गांधी शांति पुरस्‍कार के साथ एक करोड़ की धनराशि लेने से गीता प्रेस ने इंकार किया, सिर्फ सम्मान स्वीकार करने का फैसला लिया

By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: June 19, 2023 02:06 PM2023-06-19T14:06:37+5:302023-06-19T14:08:46+5:30

वर्ष 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस, गोरखपुर को दिए जाने का फैसला 18 जून, रविवार को संस्कृति मंत्रालय की तरफ से लिया गया था। अब गीता प्रेस बोर्ड ने फैसला लिया है कि वो सम्‍मान जरूर स्‍वीकार करेगा लेकिन इसके साथ मिलने वाली 1 करोड़ की धनराशि नहीं लेगा।

Gita Press refused to accept Rs 1 crore cash reward for the Gandhi Peace Prize for 2021 | गांधी शांति पुरस्‍कार के साथ एक करोड़ की धनराशि लेने से गीता प्रेस ने इंकार किया, सिर्फ सम्मान स्वीकार करने का फैसला लिया

वर्ष 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस, गोरखपुर को दिया जाएगा

Highlightsवर्ष 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस, गोरखपुर को दिया जाएगागीता प्रेस ने 1 करोड़ की नकद धनराशि लेने से किया इंकारगीता प्रेस बोर्ड ने फैसला लिया है कि वो सम्‍मान स्‍वीकार करेगा, धनराशि नहीं

नई दिल्ली: वर्ष 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस, गोरखपुर को दिए जाने का फैसला 18 जून, रविवार को संस्कृति मंत्रालय की तरफ से लिया गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली जूरी ने सर्वसम्मति से गीता प्रेस, गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार के लिए चुनने का फैसला किया। 

अब अब गीता प्रेस बोर्ड ने फैसला लिया है कि वो सम्‍मान जरूर स्‍वीकार करेगा लेकिन इसके साथ मिलने वाली धनराशि नहीं लेगा। गांधी शांति पुरस्‍कार में एक प्रशस्‍ति पत्र, एक पट्टिका और एक उत्‍कृष्‍ट पारंपरिक हस्‍तकला, हथकरघा की कलाकृति के साथ एक करोड़ रुपए की धनराशि दी जाती है। लेकिन  गीता प्रेस बोर्ड की बैठक में तय किया गया है कि  धनराशि को छोड़कर प्रशस्ति पत्र, पट्टिका और हस्‍तकला, हथकरघा की कलाकृति आदि स्‍वीकार की जाएगी। संस्था से जुड़े सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार  प्रबंधन से जुड़े लोगों ने सनातन संस्कृति का सम्मान बताया है लेकिन धनराशि स्वीकार करने से मना किया है।

बता दें कि  गीता प्रेस को यह पुरस्कार "अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान" के लिए दिया जाएगा। गीता प्रेस की शुरुआत वर्ष 1923 में हुई थी और यह दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है, जिसने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की हैं, जिनमें श्रीमद्‍भगवद्‍गीता की 16.21 करोड़ प्रतियां शामिल हैं।

बता दें कि गीता प्रेस को वर्ष 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने के निर्णय पर विवाद भी हुआ है।  कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से प्रकाशक गीता प्रेस को 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार देने के लिए केंद्र की आलोचना की। फैसले को उपहास बताते हुए कांग्रेस सांसद ने इसकी तुलना हिंदुत्व के विचारक वीडी सावरकर और महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को पुरस्कार देने से की। जयराम रमेश ने पत्रकार अक्षय मुकुल द्वारा लिखित गीता प्रेस पर 2015 की एक किताब का भी हवाला दिया। इस किताब में गीता प्रेस को हिंदुत्ववादी और हिंदु राष्ट्र का समर्थक बताया गया है।

Web Title: Gita Press refused to accept Rs 1 crore cash reward for the Gandhi Peace Prize for 2021

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