सामान्य वर्ग के आरक्षण पर संसद की मुहर, आइए जानें इस ऐतिहासिक विधेयक पर राज्यसभा में किसने क्या-क्या कहा

By भाषा | Published: January 10, 2019 12:21 AM2019-01-10T00:21:02+5:302019-01-10T00:21:02+5:30

सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान वाले ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को बुधवार को संसद की मंजूरी मिल गयी। 

General Category Reservation passed in Rajya sabha, need to know all about | सामान्य वर्ग के आरक्षण पर संसद की मुहर, आइए जानें इस ऐतिहासिक विधेयक पर राज्यसभा में किसने क्या-क्या कहा

सामान्य वर्ग के आरक्षण पर संसद की मुहर, आइए जानें इस ऐतिहासिक विधेयक पर राज्यसभा में किसने क्या-क्या कहा

सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान वाले ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को बुधवार को संसद की मंजूरी मिल गयी। 

राज्यसभा ने करीब 10 घंटे तक चली बैठक के बाद संविधान (124 वां संशोधन), 2019 विधेयक को सात के मुकाबले 165 मतों से मंजूरी दे दी। इससे पहले सदन ने विपक्ष द्वारा लाए गए संशोधनों को मत विभाजन के बाद नामंजूर कर दिया। लोकसभा ने इस विधेयक को कल ही मंजूरी दी थी जहां मतदान में तीन सदस्यों ने इसके विरोध में मत दिया था। विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के द्रमुक सदस्य कनिमोई सहित कुछ विपक्षी दलों के प्रस्ताव को सदन ने 18 के मुकाबले 155 मतों से खारिज कर दिया। 

उच्च सदन में विपक्ष सहित लगभग सभी दलों ने इस विधेयक का समर्थन किया। कुछ विपक्षी दलों ने इस विधेयक को लोकसभा चुनाव से कुछ पहले लाये जाने को लेकर सरकार की मंशा तथा इस विधेयक के न्यायिक समीक्षा में टिक पाने को लेकर आशंका जतायी। हालांकि सरकार ने दावा किया कि कानून बनने के बाद यह न्यायिक समीक्षा की अग्निपरीक्षा में भी खरा उतरेगा क्योंकि इसे संविधान संशोधन के जरिये लाया गया है। 


आइए जानें किसने क्या कहा...

- केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत का पक्ष

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए इसे सरकार का एक ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने कांग्रेस सहित विपक्षी दलों से यह पूछा कि जब उन्होंने सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर आरक्षण दिये जाने का अपने घोषणापत्र में वादा किया था तो वह वादा किस आधार पर किया गया था। क्या उन्हें यह नहीं मालूम था कि ऐसे किसी कदम को अदालत में चुनौती दी जा सकती है।

उन्होंने कहा कि यह हमारी संस्कृति की विशेषता है कि जहां प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एससी और एसटी को आरक्षण दिया वहीं पिछड़े वर्ग से आने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सामान्य वर्ग को आरक्षण देने की यह पहल की है।

उन्होंने एसटी, एससी एवं ओबीसी आरक्षण को लेकर कई दलों के सदस्यों की आशंकाओं को निराधार और असत्य बताते हुए कहा कि उनके 49.5 प्रतिशत से कोई छेड़छाड़ नहीं की जा रही है। वह बरकरार रहेगा।

- अन्नाद्रमुक सदस्यों का पक्ष

इससे पहले विधेयक पर हुई चर्चा में कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों द्वारा इस विधेयक का समर्थन करने के बावजूद न्यायिक समीक्षा में इसके टिक पाने की आशंका जतायी गयी और पूर्व में पी वी नरसिंह राव सरकार द्वारा इस संबंध में लाये गये कदम की मिसाल दी गयी। कई विपक्षी दलों का आरोप था कि सरकार इस विधेयक को लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर लायी है। अन्नाद्रमुक सदस्यों ने इस विधेयक को ‘‘असंवैधानिक’’ बताते हुये सदन से बहिर्गमन किया।

-  कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा का पक्ष

 विधेयक पर हुयी चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने सवाल किया कि ऐसी क्या बात हुयी कि यह विधेयक अभी लाना पड़ा? उन्होंने कहा कि पिछले दिनों तीन राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में हार के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि इन विधानसभा चुनावों में हार के बाद संदेश मिला कि वे ठीक काम नहीं कर रहे हैं।

 - कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का पक्ष

चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग को आरक्षण देने के मोदी सरकार के फैसले को मैच जिताने वाला छक्का बताते हुये कहा कि अभी इस मैच में विकास से जुड़े और भी छक्के देखने को मिलेंगे। प्रसाद ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुये कहा कि सरकार ने यह साहसिक फैसला समाज के सभी वर्गों को विकास की मुख्य धारा में समान रूप से शामिल करने के लिये किया है।

उन्होंने इस विधेयक के न्यायिक समीक्षा में नहीं टिक पाने की विपक्ष की आशंकाओं को निर्मूल बताते हुए कहा कि आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा संविधान में नहीं लगायी गयी है। उच्चतम न्यायालय ने यह सीमा सिर्फ पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति एवं जनजाति समूहों के लिये तय की है। 

- कांग्रेस नेता काबिल सिब्बल का पक्ष

बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता काबिल सिब्बल ने सरकार से पूछा कि आपके पास 5 साल थे लेकिन आपने बिल लाने में इतनी जल्दबाजी क्यों की? क्या आपने आंकड़े जुटाये हैं कि देश में कितने लोगों के पास 5 एकड़ से कम जमीन है? उन्होंने नौकरियों की कम होती संख्या पर भी आपत्ति जताई है। 

- कांग्रेस की कुमारी शैलजा का पक्ष

कांग्रेस की कुमारी शैलजा ने दावा किया कि जब जनता के दूर जाने की सच्चाई सामने आई तब सरकार हड़बड़ी में यह विधेयक लेकर आयी है। उन्होंने कहा कि इंद्रा साहनी मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के कारण यह विधेयक न्यायिक समीक्षा में नहीं टिकेगा। उन्होंने कहा कि यह विधेयक भी सिर्फ चुनाव को ध्यान में रखकर सामने लाया गया है इसलिये इसके कानूनी खामियों के मद्देनजर यह जुमला साबित होगा। शैलजा ने कहा कि सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण को भी सरकार ने पूरा नहीं किया। ऐसे में अदालत में जब इस आरक्षण का आधार पूछा जायेगा तो सरकार के पास कोई जवाब नहीं होगा। उन्होंने इस विधेयक के माध्यम से सरकार पर अनुसूचित एवं पिछड़ी जातियों का आरक्षण कदम दर कदम खत्म करने की शुरुआत करने का आरोप लगाया। 

- भाजपा के अजय प्रताप सिंह का पक्ष

चर्चा में हिस्सा लेते हुये भाजपा के अजय प्रताप सिंह ने कहा कि सामान्य वर्ग के लोगों को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की सरकार की पहल को सराहनीय बताया। उन्होंने विपक्ष द्वारा सरकार की मंशा पर उठाये गये सवालों को बेमानी बताते हुये कहा कि कांग्रेस सहित सभी विरोधी दलों का आरोप है कि यह विधेयक न्यायिक समीक्षा में नहीं टिकेगा। सिंह ने कहा कि अगर कांग्रेस न्यायालय में इसके खारिज किये जाने के प्रति इतनी आश्वस्त है तो फिर अपने चुनावी घोषणा पत्र में इसे शामिल क्यों किया।

- कांग्रेस के पी एल पुनिया का पक्ष

कांग्रेस के पी एल पुनिया ने कहा कि सरकारी विभागों में आरक्षित पदों के बैक लाग को दूर करने के लिए वर्तमान सरकार के शासनकाल में कोई पहल नहीं की गयी।

- आईएमयूएल के अब्दुल वहाब का पक्ष

आईएमयूएल के अब्दुल वहाब ने इस विधेयक का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि यह संविधान की भावना को पूरी तरह से मार डाल देगा।

- आरपीआई (ए) प्रमुख एवं केन्द्रीय मंत्री रामदास अठावले का पक्ष

चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए आरपीआई (ए) प्रमुख एवं केन्द्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि जहां कांग्रेस ने सवर्णों को ‘धोखा’ दिया वहीं मोदी सरकार ने उन्हें यह मौका दिया। 

चर्चा में तेदेपा की तोटा सीताराम लक्ष्मी, के रवीन्द्र कुमार, टी जी वेंकटेश, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, मनोनीत राकेश सिन्हा, कांग्रेस के हुसैन दलवई, अहमद पटेल, असंबद्ध सदस्य रीताव्रत बनर्जी, निर्दलीय अमर सिंह ने भी भाग लिया।

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