जानिए कौन हैं किरोड़ी सिंह बैंसला, वसुंधरा राजे सरकार की नाक में कर दिया था दम, गुर्जर आंदोलन में गई थीं 70 जानें
By रामदीप मिश्रा | Published: April 10, 2019 04:04 PM2019-04-10T16:04:06+5:302019-04-10T16:04:06+5:30
आरक्षण की मांग को लेकर साल 2015 में गुर्जरों ने आंदोलन छेड़ दिया था, जिसकी अगुवाई कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने की थी। इस आंदलन में करीब पांच हजार से अधिक गुर्जरों ने भरतपुर जिले में दिल्ली-मुंबई रेल ट्रैक उखाड़ दिया था।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला अपने बेटे विजय बैंसला के साथ बुधवार (10 अप्रैल) को एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गए। राजस्थान के करौली जिले के मुंडिया गांव में जन्में बैंसला गुर्जर समाज से आते हैं। वह सेना में सिपाही के पद पर भर्ती होकर कर्नल पद तक पहुंचे थे। रिटायर होने के बाद उन्होंने गुर्जर समाज की मांगों को पूरा कराने के लिए आवाज उठाई, जिसके बाद वह चर्चा में आ गए।
बैंसला की अगुवाई में गुर्जर आंदोलन हुआ था हिंसक
एक समय वह था जब बैंसला ने बीजेपी के नाक में दम कर दी थी और मांगे पूरी नहीं होने पर सूबे की सरकार को उखाड़ फेंकने तक की बात कर रहे थे। दरअसल, आरक्षण की मांग को लेकर साल 2015 में गुर्जरों ने आंदोलन छेड़ दिया था, जिसकी अगुवाई कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने की थी। इस आंदलन में करीब पांच हजार से अधिक गुर्जरों ने भरतपुर जिले में दिल्ली-मुंबई रेल ट्रैक उखाड़ दिया था और पूरा रेल ट्रैक ठप कर दिया था। यह आंदोलन हिंसक हो गया था और करीब 70 लोगों की जानें चली गई थीं। उस समय प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे थीं।
कांग्रेस सरकार में भी किया रेवले ट्रैक जाम
हालांकि गुर्जरों ने साल 2018 के आखिरी में प्रदेश में बनने वाली कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार के बाद फरवरी में एकबार फिर आंदोलन छेड़ दिया था और समाज के लोग पटरियों पर बैठ गए थे और रेलवे ट्रैक जाम कर दिया था। गुर्जरों की मांग थी कि उन्हें 5 फीसदी आरक्षण दिया जाए। इस आंदोलन की अगुवाई भी किरोड़ी सिंह बैंसला ने ही की थी और उनका कहना था कि वह 13 साल से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन ये आंदोलन शांतिपूर्ण रहा था।
टोंक-सवाईमाधोपुर सीट लड़ चुके चुनाव
ऐसा नहीं है कि बैंसला पहली बार बीजेपी में शामिल हुए हैं। वह 2009 में पार्टी की टिकट से टोंक-सवाईमाधोपुर सीट से मैदान में उतरे थे लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। कांग्रेस के नेता नमोनारायण मीणा ने उन्हे 317 वोटों से पराजित किया था। वहीं, 2013 के विधानसभा चुनाव में बैंसला ने कांग्रेस को समर्थन दे दिया था। हालांकि कुछ समय से कहा जा रहा है कि बैंसला का गुर्जर समाज में समर्थन कम हुआ है क्योंकि गुर्जर आंदोलन में हुई मौतों के बाद उन पर समाज को भटकाने के भी आरोप लगे थे।
13 साल से आरक्षण को लेकर उठ रही मांग
आपको बता दें, गुर्जरों ने आरक्षण के लिए 2006 में आंदोलन शुरू हुआ था। साल 2006 से लेकर 2018 तक गुर्जर समुदाय वसुंधरा सरकार में 4 बार और गहलोत सरकार में दो बार आंदोलन पर उतरा चुका है। इस दौरान किरोड़ी सिंह बैंसला का भी काफी प्रभाव रहा है और समाज ने उन्हें अपना नेता मानकर सरकार से मांगे पूरी करने के मांग उठाई । गुर्जरों ने वसुंधरा सरकार में 3 बार रेलवे ट्रैक जाम किया गया और गहलोत सरकार में दो बार रेलवे ट्रेक जाम किया।