अगर किसान केन्द्र की पेशकश पर विचार करें तो सरकार बातचीत को तैयार: तोमर

By भाषा | Published: February 24, 2021 05:23 PM2021-02-24T17:23:31+5:302021-02-24T17:23:31+5:30

Govt ready to negotiate if farmers consider Center's offer: Tomar | अगर किसान केन्द्र की पेशकश पर विचार करें तो सरकार बातचीत को तैयार: तोमर

अगर किसान केन्द्र की पेशकश पर विचार करें तो सरकार बातचीत को तैयार: तोमर

नयी दिल्ली, 24 फरवरी केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को कहा कि अगर किसान कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक स्थगित रखने और इस दौरान संयुक्त समिति के माध्यम से मतभेद सुलझाने की केन्द्र की पेशकश पर विचार करने को तैयार हों तो सरकार आंदोलनरत किसानों के साथ बातचीत को तैयार है ।

सरकार और किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों के बीच अभी तक 11 दौर की बातचीत हो चुकी है और अंतिम बातचीत 22 जनवरी को हुई थी। 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस के दिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के बाद दोनों पक्षों में बातचीत बंद हो गई।

गौरतलब है कि किसान केन्द्र द्वारा पिछले साल बनए गए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की मांग को लेकर नवंबर, 2020 के अंत से ही दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं।

एक समारोह से इतर तोमर ने कहा कि सरकार किसानों और कृषि क्षेत्र के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वह किसानों की आय दोगुनी करने और भारतीय कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने का प्रयास कर रही है।

मंत्री भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) नेता राकेश टिकैत की धमकी के संबंध में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। टिकैत ने चेतावनी दी है कि अगर कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो 40 लाख ट्रैक्टरों के साथ संसद तक मार्च निकाला जाएगा।

सरकार किसानों के साथ बातचीत शुरू करने का प्रयास कर रही है या नहीं, इस पर केन्द्रीय मंत्री तोमर ने कहा, ‘‘भारत सरकार किसानों से पूरी संवेदना के साथ चर्चा करती रही है। आज भी जब उनका कोई मत (विचार) आएगा, तो भारत सरकार हमेशा किसानों के साथ चर्चा करने को तैयार है।’’

हजारों की संख्या में किसान, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कियान पिछले करीब तीन महीने से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। वे केन्द्र के कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग कर रहे हैं।

सरकार की 41 किसान संगठनों के साथ 22 जनवरी को हुई 11वें दौर की बातचीत आंदोलनकारियों द्वारा केन्द्र का प्रस्ताव पूरी तरह ठुकराए जाने के बाद से रूकी हुई है।

केन्द्र ने किसानों को प्रस्ताव दिया है कि तीनों कानूनों को डेढ़ साल तक स्थगित करके उस अवधि में संयुक्त समिति गठित कर सभी चिंताओं को दूर किया जाए, लेकिन किसान कानूनों को पूरी तरह वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

20 जनवरी को हुई 10वें दौर की बातचीत में केन्द्र ने उक्त पेशकश करते हुए आंदोलन कर रहे किसानों को घर लौटने और दिल्ली की सीमाएं खाली करने को कहा था।

किसान संगठनों का आरोप है कि नए कानूनों के कारण मंडियां और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद समाप्त हो जाएगी और किसान बड़े कॉरपोरेट के भरोसे पर रह जाएगा। हालांकि सरकार ने इन्हें सिर्फ भ्रम करार दिया है।

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