सीएम गहलोत ने मोदी सरकार पर बोला हमला, कहा- देश में आज फासिस्ट सोच के लोगों की सरकार, जिसके चलते लोकतंत्र खतरे में
By धीरेंद्र जैन | Published: October 19, 2019 05:42 AM2019-10-19T05:42:03+5:302019-10-19T05:42:03+5:30
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के किसानों के हित में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री-अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम आशा) के तहत संचालित मूल्य समर्थन योजना के दिशा-निर्देशों में आवश्यक परिवर्तन का आग्रह किया है।
राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार केन्द्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि देश में आज फासिस्ट सोच के लोगों की सरकार है जिसके चलते लोकतंत्र खतरे में है। शुक्रवार को ही महाराष्ट्र दौरे से जयपुर लौटे मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष की भावनाओं का भी सम्मान होना चाहिए लेकिन भाजपा के फासिस्टवादी लोगों की सोच है कि देश में एक पार्टी की ही सरकार बनी रहे और अन्य दल डमी के रूप में काम करते रहें और कागज पर ही चलते रहे। गहलोत ने कहा कि हमारी लडाई भाजपा और आरएसएस से नहीं बल्कि हमारी लड़ाई विचारधारा की है।
उन्होंने कहा कि भाजपा देश में राष्ट्रवाद और धर्म के नाम पर राजनीति कर रही है, जबकि राजनीति की लडाई विचारधारा, नीतियों और कार्यक्रमों की होनी चाहिए। जनता के लिए हम क्या करना चाहते हैं। राजनीति में मुद्दे आधारित होनी चाहिए। जनता को इनसे पूछना चाहिए कि जनता के हितों के लिए आपने क्या क्या कार्य किये।
इधर, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के किसानों के हित में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री-अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम आशा) के तहत संचालित मूल्य समर्थन योजना के दिशा-निर्देशों में आवश्यक परिवर्तन का आग्रह किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री से दलहन एवं तिलहन की समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए भारत सरकार की इस योजना में संशोधन की मांग की है ताकि राज्य के किसानों को अधिकाधिक लाभ मिल सके।
मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्तमान में योजना के तहत दलहन व तिलहन के कुल उत्पादन की 25 प्रतिशत सीमा ही समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए निर्धारित की हुई है, इस कारण बहुत से किसानों की उपज की खरीद नहीं हो पाती है। उन्होंने समर्थन मूल्य पर खरीद की सीमा उत्पादन का 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की मांग की है।
अशोक गहलोत ने पत्र में कहा है कि योजना में एक किसान से एक दिन में अधिकतम 25 क्विंटल उपज खरीदने की अधिकतम सीमा निर्धारित होने के कारण किसान को एक ही बार में अपनी उपज बेचने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि योजना के दिशा-निर्देशों में एक किसान से प्रतिदिन खरीद की अधिकतम सीमा को हटाया जाए या इसमें वृद्धि की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना में खरीद के लिए 90 दिवस की अवधि ही निर्धारित की गई है। इस अवधि के कम होने के कारण खरीद प्रक्रिया पर अत्यधिक दबाव रहता है और खरीद केन्द्रों पर भीड़ के कारण व्यवस्था बनाए रखने में बाधा आती है।
मुख्यमंत्री ने आग्रह किया है कि इस 90 दिवस की अवधि को बढ़ाकर कम से कम 150 दिन किया जाना उचित होगा ताकि किसानों को अगली फसल की तैयारी के लिए भी पर्याप्त समय मिल सके और वे बिना किसी परेशानी के खरीद केन्द्रों पर अपनी उपज बेच सकें।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में खरीफ की मूंग, उड़द, सोयाबीन एवं मूंगफली की खरीद प्रक्रिया जल्द प्रारम्भ होने वाली है तथा इसके प्रस्ताव केन्द्र को भिजवाए जा चुके हैं। उन्होंने अनुरोध किया है कि दलहन एवं तिलहन के उत्पादन में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले राजस्थान के मेहनतकश किसानों के हित में इस योजना की बाधाओं को प्रधानमंत्री शीघ्र दूर करें।
उन्होंने कहा है कि इससे किसान उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के लिए प्रेरित होंगे एवं राज्य के साथ-साथ देश में कृषि विकास, खाद्य सुरक्षा एवं मूल्य स्थिरीकरण को बढ़ावा मिलेगा।