सरकार की नक्सलियों के खिलाफ अभियान तेज करने, उनकी वित्तीय मदद रोकने की योजना

By भाषा | Updated: September 26, 2021 16:31 IST2021-09-26T16:31:58+5:302021-09-26T16:31:58+5:30

Government plans to intensify campaign against Naxalites, stop their financial help | सरकार की नक्सलियों के खिलाफ अभियान तेज करने, उनकी वित्तीय मदद रोकने की योजना

सरकार की नक्सलियों के खिलाफ अभियान तेज करने, उनकी वित्तीय मदद रोकने की योजना

नयी दिल्ली, 26 सितंबर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में रविवार को यहां हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में नक्सलियों के खिलाफ अभियान तेज करने और उन्हें मिलने वाली वित्तीय सहायता को रोकने के दो प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

इस बैठक में छह मुख्यमंत्रियों और चार अन्य राज्यों के शीर्ष अधिकारियों ने भाग लिया। लगभग तीन घंटे तक चली बैठक के दौरान माओवादियों के मुख्य संगठनों के खिलाफ कार्रवाई, सुरक्षा के क्षेत्र में खालीपन को भरने और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) एवं राज्य पुलिस द्वारा ठोस कार्रवाई जैसे अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा की गई।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बैठक में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भाग लिया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी और केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन बैठक में शामिल नहीं हुए, लेकिन इन चार राज्यों का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिकारियों ने किया।

सूत्रों ने बताया कि बैठक में नक्सलियों के खिलाफ अभियान तेज करने, सुरक्षा के क्षेत्र में पैदा हुए खालीपन को भरने, चरमपंथियों को मिलने वाली आर्थिक मदद का प्रवाह रोकने और ईडी, एनआईए और राज्य पुलिस द्वारा ठोस कार्रवाई किए जाने पर चर्चा की गई।

बैठक में नक्सली मामलों की जांच करने और अभियोग चलाने, नक्सलियों से जुड़े मुख्य संगठनों के खिलाफ कार्रवाई, राज्यों के बीच समन्वय, राज्य खुफिया शाखाओं और राज्यों के विशेष बलों का क्षमता निर्माण और मजबूत पुलिस थानों के निर्माण पर चर्चा की गई।

गृह मंत्री ने मुख्यमंत्रियों और अधिकारियों के साथ मिलकर नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा स्थिति और माओवादियों के खिलाफ चल रहे अभियानों तथा विकास परियोजनाओं की समीक्षा की।

शाह ने इन राज्यों की जरूरतों, उग्रवादियों से निपटने के लिए तैनात बलों की संख्या, नक्सल प्रभावित इलाकों में किए जा रहे सड़कों, पुलों, विद्यालयों और स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण जैसे विकास कार्यों का जायजा लिया।

ओडिशा के मुख्यमंत्री पटनायक ने कहा कि उनके राज्य में माओवादी समस्या केवल तीन जिलों तक सिमट गई है। बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि इसे और कम करने के लिए क्या किया जाना चाहिए।

बैठक में जिन विकास मुद्दों पर चर्चा की गई, उनमें सड़कों को जोड़ने, सड़कों के दीर्घकाल से लंबित निर्माण में तेजी लाने, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पिछले पांच वर्ष में स्थापित मोबाइल टावरों का उन्नयन कर दूरसंचार नेटवर्क में सुधार करने और खराब नेटवर्क वाले क्षेत्रों में अधिक मोबाइल टावरों की स्थापना का अभियान शामिल हैं।

केंद्र सरकार माओवाद प्रभावित जिलों की सभी ग्राम पंचायतों में एकलव्य स्कूल स्थापित करने और डाकघरों का कवरेज सुनिश्चित करने की भी योजना बना रही है।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, गिरिराज सिंह, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय भी बैठक में शामिल हुए। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, खुफिया ब्यूरो के निदेशक अरविंद कुमार, केंद्र एवं राज्य सरकारों के वरिष्ठ असैन्य एवं पुलिस अधिकारी भी इसमें शामिल हुए।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश में माओवादी हिंसा में काफी कमी आई है और यह खतरा अब लगभग 45 जिलों में है। हालांकि, देश के कुल 90 जिलों को माओवाद प्रभावित माना जाता है और ये मंत्रालय की सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) योजना के अंतर्गत आते हैं।

नक्सल समस्या को वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) भी कहा जाता है। यह समस्या 2019 में 61 जिलों में और 2020 में 45 जिलों में देखी गई। देश में 2015 से 2020 तक वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में विभिन्न हिंसात्मक गतिविधियों के कारण लगभग 380 सुरक्षाकर्मी, 1,000 असैन्य नागरिक और 900 नक्सली मारे गए हैं। आंकड़ों में कहा गया है कि इसी अवधि के दौरान कुल 4,200 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण भी किया है।

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Web Title: Government plans to intensify campaign against Naxalites, stop their financial help

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