"पांच साल में खुद को महात्मा गांधी से बड़ा मानने लगे PM मोदी"

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 1, 2019 06:32 PM2019-04-01T18:32:44+5:302019-04-01T18:46:12+5:30

सेवाग्राम आश्रम भारत में गाँधीजी द्वारा स्थापित दूसरा महत्वपूर्ण आश्रम है। इससे पूर्व गाँधीजी ने गुजरात में साबरमती आश्रम की स्थापना की थी। ये आश्रम गाँधीजी के रचनात्मक कार्यक्रमों एवं उनके राजनीतिक आंदोलन आदि के संचालन का केंद्र हुआ करते थे।

Gandhi, Modi poles apart, Sevagram trustee after PM skips visit | "पांच साल में खुद को महात्मा गांधी से बड़ा मानने लगे PM मोदी"

साल 1936 में महात्मा गांधी ने वर्धा के बाहरी इलाके में सेगांव नामक एक गॉव में सेवाग्राम की स्थापना की थी।

Highlightsअविनाश काकड़े ने कहा कि मोदी के शासनकाल में झूठ देश में सर्वोपरि हो गया है। काकड़े ने कहा कि गांधी सत्य में विश्वास करते थे जबकि मोदी सत्ता हथियाने के लिए झूठ बोलने में यकीन करते हैं।गांधी अहिंसा के पैरोकार थे जबकि मोदी हिंसा में विश्वास करते हैं।

लगभग एक दशक तक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का आवास स्थल रहे सेवाग्राम आश्रम के एक न्यासी ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां के अपने कार्यक्रम से आश्रम को दूर रखकर महात्मा गांधी का मजाक उड़ाया है। सोमवार को विदर्भ में इस जिला मुख्यालय शहर में आये मोदी ने अपना कार्यक्रम तेज धूप में एक चुनावी रैली संबोधित करने तक ही सीमित रखा। सेवाग्राम आश्रम प्रतिष्ठान के न्यासी अविनाश काकड़े ने कहा, ‘‘हो सकता है, पिछले पांच साल में उन्होंने (मोदी) यह सोचना शुरू कर दिया हो कि वह गांधी से बड़े हो गये हैं और गांधी की जरूरत ही नहीं है।’’

अविनाश काकड़े ने कहा कि गांधी और मोदी अपने विचारों एवं कृत्य में अलग-अलग ध्रुव हैं, मोदी के शासनकाल में झूठ देश में सर्वोपरि हो गया है और उनका सेवाग्राम नहीं आना गांधी की सत्य की वकालत का मजाक उड़ाने जैसा है। काकड़े ने कहा कि (मोदी सोचते हैं), ‘‘तुमसे बड़ा मैं हो गया हूं, तुम सत्य की बात करते थे, मैं झूठ की बात करता हूं, देखो देश में कौन बड़ा है।’’ उन्होंने कहा कि गांधी सत्य में विश्वास करते थे जबकि मोदी सत्ता हथियाने के लिए झूठ बोलने और झूठ का इस्तेमाल करने में यकीन करते हैं। गांधी अहिंसा के पैरोकार थे जबकि मोदी हिंसा में विश्वास करते हैं। वर्ष 1936 में महात्मा गांधी ने वर्धा के बाहरी इलाके में सेगांव नामक एक ग्राम में इस सेवाग्राम की स्थापना की थी। 

