नक्सलियों की अब खैर नहीं! नक्सल प्रभावित इलाकों में अत्याधुनिक एच-145 हेलिकॉप्टर से रखी जाएगी नजर
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: May 22, 2019 08:14 AM2019-05-22T08:14:27+5:302019-05-22T08:14:27+5:30
है. महाराष्ट्र दिवस पर 1 मई को गढ़चिरोली जिले के जांभुलखेड़ा में नक्सलियों द्वारा किए गए विस्फोट में 15 जवान शहीद हो गए थे. यह प्रक्रिया राज्य सरकार के नक्सलविरोधी अभियान के अंतर्गत हथियार-सामग्री उपलब्ध कराने के लिए कार्यान्वित की जाएगी.
जमीर काजी, (मुंबई): नक्सलग्रस्त क्षेत्रों में बढ़ रही गतिविधियों पर अंकुश लगाने और उन पर नजर रखने के लिए अब नागपुर में अत्याधुनिक एच-145 हेलिकॉप्टर कार्यान्वित किया जाएगा. इसके प्रशिक्षण के लिए तीन पायलटों को फ्रांस भेजा जाएगा. उन्हें फ्रांस की एयरबस हेलिकॉप्टर उत्पादन कंपनी की ओर से हवाई उड़ान के लिए डीजीसीए/ ईएएसए मान्यताप्राप्त प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसके लिए राज्य सरकार कुल 3 करोड़ 86 लाख रुपए खर्च करेगी.
सूत्रों के अनुसार इस प्रस्ताव को सामान्य प्रशासन विभाग ने हाल ही में मंजूरी दे दी है. महाराष्ट्र दिवस पर 1 मई को गढ़चिरोली जिले के जांभुलखेड़ा में नक्सलियों द्वारा किए गए विस्फोट में 15 जवान शहीद हो गए थे. यह प्रक्रिया राज्य सरकार के नक्सलविरोधी अभियान के अंतर्गत हथियार-सामग्री उपलब्ध कराने के लिए कार्यान्वित की जाएगी. इस क्षेत्र के लिए फ्रांस की कंपनी द्वारा निर्मित एच 145 हेलिकॉप्टर खरीदे जाएंगे. इससे कम समय में दुर्गम क्षेत्रों में हथियार-सामग्री व अन्य सामग्री लाई- ले जाई जा सकेगी.
सूत्रों ने बताया कि तीन सरकारी पायलटों के लगभग एक माह के प्रशिक्षण के लिए निवास व दैनिक भत्ता मिलाकर क्रमश: 29 हजार 940 यूरो व 20 हजार 137 यूरो खर्च अपेक्षित है. भारतीय करेंसी में यह रकम 3 करोड़ 89 लाख 520 रुपए (यूरो : 77.69) होती है. पायलटों को प्रशिक्षण के लिए भेजने की प्रक्रिया जल्द पूरी की जाएगी. एच 145 की विशेषताएं एयरबस हेलिकॉप्टर कंपनी द्वारा निर्मित बहुउद्देशीय हेलिकॉप्टर की गति प्रति घंटे 240 किलोमीटर है.
इस हेलिकॉप्टर में 1 अथवा 2 चालक बैठ सकते हैं और ज्यादा से ज्यादा 9 यात्री आसन व्यवस्था है. यह हेलिकॉप्टर 3 घंटे 36 मिनट लगातार आकाश में रह सकता है और 3800 किलो वजन की ढुलाई कर सकता है. पूरी ईंधन क्षमता के अनुसार यह 561 किलोमीटर की यात्रा कर सकता है. उड़ान के दौरान हेलिकॉप्टर से रस्सी के जरिए जवानों को नीचे उतारना भी संभव है.