सरकार सुनिश्चित करें, जेलों में जाति के आधार पर काम न दिया जाए : अदालत
By भाषा | Updated: December 20, 2020 20:51 IST2020-12-20T20:51:15+5:302020-12-20T20:51:15+5:30

सरकार सुनिश्चित करें, जेलों में जाति के आधार पर काम न दिया जाए : अदालत
जोधपुर, 20 दिसंबर राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि जेलों में कैदियों को जाति के आधार पर शौचालय साफ करने को मजबूर नहीं किया जाए।
उच्च न्यायालय ने कहा कि विचाराधीन कैदियों को ऐसे काम नहीं दिए जाएं।
अदालत ने स्वयंसेवी संगठन कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (सीएचआरआई) के शोध पत्र पर स्वतः संज्ञान लिया है।
इस प्रथा पर नाखुशी जताते हुए न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति दवेंद्र कछवाहा की पीठ ने कहा कि ब्रिटिश शासन के "तोहफे" जेल मैन्युल का अब तक अनुसरण किया जा रहा है।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख चार फरवरी को मुकर्रर की है और राज्य सरकार से यह बताने को कहा है कि जेल मैन्युल में बदलाव करने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए।
अदालत ने यह भी कहा कि राज्य सरकार सभी जेलों में स्वचालित स्वच्छता मशीनें लगाने पर विचार करे।
इससे पहले स्वयंसेवी संगठन की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि जेल में जाने के बाद हर व्यक्ति से उसकी जाति के बारे में पूछा जाता है और समाज के निचले तबके से आने वाले लोगों को शौचालय साफ करने और झाड़ू लगाने के काम दिए जाते हैं।
रिपोर्ट कहती है, “ जो निचली जातियों से आते हैं वह साफ-सफाई का काम करते हैं और जो ऊंची जातियों से होते हैं वे रसोई या विधि दस्तावेज विभाग में काम करते हैं। अमीर और प्रभावशाली कुछ नहीं करते हैं। इस व्यवस्था का उस अपराध से कुछ लेना देना नहीं है जिसमें शख्स गिरफ्तार हुआ है। सब कुछ जाति के आधार था।
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