यकांत को अगले प्रधान न्यायधीश के रूप में नियुक्त किया गया था और वह इस पद पर लगभग 15 महीने तक रहेंगे।

वह 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर नौ फरवरी, 2027 को सेवानिवृत्त होंगे। हरियाणा के हिसार जिले में 10 फरवरी, 1962 को मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे न्यायमूर्ति सूर्यकांत एक छोटे शहर के वकील से देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक पहुंचे हैं, जहां वह राष्ट्रीय महत्व और संवैधानिक मामलों के कई फैसलों और आदेशों का हिस्सा रहे।

उन्हें 2011 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से कानून में स्नातकोत्तर में ‘प्रथम श्रेणी में प्रथम’ स्थान प्राप्त करने का गौरव भी प्राप्त है। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में कई उल्लेखनीय फैसले लिखने वाले न्यायमूर्ति सूर्यकांत को पांच अक्टूबर, 2018 को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल अनुच्छेद 370 को हटाने से जुड़े फैसले, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिकता के अधिकारों पर फैसले देने के लिए जाना जाता है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों से निपटने में राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों से संबंधित राष्ट्रपति के परामर्श पर हाल में सुनवाई करने वाली न्यायालय की पीठ में शामिल हैं।

इस फैसले का बेसब्री से इंतज़ार है, जिसका असर सभी राज्यों पर पड़ सकता है। वह उस पीठ का हिस्सा थे जिसने औपनिवेशिक युग के राजद्रोह कानून को स्थगित रखा था, तथा निर्देश दिया था कि सरकार के समीक्षा करने तक इसके तहत कोई नयी प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाएगी।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने निर्वाचन आयोग से बिहार में मसौदा मतदाता सूची से बाहर रखे गए 65 लाख मतदाताओं का ब्योरा सार्वजनिक करने को भी कहा था। उन्होंने निर्वाचन आयोग द्वारा चुनावी राज्य में मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया था।

जमीनी स्तर पर लोकतंत्र और लैंगिक न्याय पर जोर देने वाले एक आदेश में, उन्होंने एक ऐसी पीठ का नेतृत्व किया जिसने गैरकानूनी तरीके से पद से हटाई गई एक महिला सरपंच को बहाल किया और मामले में लैंगिक पूर्वाग्रह को उजागर किया। उन्हें यह निर्देश देने का श्रेय भी दिया जाता है कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन समेत बार एसोसिएशन में एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएं।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत उस पीठ का हिस्सा थे जिसने 2022 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा चूक की जांच के लिए शीर्ष अदालत की पूर्व न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा ​​की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति नियुक्त की थी। उन्होंने रक्षा बलों के लिए ‘वन रैंक-वन पेंशन’ (ओआरओपी) योजना को भी बरकरार रखा था और इसे संवैधानिक रूप से वैध बताया तथा सशस्त्र बलों में स्थायी कमीशन में समानता का अनुरोध करने वाली महिला अधिकारियों की याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखी।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत उन सात न्यायाधीशों की पीठ में भी थे, जिसने 1967 के एएमयू के फैसले को खारिज कर दिया था, जिससे उसके अल्पसंख्यक दर्जे पर पुनर्विचार का रास्ता खुल गया था। वह उस पीठ का भी हिस्सा थे जिसने कुछ लोगों की निगरानी के लिए इजराइली स्पाइवेयर पेगासस के कथित उपयोग की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी।

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