उत्तराखंज के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हरीश रावत के स्टिंग मामले को लेकर शुक्रवार (20 सितंबर) को नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को हरीश रावत के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति नहीं दी। इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 1 अक्टूबर की तारीख मुकर्रर की गई है।
पिछले महीने की 21 तारीख को सीबीआई ने अदालत को जानकारी दी थी कि हरीश रावत स्टिंग मामले की प्रारंभिक जांच पूरी हो गई है और अब उसे एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मिलनी चाहिए। सीबीआई ने पिछले 3 सितंबर को अदालत को यह जानकारी भी दी कि वह मामले में एफआईआर दर्ज करने की तैयारी कर रही है।
सीबीआई के सूत्रों से पता चला है कि जांच एजेंसी ने एक सीलबंद लिफाफे में हरीश रावत स्टिंग मामले से जुड़ी रिपोर्ट नैनीताल हाईकोर्ट को सौंपी है।
बता दें कि 2016 में एक निजी समाचार चैनल ने हरीश रावत का स्टिंग ऑपरेशन कर लिया था। स्टिंग में दावा किया गया था कि हरीश रावत सूबे में अपनी सत्ता बचाए रखने के लिए कुछ विधायकों की खरीद-फरोख्त की बात कर रहे थे। स्टिंग सामने आने पर हंगामा कट गया था। उस दौरान कुछ कांग्रेसी विधायक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गए थे, जिससे सत्तारूढ़ कांग्रेस पर संकट आ गया था। हालांकि, उच्च न्यायालय और फिर सर्वोच्च न्यायालय का रुख करने पर राज्य में फिर से हरीश रावत सरकार बहाल हो गई थी।
रावत सरकार बहाल होने पहले कुछ दिन राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू रहा था। तब राज्यपाल ने केंद्र से सिफारिश की थी हरीश रावत स्टिंग मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई से कराई जाए। हालांकि रावत सरकार की बहाली के बाद राज्यपाल की इस सिफारिश को वापस लेने का प्रयास किया गया लेकिन केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार राज्य कैबिनेट की मांग से सहमत नहीं हुई और सीबीआई की प्रारंभिक जारी रही।
सीबीआई जांच के खिलाफ हरीश रावत ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। रावत की याचिका अदालत में अब भी लंबित है।