केंद्र में गुजरात कैडर के अधिकारियों का बोलबाला, ट्राई से बीएसएफ तक PM मोदी की पसंद के अफसरों की नियुक्ति
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: October 8, 2020 08:49 AM2020-10-08T08:49:40+5:302020-10-08T08:49:40+5:30
2010 से 2014 के बीच मुख्यमंत्री रहते हुए मोदी के दिल्ली उदय के गवाह भी भारत लाल रहे हैं. सीबीआई के सर्वाधिक विवादित कार्यकाल से चर्चा में आए राकेश अस्थाना को बीएसएफ का प्रमुख बनाया गया.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के छह साल के कार्यकाल में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से कैबिनेट कमेटी ऑफ एप्वाइंटमेंट तक, ट्राई से बीएसएफ तक गुजरात कैडर के अधिकारियों की ही नियुक्ति की गई है. हालांकि, ये आंकड़े काफी प्रभावी हैं, लेकिन, गृह, रक्षा, वित्त और विदेश मंत्रालयों के सचिव पद पर गुजरात प्रभाव नजर नहीं आता है. हाल ही में गुजरात कैडर के अधिकारी पी.डी. वाघेला की ट्राई के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति की गई.
वाघेला ने गुजरात में जीएसटी का प्रभावी कार्यान्वयन किया था. इस वजह से उन्हें दिल्ली लाया गया. कैग के अध्यक्ष पद पर जी.सी. मुर्मू, केंद्रीय ऊर्जा नियामक आयोग का जिम्मा पी.के. पुजारी, खाद्यान्न एवं सुरक्षा प्राधिकरण की जिम्मेदारी रीता टिटोया को सौंपी गई है. पीएमओ से सेवानिवृत्त हुए गुजरात कैडर के अधिकारी राजीव टोपणे की जगह हार्दिक शाह को मोदी के निजी सचिव की जिम्मेदारी दी गई है.
अधिकारियों को मोदी ने बड़े पदों पर काम करने का दिया मौका
पीएमओ से लेकर प्रमुख मंत्रालयों में अधिकारियों की नियुक्ति के सर्वाधिकार रखनेवाली कैबिनेट कमेटी ऑफ एप्वाइंटमेंट के सचिव पद पर भी गुजरात कैडर के के. श्रीनिवास को मोदी ने नियुक्त किया. महत्व के पदों के लिए हालांकि सिर्फ गुजरात कैडर होना ही योग्यता नहीं रही, मोदी ने उनकी कार्यक्षमता को भी कसौटी पर कसा. उद्योग संवर्धन सचिव का पद गुरुप्रसाद महापात्रा और लघु उद्योग सचिव पद ए.के. शर्मा को दिया गया.
वरिष्ठ अधिकारियों का दावा है कि शालेय शिक्षा सचिव नीता करवाल, नीति आयोग के विशेष सचिव आर. पी. गुप्ता की नियुक्त भी भारी नीतिगत फेरबदल के मद्देनजर की गई. सिर्फ आईएएस ही नहीं आईआरएस, आईएफएस अधिकारियों को भी मोदी ने बड़े पदों पर काम करने का मौका दिया. जलशक्ति मंत्रालय के अपर सचिव भारत लाल को भी मोदी गुजरात से ही लाए.
खास बात यह है कि 2010 से 2014 के बीच मुख्यमंत्री रहते हुए मोदी के दिल्ली उदय के गवाह भी भारत लाल रहे हैं. सीबीआई के सर्वाधिक विवादित कार्यकाल से चर्चा में आए राकेश अस्थाना को बीएसएफ का प्रमुख बनाया गया. अब एनसीबी की जिम्मेदारी उनके पास है, जो सुशांत सिंह आत्महत्या केस में ड्रग्स कनेक्शन की जांच कर रही है.