कोविड-19 रोधी टीकों की उपलब्धता को लेकर सरकार विभिन्न टीका विनिर्माताओं के संपर्क में : सुचिता निनावे

By भाषा | Published: April 25, 2021 04:17 PM2021-04-25T16:17:43+5:302021-04-25T16:17:43+5:30

Government in touch with various vaccine manufacturers regarding availability of anti-Kovid-19 vaccines: Suchita Ninave | कोविड-19 रोधी टीकों की उपलब्धता को लेकर सरकार विभिन्न टीका विनिर्माताओं के संपर्क में : सुचिता निनावे

कोविड-19 रोधी टीकों की उपलब्धता को लेकर सरकार विभिन्न टीका विनिर्माताओं के संपर्क में : सुचिता निनावे

(दीपक रंजन)

नयी दिल्ली, 25 अप्रैल जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सलाहकार डॉ. सुचिता निनावे ने कहा है कि देश में कोविड-19 रोधी टीके की मांग के अनुरूप उत्पादन संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत सरकार विभिन्न विनिर्माताओं के साथ ‘सक्रिय संपर्क’ में है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत में आपात उपयोग के लिए मंजूर किए गए तीनों टीके कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभावी हैं।

निनावे ने यह भी कहा कि दुनियाभर में ‘सार्स कोव-2’ के उभरते स्वरूप को लेकर ऐसे उत्परिवर्ती वायरस का पता चला है जिनमें व्यक्ति के शरीर में मौजूद प्रतिरक्षा प्रणाली से बचने की क्षमता है लेकिन इसकी संभावना नहीं है कि ये (वायरस) टीके के कारण उत्पन्न प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से बच निकलें।

उन्होंने ‘भाषा’ के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘‘ विभाग ने सार्स कोव-2 जीनोम की श्रृंखला को लेकर अध्ययन किया ताकि देश के विभिन्न भागों में वायरस के उभरते स्वरूप की पहचान की जा सके। अध्ययन में यह बात सामने आई कि सार्स कोव-2 के विभिन्न प्रारूप भारत में मौजूद हैं जो संभवत: यूरोप, अमेरिका, पूर्वी एशिया की लोगों की यात्रा के माध्यम से प्रवेश कर गए हैं।’’

निनावे ने बताया कि यह पाया गया है कि वायरस का एक गुणसूत्र स्वरूप मार्च-मई के दौरान प्रभावी रहा है जबकि एक अन्य स्वरूप जून में उभरता है।

टीके का उत्पादन बढ़ाने संबंधी एक सवाल के जवाब में जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) की सलाहकार ने कहा कि टीके का उत्पादन तेजी से बढ़ाना एक जटिल प्रक्रिया है और इसमें समय लगता है। हालांकि भारत में तीन टीकों को मंजूरी मिलने एवं उत्पादन क्षमता बढ़ाने के प्रयासों के मद्देनजर 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के टीकाकरण की प्रतिबद्धताओं को पूरा करना कठिन नहीं होगा।

डॉ. निनावे ने कहा कि भारत में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के ‘कोविशील्ड’ और भारत बायोटेक के ‘कोवैक्सीन’ टीके को जनवरी 2021 में आपात उपयोग संबंधी मंजूरी दी गई जबकि अप्रैल के प्रारंभ में रूसी टीके स्पूतनिक- वी को मंजूरी मिली।

उन्होंने कहा कि स्पूतनिक- वी जल्द ही उपयोग में आना शुरू हो जाएगा।

निनावे ने कहा, ‘‘भारत सरकार कोविड-19 रोधी टीकों को लेकर विभिन्न विनिर्माताओं के साथ सक्रिय संपर्क में है ताकि मांग के अनुरूप उत्पादन संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें आवश्यक सुविधा एवं विनियामक सहयोग प्रदान किया जा सके।’’

उन्होंने कहा कि वायरस का नया स्वरूप सामने आने के बाद इसे परखने और मानकों को सुदृढ़ बनाने की जरूरत सामने आई है। ऐसे में भारत सार्स-कोव-2 जीनोमिक कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी) पहल के तहत वायरस को पृथक करने, रोगाणुओं की वृद्धि संबंधी जानकारी जुटाने के साथ भंडार केंद्र के रखरखाव का कार्य जैव प्रौद्योगिकी विभाग-क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केंद्र, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद-कोशिकीय एवं आण्विक जीव विज्ञान केंद्र में हो रहा है।

निनावे ने कहा कि हाल के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि ‘कोविशील्ड’ टीका वायरस के बी.1.617 स्वरूप या दोहरे उत्परिवर्ती स्वरूप के खिलाफ प्रभावी है। वहीं, ‘कोवैक्सीन’ के बारे में यह बात सामने आई है कि यह दोहरे उत्परिवर्ती स्वरूप सहित ‘सार्स-कोव-2’ स्वरूप को निष्क्रिय करता है जबकि स्पूतनिक-वी के बारे में कहा गया है कि यह ब्रिटेन में पाए गए उत्परिवर्ती स्वरूप के खिलाफ प्रभावी है।

उन्होंने कहा, ‘‘ वायरस के उभरते स्वरूप को लेकर टीके के प्रभावी होने के संबंध में और अध्ययन किए जा रहे हैं।’’

टीके के उत्पादन के संबंध में एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के पास ‘कोविशील्ड’ की वर्तमान उत्पादन क्षमता सात करोड़ खुराक प्रति माह की है जबकि भारत बायोटेक के बेंगलुरू में नए सुविधा केंद्र से अनुमानित रूप से ‘कोवैक्सीन’ की पांच करोड़ खुराक का प्रति माह उत्पादन हो सकता है।

उन्होंने बताया कि ‘कोविड सुरक्षा मिशन’ के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग 200 करोड़ रुपये की लागत से ‘कोवैक्सीन’ की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में सहयोग कर रहा है। अगले कुछ महीनों में ‘कोवैक्सीन’ की उत्पादन क्षमता बढ़कर 10 करोड़ खुराक प्रति माह हो जाएगी।

निनावे ने बताया कि स्पूतनिक-वी के मामले में डॉ. रेड्डीज लैब ने गठजोड़ के लिए पांच स्थानीय विनिर्माताओं की पहचान की है और इसके माध्यम से प्रति वर्ष 70 करोड़ खुराक का उत्पादन किया जा सकता है।

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