मोरबी ब्रिज हादसाः गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जारी किया नोटिस, 1 हफ्ते में मांगी रिपोर्ट
By अनिल शर्मा | Published: November 7, 2022 01:05 PM2022-11-07T13:05:48+5:302022-11-07T13:33:03+5:30
हादसे को लेकर अदालत ने गृह विभाग, शहरी आवास, मोरबी नगर पालिका, राज्य मानवाधिकार आयोग सहित राज्य सरकार के अधिकारियों को नोटिस जारी किया है।
अहमदाबादः गुजरात हाईकोर्ट ने मोरबी ब्रिज हादसे का स्वत: संज्ञान लिया है। हादसे को लेकर अदालत ने गृह विभाग, शहरी आवास, मोरबी नगर पालिका, राज्य मानवाधिकार आयोग सहित राज्य सरकार के अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। साथ ही राज्य से एक सप्ताह के भीतर पूरी घटना की रिपोर्ट मांगी है।
मोरबी में ब्रिटिश काल का ‘सस्पेंशन ब्रिज’ 30 अक्टूबर को टूट कर गिर गया था, जिसमें 135 लोग मारे गए थे। मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष शास्त्री की एक खंडपीठ ने मुख्य सचिव के जरिए गुजरात सरकार, राज्य के गृह विभाग, नगर पालिकाओं के आयुक्त, मोरबी नगर पालिका, जिला कलेक्टर तथा राज्य मानवाधिकार आयोग को नोटिस जारी किया। मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी।
अदालत ने मुख्य सचिव और गृह सचिव से अगले सोमवार तक मामले पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा है। राज्य के मानवाधिकार आयोग को भी 14 नवंबर तक मामले पर एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। अदालत ने एक समाचार पत्र की खबर के आधार पर घटना का स्वत: संज्ञान लिया।
गौरतलब है कि गुजरात सरकार ने मोरबी शहर में पुल गिरने की घटना के मद्देनजर मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीप सिंह जाला को निलंबित कर दिया है। हादसे में मरने वालों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। मोरबी के जिला अधिकारी जी. टी. पंड्या ने बीते दिनों कहा था कि ''राज्य शहरी विकास विभाग ने मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीप सिंह जाला को निलंबित कर दिया है।'' उन्होंने बताया कि मोरबी के रेजिडेंट अपर कलेक्टर को अगले आदेश तक मुख्य अधिकारी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। अधिकारियों के मुताबिक मोरबी नगर पालिका ने 15 साल के लिए ओरेवा समूह को पुल की मरम्मत और रखरखाव का ठेका दिया था। पुल गिरने की घटना के सिलसिले में पुलिस अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।