लॉकडाउन का असरः फैक्ट्रियां खुलने के कुछ दिन बाद फिर से हुईं बंद, मजदूरों की कमी से जूझ रहे हैं मालिक
By रामदीप मिश्रा | Published: June 19, 2020 07:46 AM2020-06-19T07:46:53+5:302020-06-19T07:46:53+5:30
Gujarat: आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान कपड़ा और डायमंड इंडस्ट्री में काम करने वाले 12 लाख से अधिक प्रवासी मजदूर अपने गांव वापस चले गए हैं।
अहमदाबादः कोरोना वायरस के फैले प्रकोप को कम करने के लिए देश को लॉकडाउन करना पड़ा। इस दौरान लाखों की संख्या में शहरों से प्रवासी मजदूरों ने पलायन किया। लॉकडाउन में रियायत मिलने के बाद बंद पड़ी फैक्ट्रियों को दोबारा खोला गया। हालांकि वे फिर से बंद हो गई हैं फैक्ट्रियां मजदूरों की कमी का सामना कर रही हैं।
लॉकडाउन के बाद सूरत के डायमंड नगर में 15 पावरलूम कारखाने मजदूरों की कमी के कारण पिछले दो दिनों से बंद पड़े हैं। लस्काना क्षेत्र में लगभग 1200 पावरलूम कारखाने हैं। यहां अधिकतर मजदूर ओडिशा से काम करने आते हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान कपड़ा और डायमंड इंडस्ट्री में काम करने वाले 12 लाख से अधिक प्रवासी मजदूर अपने गांव वापस चले गए हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, लस्काना डायमंड नगर इंडस्ट्रियल एस्टेट के उपाध्यक्ष हरिभाई कठेरिया ने कहा, 'पहले अनलॉक के बाद लगभग 15 प्रतिशत कारखानों ने काम करना शुरू कर दिया। कारखाने सुबह 8 से शाम 7 बजे तक चल रहे थे। पिछले कुछ दिनों में मजदूरों की कमी के कारण 15 कारखाने को बंद करने पड़े हैं।'
कपड़ा फैक्ट्री मालिक ने कहा- सभी मजदूर भाग गए गांव
एक कपड़ा फैक्ट्री के मालिक चेतन रमानी, जिन्हें श्रमिकों की कमी के कारण बुधवार को अपनी फैक्ट्री बंद करनी पड़ी है उन्होंने कहा, 'लॉकडाउन से पहले मेरे कारखाने में 35 मजदूर काम कर रहे थे। एक मजदूर छह मशीनों को संभाल सकता है, जबकि कुछ कपड़े की गुणवत्ता के आधार पर आठ को भी संभाल सकता है। जब 23 मई को कारखाना फिर से खुला, मेरे पास केवल चार मजदूर बचे थे। उन्होंने लगभग 35 लूम मशीनों की देखभाल की। अब वे भी ओडिशा लौट गए हैं इसलिए मुझे कारखाना बंद करना पड़ा।'
उन्होंने कहा कि एक बार जब मजदूर अपने गृह राज्य में पहुंच जाते हैं, तो उन्हें शुरू में 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन रखा जाता है। इसके बाद ही वे अपने रिश्तेदारों से मिल पाते हैं। हमें उम्मीद है कि वे डेढ़ महीने बाद वापस आएंगे। साथ ही साथ हमें पता नहीं है कि उद्योग कब सुचारू रूप से काम करना शुरू करेंगे।