लोकसभा चुनावः गुजरात में मुद्दे गौंण, प्रश्न एक ही प्रधानमंत्री कौन?
By महेश खरे | Published: May 8, 2019 08:31 AM2019-05-08T08:31:49+5:302019-05-08T08:31:49+5:30
2014 के चुनाव में गुजरात की सभी 26 सीटें भाजपा के खाते में गई थीं, इसलिए कांग्रेस के पास खोने के नाम पर कुछ भी नहीं है. मतदाता का जो मूड है वह भी बदला हुआ है. इसका लाभ कांग्रेस को मिलना तय माना जा रहा है.
गुजरात की 26 सीटों पर लोकसभा चुनाव में एक ही मुद्दा और एक ही सवाल केंद्र में है और वह है अगला प्रधानमंत्री कौन? भाजपा तो पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर ही मैदान में है, कांग्रेस ने भी राहुल गांधी के हाथ मजबूत करने के नाम पर वोट मांगे हैं. बीते 2014 के चुनाव में गुजरात की सभी 26 सीटें भाजपा के खाते में गई थीं, इसलिए कांग्रेस के पास खोने के नाम पर कुछ भी नहीं है. मतदाता का जो मूड है वह भी बदला हुआ है. इसका लाभ कांग्रेस को मिलना तय माना जा रहा है.
पिछले लोकसभा चुनाव में वोट शेयर का अंतर काफी था जो विधानसभा चुनाव में घट कर कम हो गया था. कई सीटों पर तो जीत-हार का अंतर 7 से 10 फीसदी का रह गया है. ऐसी लगभग 13 सीटें हैं जिनमें कांग्रेस ने उम्मीद लगा रखी है.
भाजपा के ही सुर बदले
भाजपा जो मिशन 26 को लेकर चुनाव मैदान में उतरी थी, अब वाररूम में जीताऊ सीटों पर मंथन के बाद उसके सुर में बदलाव आया है. हालांकि भाजपा नेता सभी सीटों पर जीत का दावा कर रहे हैं लेकिन बहुत कुरेदने पर यह भी कहने लगे हैं कि उन्हें कम से कम 24 सीट तो मिलना तय हैं. यानि 2014 और 2019 की सोच में थोड़ा फर्क आया है. इस हिसाब से कांग्रेस ज्यादा नहीं तो 6 से 8 सीटें जीतने के भरोसे के साथ है.
चुनाव मोदी वर्सेस राहुल
गुजरात की जमीन पर लोकसभा का चुनाव नरेंद्र मोदी वर्सेस राहुल गांधी के रूप में लड़ा जा रहा है. हालांकि महगठबंधन के साथ चुनाव बाद तालमेल की संभावनाओं को ध्यान में रखकर कांग्रेस ने अपना पीएम केंडिडेट घोषित नहीं किया है, लेकिन यह माना जा रहा है कि चुनाव बाद अगर महागठबंधन को सरकार बनाने लायक बहुमत मिलता है तो सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ही होगी और कांग्रेस के नेता राहुल ही होंगे. इसीलिए कांग्रेस भी राहुल के भरोसे ही है. कांग्रेस अध्यक्ष ने भी इस बार प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है. उनके मुद्दे भी जनता को आकर्षित करते नजर आ रहे हैं.
विकास से ज्यादा फोकस राष्ट्रवाद पर
भाजपा ने चुनाव प्रचार के दौरान राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा पर ज्यादा फोकस करते हुए विकास की चर्चा पर जोर कम ही दिया. मध्य प्रदेश में मुरैना की चुनावी सभा में भाजपा प्रमुख अमित शाह ने तो यह साफ शब्दों में कह भी दिया कि विकास से जरूरी राष्ट्रवाद और सुरक्षा है लेकिन राहुल किसान, महंगाई, बेरोजगारी और 72 हजार वाली न्याय योजना पर ही फोकस कर रहे हैं.