गूगल ने डूडल बनाकर हेमाटोलॉजिस्ट लूसी विल्स को दी श्रद्धांजलि जिनके शोध से लाभान्वित हुईं करोड़ों गर्भवती महिलाएँ
By पल्लवी कुमारी | Published: May 10, 2019 08:35 AM2019-05-10T08:35:24+5:302019-05-10T08:35:24+5:30
Google doodle of haematologist Lucy Wills’ 131st birthday: लूसी विल्स भारत में बॉम्बे के टेक्सटाइल इंडस्ट्री में काम करने वाली गर्भवती महिलाओं को हो रही गंभीर बीमारी अनीमिया की जांच की। जांच में पता चला कि इन महिला वर्कर्स को हो रही इस बीमारी की वजह खराब आहार है। इसी वजह इन महिलाओं को मैक्रोसाइटिक अनीमिया बीमारी हो रही है।
गूगल ( Google) ने आज (10 मई) अंग्रेजी हेमाटोलॉजिस्ट लूसी विल्स (Lucy Wills) को समपर्ति डूडल (Doodle) बनाया है। गूगल ने यह डूडल वैज्ञानिक लूसी विल्स के 131वां जन्मदिन को सेलिब्रेट करने के लिए बनाया है। लूसी विल्स एक चिकित्सक वैज्ञानिक थीं। उन्होंने गर्भवती महिलाओं के पर कई खोज किए। लूसी विल्स के शोध से ही पता चल पाया था कि एक गर्भवती महिला के लिए फोलिक एसिड कितना जरूरी है। लूसी को दुनियाभर में प्रसव से पहले एनीमिया (खून की कमी) की रोकथाम के लिए किए गए महत्वपूर्ण रिसर्च के लिए जाना जाता है।
लूसी विल्स के रिसर्च से महिलाओं को कुछ ऐसे विटामिन लेने में भी मदद मिली, जिससे उनकी डिलीवरी से जुड़ी समस्याओं से निजात मिला। लूसी विल्स ने उन रिसर्चरों में से आगे हैं जिन्होंने गर्भवती महिलाओं की देखभाल के लिए किए शोध किए।
गूगल ने लूसी के बारे में जानकारी देते लिखा है, "हम आज अंग्रेजी चिकित्सा-विज्ञानी लूसी विल्स का 131वां जन्मदिन मना रहे हैं। जो एक मेडिकल रिसर्चर थीं। डूडल की बात करें तो ये इसको बनाने में बहुत न्यूड कलर का इस्तेमाल किया गया है। डूडल को बनाने में मेडिकल साइंस और रिसर्च के दौरान इस्तेमाल होने वाले केमिकल के रंगों का भी ध्यान दिया गया है। रिसर्च टेबल पर बहुत अनोखे ढंग से बर्थडे केक को भी लगाया गया है। लूसी विल्स डूडल में लैबरेटरी में काम करते हुए दिख रहे हैं।"
लूसी विल्स भारत के मुंबई (तब बॉम्बे) में आकर किया था गर्भवती महिलाओं पर रिसर्च
लूसी विल्स ने अपनी जिंदगी का एक बहुत लंबा वक्त सिर्फ गर्भवती महिलाओं के साथ गुजारा था। लूसी विल्स ने कई सालों तक भारत में भी काम किया था। लूसी विल्स भारत में बॉम्बे (मुंबई ) में गर्भवती महिलाओं में होने वाली आम बीमारी अनीमिया के बारे में रिसर्च करने आई थीं। विल्स ने बॉम्बे के टेक्सटाइल इंडस्ट्री में काम करने वाली गर्भवती महिलाओं को हो रही गंभीर बीमारी एनीमिया की जांच की।
जांच में उनको पता चला कि इन महिला वर्कर्स को हो रही इस बीमारी की वजह खराब आहार है। इसी वजह इन महिलाओं को मैक्रोसाइटिक एनीमिया बीमारी हो रही है। जिसके बाद वह इस नतीजे पर पहुंची कि एक गर्भवती महिलाओं के लिए फोलिक एसिड कितना जरूरी है। उनके रिसर्च के बाद से ही पूरी दुनिया में गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर फोलिक एसिड लेने की सलाह देने लगे। फोलिक एसिड रिसर्च को Wills Factor के नाम से जाना जाता है। ये रिसर्च विल्स ने पहले जानवरों पर की थी।
पूरी दुनिया में गर्भवती महिलाओं को दी जाता है फोलिक एसिड
लूसी विल्स ने गर्भवती महिलाओं को सिर्फ फोलिक एसिड ही देने की सलाह नहीं दी बल्कि ये भी बताया कि एक गर्भवती महिलाआ को आयरण और बी 12 जैसे कई महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की जरूरत होती है।
लूसी विल्स का जन्म 10 मई 1888 को इंग्लैंड में बर्मिंघम के पास हुआ था। 1911 में लूसी ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से बॉटनी और जिऑलजी में डिग्री हासिल की। 1914 में विश्व यूद्ध के शुरू होने पर लूसी ने केप टाउन में नर्स के तौर पर काम शुरू किया था। केप टाउन से लंदन आने के बाद उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ मेडिसिन फॉर विमिन से अपनी मेडिकल डिग्री ली।
विल्स जिस वक्त पैदा हुई थीं, महिलाओं की शिक्षा पर लोगों का ध्यान जा रहा था। विल्स ने महिलाओं की शिक्षा पर भी काम किया। उन्होंने तीन स्कूलों में पढ़ाया, जो महिला की शिक्षा के लिए खोले गए थे। जिसमें से सबसे पहला था चेल्टनहम कॉलेज फॉर यंग लेडीज। ये पहला ब्रिटिश बोर्डिंग स्कूल था, जिसमें विज्ञान और गणित की शिक्षा महिलाओं को दी जाती थी।