सरकार ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन एपीआई और इसके फार्मुलेशन के निर्यात से रोक हटाई

By सुमित राय | Published: June 18, 2020 08:58 PM2020-06-18T20:58:49+5:302020-06-18T21:26:53+5:30

सरकार ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन एपीआई और इसके फार्मुलेशन के निर्यात से रोक हटा दी है।

Govt lifts export ban on anti-malarial drug hydroxychloroquine api | सरकार ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन एपीआई और इसके फार्मुलेशन के निर्यात से रोक हटाई

सरकार ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन एपीआई और इसके फार्मुलेशन के निर्यात से रोक हटा दी है। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsसरकार ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन (एचसीक्यू) एपीआई और इसके फॉर्मुलेशन के निर्यात से रोक हटा दी है। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा शुरुआती दौर में कोविड-19 की रोकथाम और इलाज में अग्रणी दवा बनकर उभरी थीं।

भारत सरकार ने मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन (एचसीक्यू) को बनाने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल को एक्टिव फार्मास्युटिकल्स एंग्रिडिएंट्स (एपीआई) और इसके फॉर्मुलेशन के निर्यात से रोक हटा दी है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने यह जानकारी दी। बता दें कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा शुरुआती दौर में कोविड-19 की रोकथाम और इलाज में अग्रणी दवा बनकर उभरी थीं।

विदेश व्यापार महानिदेशालय (DFFT) ने एक अधिसूचना में कहा, "हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन एपीआई (सक्रिय दवा सामग्री) और इसके फॉर्मुलेशन की निर्यात पॉलिसी में बदलाव किया गया है और तत्काल प्रभाव से इसके निर्यात को मुक्त किया गया है।"

कोविड-19 से मौत रोकने कारगर नहीं हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक शीर्ष वैज्ञानिक ने कहा कि यह साबित हो गया है कि मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती हुए लोगों की मौत रोकने में कारगर नहीं है। डॉ सौम्या स्वामीनाथन का कहना है कि लोगों को कोविड-19 के संक्रमण की चपेट में आने से रोकने में इस दवा की भूमिका हो सकती है।

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन कोविड-19 से मौतों को नहीं रोक पाएगी। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन कोविड-19 से मौतों को नहीं रोक पाएगी। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

कोविड-19 के लिए पोलियो का टीका ‘परीक्षण योग्य’

कोविड-19 के इलाज के लिए पोलियो के टीके का परीक्षण करने के अंतरराष्ट्रीय अनुसंधानकर्ताओं के सुझाव पर सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय वैज्ञानिकों ने कहा कि कुछ वैज्ञानिक अवधारणाओं के आधार पर यह ‘परीक्षण योग्य’ है लेकिन संक्रमण के खिलाफ सीमित संरक्षण ही प्रदान कर सकता है। कोविड-19 के इलाज के लिए टीका बनने में अभी कम से कम एक साल लग सकता है, ऐसे में वैज्ञानिकों का कहना है कि तत्काल राहत के लिए पहले से सुरक्षित और प्रभावी टीकों का पुन: उपयोग एक तरीका हो सकता है।

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