किसने बनाया आरोग्य सेतु ऐप?, सूचना आयोग ने मंत्रालय सहित कई लोगों को भेजा नोटिस
By स्वाति सिंह | Published: October 28, 2020 04:57 PM2020-10-28T16:57:44+5:302020-10-28T16:59:36+5:30
सरकार ने एक आरटीआई के जवाब में कहा है कि उनके पास ये जानकारी नहीं है कि आरोग्य सेतु ऐप को किसने बनाया है। अब इस मामले को लेकर केंद्रीय सूचना आयोग ने मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स, नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर, नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीजन और पब्लिक इन्फॉर्मेशन ऑफिसर्स को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
नई दिल्ली: आरोग्य सेतु ऐप को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। दरअसल, आरोग्य सेतु ऐप को लॉन्च करने वाले नेशनल इंफॉर्मेटिक सेंटर को खुद नहीं पता कि आरोग्य सेतु ऐप को बनाया किसने है? इस लापरवाही के बाद केंद्रीय सूचना आयोग ने एनआईसी से जवाब मांगा है।
सरकार ने एक आरटीआई के जवाब में कहा है कि उनके पास ये जानकारी नहीं है कि आरोग्य सेतु ऐप को किसने बनाया है। अब इस मामले को लेकर केंद्रीय सूचना आयोग ने मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स, नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर, नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीजन और पब्लिक इन्फॉर्मेशन ऑफिसर्स को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
जब ऐप में बनाने वाले का नाम तो RTI में क्यों नहीं?
केंद्रीय सूचना आयोग ने इन सभी मंत्रालयों और विभागों से नोटिस जारी कर ये पूछा है कि जिस आरोग्य सेतु ऐप का इस्तेमाल करोड़ों लोग कर रहे हैं, उस ऐप को लेकर आरटीआई में पूछे गए सवाल का साफ जवाब क्यों नहीं दिया गया। इसके साथ ही सीआईसी ने नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर से पूछा है कि जब आरोग्य सेतु ऐप में साफ-साफ लिखा है कि इसे एनआईसी ने डेवलप और डिजाइन किया है तो ऐसे कैसे हो सकता है कि उन्हें ये नहीं पता कि इस ऐप को किसने बनाया है।
सूचना आयोग ने सभी संबंधित इकाइयों को कारण बताओ नोटिस
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, सामाजिक कार्यकर्ता सौरव दास ने सूचना आयोग के पास शिकायत दी थी कि ऐप के डेवलपमेंट को लेकर कई मंत्रालय स्पष्ट सूचना देने में असफल रहे थे। सूचना आयोग ने सभी संबंधित इकाइयों को कारण बताओ नोटिस जारी करके पूछा है कि आखिर 'सूचना देने में रुकावट पैदा करने' और आरटीआई आवेदन पर 'गोलमोल जवाब देने' के आरोप में उनपर एक्शन क्यों न लिया जाए।
दास ने ऐप के शुरुआती प्रस्ताव, इसको मिली मंजूरी की डिटेल्स, इस काम में शामिल कंपनियों, व्यक्ति और सरकारी विभागों को लेकर जानकारी मांगी थी। उन्होंने ऐप डेवलपमेंट से जुड़े लोगों के बीच हुए सूचना के आदान-प्रदान की प्रतियां भी मांगी थीं। हालांकि उनका आवेदन दो महीनों तक अलग-अलग सरकारी विभागों के बीच घूमता रहा।