सार्वजनिक और निजी स्थानों पर जानवरों की कुर्बानी नहीं दी जाए, अहमदाबाद और सूरत में आदेश जारी, धारा 144 जारी
By भाषा | Published: July 27, 2020 01:52 PM2020-07-27T13:52:44+5:302020-07-27T13:52:44+5:30
अहमदाबाद और सूरत में सार्वजनिक रूप से जानवरों की कुर्बानी प्रतिबंधित कर दिया गया है। पुलिस आयुक्त ने कहा कि लोगों की भावनाएं आहत हो सकती है और सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगड़ सकता है।
अहमदाबादः बकरीद से कुछ दिन पहले अहमदाबाद और सूरत के पुलिस आयुक्तों ने आदेश जारी करके कहा है कि उन सार्वजनिक और निजी स्थानों पर जानवरों की कुर्बानी नहीं दी जाए, जहां से आम लोगों को यह दिखे।
अहमदाबाद पुलिस आयुक्त आशीष भाटिया और उनके सूरत के समकक्ष आर बी ब्रह्मभट्ट ने रविवार को यह अधिसूचना जारी की है। यह अधिसूचना सीआरपीसी की धारा 144 के तहत कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जारी किया गया।
इसमें कहा गया है, ‘‘उन सार्वजनिक और निजी स्थानों पर ईद-अल-अजहा के मौके पर कुर्बानी देने पर रोक है, जहां से यह आम लोगों को दिख सकता है।’’ अधिसूचना में कहा गया है कि सार्वजनिक कुर्बानी से, ‘‘अन्य विश्वास के लोगों की भावनाएं आहत हो सकती है और सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगड़ सकता है।’’
आदेश में कहा गया है कि कोरोना वायरस के मद्देनजर प्रतिबंध अनिवार्य है। अधिसूचना में जानवरों को सजाने और कुर्बानी से पहले जुलूस निकालने पर भी प्रतिबंध है। कुर्बानी के बाद जानवरों के अवशेष भी सार्वजनिक स्थान पर फेंके जाने से मनाही है।
बकरीद के सिलसिले में परामर्श जारी : नफिल कुर्बानी न करके गरीबों को धन सदका करें
रमजान और त्योहारों को लेकर मार्गदर्शन करने वाले ‘इस्लामिक सेंटर ऑफ इण्डिया’ ने बकरीद के मद्देनजरपरामर्श जारी किया जिसमें हर हाल में कानून के दायरे में रहते हुए कुर्बानी को अंजाम देने की हिदायत दी गयी है।
इस्लामिक सेन्टर ऑफ इण्डिया फरंगी महल के चेयरमैन मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि कोविड-19 के सिलसिले में अन्तरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन के उपायों और सरकार के सुरक्षा के आदेशों और मजहबी उसूलों की रोशनी में यह परामर्श जारी किया गया है।
परामर्श के मुताबिक, ‘‘ईद उल अज़हा में हर साहिब-ए-हैसियत मुसलमान पर कुर्बानी करना वाजिब है। इसलिए कानूनी दायरे में रहते हुए कुर्बानी को जरूरी अंजाम दें। जो लोग अपनी कुर्बानी के साथ साथ हर साल नफली कुर्बानियां कराते थे वह मौजूदा कोविड—19 महामारी से पैदा हालात को देखते हुए नफिल कुर्बानी में खर्च होने वाला धन गरीबों को या मदरसों में दे दें।’
मौलाना खालिद रशीद ने मुसलमानों से अपील की कि वे कोविड-19 जैसी महामारी को देखते हुए ईद उल अज़हा की इबादत की और अपनी खुशी का इजहार उसी तरह करें, जैसे शब-ए-बरात, रमाजन के आखिरी जुमे और ईद उल फित्र के मौकों पर किया था।