Gyanvapi Controversy: "वाराणसी कोर्ट का फैसला 'प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991' का खुला उल्लंघन है", असदुद्दीन ओवैसी ने कहा

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: February 1, 2024 08:09 AM2024-02-01T08:09:14+5:302024-02-01T08:11:33+5:30

असदुद्दीन ओवैसी ने ज्ञानवापी विवाद में वाराणसी की कोर्ट के दिये फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कोर्ट ने हिंदूओं को मस्जिद के तहखने में पूजा करने की अनुमति देकर 'प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991' का खुला उल्लंघन है।

Gyanvapi Controversy: "Varanasi court's decision is a blatant violation of 'Places of Worship Act 1991'", says Asaduddin Owaisi | Gyanvapi Controversy: "वाराणसी कोर्ट का फैसला 'प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991' का खुला उल्लंघन है", असदुद्दीन ओवैसी ने कहा

फाइल फोटो

Highlightsअसदुद्दीन ओवैसी ने ज्ञानवापी विवाद में वाराणसी की कोर्ट के दिये फैसले पर की टिप्पणी कोर्ट ने मस्जिद के तहखने में पूजा की अनुमति देकर 'प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट' का उल्लंघन किया हैमोदी सरकार यह नहीं कहती कि वे पूजा स्थल अधिनियम के साथ खड़े हैं, यह विवाद जारी रहेगा

नई दिल्ली: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वाराणसी की अदालत द्वारा हिंदू भक्तों को मस्जिद परिसर में स्थित 'व्यास का तेखाना' क्षेत्र में पूजा करने की अनुमति देने का फैसला 'प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991' का खुला उल्लंघन है।

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार एआईएमआईएम चीफ औवेसी ने कहा, ''वाराणसीकोर्ट के जिस जज ने यह फैसला सुनाया, उनके रिटायरमेंट से पहले का आखिरी दिन था। जज ने 17 जनवरी को डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को रिसीवर नियुक्त किया था और आखिरकार उन्होंने सीधे फैसला सुना दिया। उन्होंने खुद कहा कि 1993 के बाद से मस्जिद में कोई नमाज नहीं पढ़ी गई है। ऐसे में 30 साल हो गए हैं, फिर उन्हें कैसे पता कि मस्जिद के परिसर में मूर्ति है? यह सीधे तौर पर पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन है।"

असदुद्दीन ओवैसी ने आगे कहा कि वाराणसी की कोर्ट का दिया ज्ञानवापी मस्जिद के संबंध में दिया यह फैसला पूरी तरह से गलत है।

उन्होंने कहा, "कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि 7 दिनों के भीतर मस्जिद में लगे ग्रिल को खोल दिया जाए। जबकि अपील करने के लिए कम से कम 30 दिन का समय दिया जाना चाहिए था। यह पूरी तरह से गलत निर्णय है। जब तक मोदी सरकार यह नहीं कहती कि वे पूजा स्थल अधिनियम के साथ खड़े हैं, यह विवाद जारी रहेगा।"

हैदराबाद के सांसद ने कहा, "बाबरी मस्जिद स्वामित्व मुकदमे के फैसले के दौरान भी मैंने इस बात की आशंका व्यक्त की थी। पूजा स्थल अधिनियम 1991 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले की मूल संरचना का हिस्सा बनाया गया था, फिर भी निचली अदालतें उस आदेश का पालन क्यों नहीं कर रही हैं?"

उन्होंने आगे कहा कि इंतेजामिया मस्जिद कमेटी इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील करेगी। मालूम हो कि वाराणसी अदालत ने बीते बुधवार को हिंदू भक्तों को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर 'व्यास का तेखाना' क्षेत्र में पूजा करने की अनुमति दे दी।

कोर्ट ने अपने आदेश में जिला प्रशासन को अगले सात दिनों में इसके लिए जरूरी इंतजाम करने को कहा है। मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने एएनआई को बताया, "सात दिनों के भीतर पूजा शुरू हो जाएगी। सभी को पूजा करने का अधिकार होगा।"

कोर्ट के बाहर विष्णु शंकर जैन ने कहा, "हिंदू पक्ष को 'व्यास का तेखाना' में प्रार्थना करने की अनुमति है। जिला प्रशासन को 7 दिनों के भीतर व्यवस्था करनी होगी।"

मस्जिद के चार 'तहखाने' में एक अभी भी व्यास परिवार के कब्जे में है, जो वहां रहते हैं। व्यास ने याचिका दायर की थी कि वंशानुगत पुजारी के रूप में उन्हें तहखाना में प्रवेश करने और पूजा फिर से शुरू करने की अनुमति दी जाए।

Web Title: Gyanvapi Controversy: "Varanasi court's decision is a blatant violation of 'Places of Worship Act 1991'", says Asaduddin Owaisi

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