छह महीने से नहीं हुआ लोकायुक्त की नियुक्ति: भ्रष्टाचार विरोधी ढांचे की ठप स्थिति पर सवालों में घिरी सावंत सरकार
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 5, 2025 20:24 IST2025-07-05T20:24:05+5:302025-07-05T20:24:39+5:30
भाजपा भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करती है, लेकिन जवाबदेही से बचती है। क्या यह देरी रणनीतिक है?

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पणजीः गोवा सरकार छह महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं कर पाने को लेकर घिरती जा रही है। इस देरी के कारण भ्रष्टाचार से जुड़ी करीब 20 शिकायतें लंबित पड़ी हैं, जिससे मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की साफ-सुथरे शासन की प्रतिबद्धता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अंबादास जोशी का कार्यकाल दिसंबर 2024 में समाप्त हो गया था। तब से लोकायुक्त का पद खाली पड़ा है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, सतर्कता निदेशालय ने फरवरी 2025 में मुख्य सचिव को पत्र लिखकर चयन प्रक्रिया शुरू करने की जरूरत बताई थी, लेकिन तब से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। विपक्ष के नेता यूरी आलेमाओ ने भाजपा सरकार पर जानबूझकर नियुक्ति को टालने का आरोप लगाया है।
“भाजपा भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करती है, लेकिन जवाबदेही से बचती है। क्या यह देरी रणनीतिक है? लंबित मामले फाइलों में धूल खा रहे हैं,” आलेमाओ ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि न्यायमूर्ति जोशी की नियुक्ति भी उनके पूर्ववर्ती के जाने के छह महीने बाद हुई थी यानी ये कोई नई बात नहीं, बल्कि सरकार की आदतन लापरवाही है।
हालांकि आलेमाओ का हमला राजनीतिक दृष्टिकोण से हो सकता है, लेकिन तथ्य यही हैं: राज्य में फिलहाल कोई प्रभावी भ्रष्टाचार रोधी तंत्र नहीं है और सरकार की ओर से देरी पर कोई सार्वजनिक स्पष्टीकरण भी नहीं आया है। लोकायुक्त अधिनियम एक समयबद्ध नियुक्ति की व्यवस्था करता है, लेकिन यह प्रक्रिया बिना किसी स्पष्ट कारण और गंभीरता के रुकी हुई है।
एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि कानूनी विशेषज्ञों और पारदर्शिता से जुड़े कार्यकर्ताओं का कहना है कि इतने लंबे समय तक लोकायुक्त पद खाली रहना सरकार की नीयत और क्षमता दोनों पर जनता का भरोसा कमजोर करता है। जब कोई लोकायुक्त ही नहीं है, तो गंभीर शिकायतें भी ठंडे बस्ते में चली जाती हैं।
यह मुद्दा ऐसे समय उठा है जब राज्य में अवैध शराब, ड्रग्स व्यापार और खरीद में गड़बड़ियों को लेकर गंभीर आरोप लगे हैं। आलोचकों का मानना है कि लोकायुक्त की नियुक्ति में देरी से यह धारणा और मजबूत होती है कि सरकार कुछ छिपा रही है। जैसे-जैसे विधानसभा का मानसून सत्र नजदीक आ रहा है, मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत पर कार्रवाई या जवाब देने का दबाव बढ़ता जा रहा है।