जनरल रावत ने मध्य सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अग्रिम क्षेत्रों का दौरा किया
By भाषा | Updated: June 29, 2021 22:33 IST2021-06-29T22:33:26+5:302021-06-29T22:33:26+5:30

जनरल रावत ने मध्य सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अग्रिम क्षेत्रों का दौरा किया
नयी दिल्ली, 29 जून प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल विपिन रावत ने मंगलवार को हिमाचल प्रदेश सेक्टर में चीन के साथ लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर कई अग्रिम क्षेत्रों का दौरा किया और संवेदनशील क्षेत्र में भारत की सैन्य तैयारियों का जायजा लिया।
जनरल रावत ने चंडीमंदिर में भारतीय सेना की पश्चिमी कमान के मुख्यालय का भी दौरा किया जहां उन्होंने पाकिस्तान के साथ लगती सीमा पर अभियान संबंधी स्थितियों की समीक्षा की। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
एलएसी पर अग्रिम क्षेत्रों में सैनिकों के साथ वार्तालाप में जनरल रावत ने आह्वान किया कि देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के अपने काम में अडिग होकर लगे रहें।
एलएसी पर सुमदोह सेक्टर में उनका दौरा ऐसे समय में हुआ जब पूर्वी लद्दाख में टकराव के अनेक बिंदुओं पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच सैन्य गतिरोध बना हुआ है।
सेना ने कहा, ‘‘सुमदोह उप-सेक्टर में सबसे अग्रिम चौकी पर पहुंचने पर जनरल रावत को देश की क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा के लिए भारतीय सैनिकों की अभियान संबंधी तैयारियों की जानकारी दी गयी।’’
सेना ने कहा कि सीडीएस ने दूरदराज के क्षेत्रों में तैनात भारतीय सेना और आईटीबीपी के जवानों के साथ गहन बातचीत की तथा सभी को उच्च स्तर की सतर्कता और पेशेवर तौर-तरीके अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
सेना के अनुसार, ‘‘जनरल विपिन रावत ने सैनिकों के साथ संवाद किया, उनके उच्च मनोबल के लिए उनकी प्रशंसा की तथा उनसे इसी उत्साह के साथ देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के काम में अडिग बने रहने का आह्वान किया।’’
भारत और चीन के बीच पिछले साल मई से पूर्वी लद्दाख में कई जगहों पर सैन्य गतिरोध की स्थिति बनी हुई है। हालांकि दोनों पक्षों ने पैंगोंग झील के उत्तरी तथा दक्षिणी किनारों से सैनिकों एवं हथियारों की वापसी का काम फरवरी में पूरा किया। इससे पहले कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ताएं दोनों पक्षों में हुईं।
दोनों पक्ष टकराव के बाकी बिंदुओं से भी सैनिकों की वापसी के विषय पर वार्ता कर रहे हैं।
सैन्य अधिकारियों के अनुसार, संवेदनशील सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर, प्रत्येक ओर करीब 50,000 से 60,000 सैनिक हैं। कुल 11 दौर की सैन्य वार्ता होने के बावजूद चीन के रूख में लचीलापन नहीं दिखा।
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