क्या है सेवाग्राम आश्रम-
सेवाग्राम आश्रम महाराष्ट्र राज्य के वर्धा ज़िले में स्थित सेवाग्राम नामक गाँव में है। पहले सेवाग्राम गाँव को 'शेगाँव' नाम से जाना जाता था। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने ही इस गाँव का नाम बदलकर सेवाग्राम रखा। सेवाग्राम आश्रम भारत में गाँधीजी द्वारा स्थापित दूसरा महत्वपूर्ण आश्रम है। इससे पूर्व गाँधीजी ने गुजरात में साबरमती आश्रम की स्थापना की थी। ये आश्रम गाँधीजी के रचनात्मक कार्यक्रमों एवं उनके राजनीतिक आंदोलन आदि के संचालन का केंद्र हुआ करते थे। यह वह स्थान है, जहाँ महात्मा गाँधी 13 वर्ष, सन् 1936 से 1948 तक रहे। ऐसा माना जाता है कि 1930 में जब गाँधीजी ने साबरमती आश्रम से दांडी तक पदयात्रा प्रारंभ की थी, तब उन्होंने शपथ ली थी कि जब तक भारत स्वतंत्र नही हो जाता, वे साबरमती में कदम नही रखेंगे।

स्थिति तथा प्रसिद्धि-
'सेवाग्राम आश्रम' की विशेषता है कि गाँधीजी ने अपने संध्या काल के अंतिम 12 वर्ष यहीं बिताए थे। वर्धा शहर से 8 कि.मी. की दूरी पर 300 एकड़ की भूमि पर फैला यह आश्रम इतनी आत्मिक शांति देता है, जिसे शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता। आश्रम की और भी कई ख़ासियत हैं। गाँधीजी ने यहाँ कई रणनीति बनाईं, कईयों से मिले और बहुतों के जीवन को नई दिशा दी। यहाँ आकर ऐसा लगता है, जैसे किसी मंदिर में पहुँच गए हों। सब कुछ शांत और सौम्य। आश्रम को समझने पर गाँधीजी का व्यक्तित्व भी समझ आ जाता है। यह आश्रम बापू के व्यक्तित्व का दर्पण है। यहाँ आकर ही पता चल जाता है कि हम एक ऐसे महान् शख्स का उठना-बैठना देख-समझ रहे हैं, जिसने भारत की आजादी का नींव रखी।

गाँधीजी का संकल्प-
यदि कोई व्यक्ति वास्तव में महात्मा गाँधी को, उनके दर्शन को और उनके जीवन को समझना चाहता है तो उसे 'सेवाग्राम आश्रम' अवश्य देखना चाहिए। यहाँ अब भी चरखे पर सूत काता जाता है। पारंपरिकता यहाँ आज भी जीवन्त है। 1934 में जमनालाल बजाज एवं अन्य साथियों के आग्रह से वे वर्धा आए और मगनवाड़ी में रहने लगे। 30 अप्रैल, 1936 को गाँधीजी पहली बार मगनवाड़ी से शेगाँव (अब सेवाग्राम) रहने चले आए। जिस दिन वे शेगाँव आए, उन्होंने वहाँ छोटा-सा भाषण देकर सेवाग्राम में बस जाने का अपना निश्चय गाँव वालों को बताया।

यहाँ शुरुआत में गाँधीजी समेत सभी लोग रहा करते थे। तब यही एकमात्र कुटी थी। यहाँ कस्तूरबा और बापू के अलावा प्यारेलाल जी, संत तुकड़ोजी महाराज, ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान के साथ दूसरे आश्रमवासी तथा मेहमान ठहरते थे। गाँधीजी से मिलने आने आने वाले सब नेता भी उनसे यहीं मिलते थे। 'भारत छोड़ो आंदोलन' की प्रथम सभा 1942 को इसी जगह हुई थी। 1940 के 'व्यक्तिगत सत्याग्रह' की प्राथमिक तैयारी भी इसी जगह हुई थी।

विश्व के महान् वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने भी एक बार गाँधीजी के बारे में कहा था कि- "मैं गाँधी को हमारे युग का एकमात्र सच्चा महापुरुष मानता हूँ। आने वाली पीढ़ियाँ कठिनाई से यह विश्वास कर पाएँगी कि गाँधी जैसा हाड़-माँस का बना व्यक्ति सचमुच इस धरती पर कभी टहलता था।"

(भाषा इनपुट के साथ)

Web Title: Gandhi, Modi poles apart, Sevagram trustee after PM skips visit

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