लाइव न्यूज़ :

Gandhi Jayanti 2023: बापू का 'दांडी मार्च', जिसने अंग्रेजों को मजबूर किया नमक कानून खत्म करने पर

By आकाश चौरसिया | Published: October 01, 2023 2:26 PM

दांडी सत्याग्रह जिसने भारत के लिए पूर्ण स्वराज्य की तरफ एक कदम बढ़ाया। यह रास्ता काफी तकलीफ देह रहा लेकिन इसमें महात्मा गांधी को सफलता मिली।

Open in App
ठळक मुद्देदांडी सत्याग्रह से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा मिलीसत्याग्रह पूरे 24 दिन तक चला थाइस पद यात्रा में बापू के साथ लाखों भारतीयों ने साथ दिया

नई दिल्ली: आज से अस्सी साल पहले यानी 12 मार्च को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा मिली। यह मौका था जब महात्मा गांधी ने 'नमक सत्याग्रह' साबरमती आश्रम से दांडी की ओर निकाला। मार्च पूरे 24 दिन चला जो 5 अप्रैल को खत्म हुआ। 

यह पद यात्रा 387 किलोमीटर चली जिसमें सबसे पहले बापू के साथ 78 लोग ही जुड़े और फिर हजारों और धारे-धीरे लाखों का काफिला बनता गया।

बापू का यह मार्च साबरमती से दांडी तक चला था और दांडी उस समय गुजरात के नवसारी शहर के नाम से जाना जाता था। सविनय अवज्ञा आंदोलन का तात्पर्य 'पूर्ण स्वराज्य' से था। 

यह सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत भर थी जिसे पांच अप्रैल को अरब सागर के तटीय शहर दांडी तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया था। सत्याग्रह का मकसद नमक कानून को खत्म कराने का था। 

इस दौरान ब्रिटिश नमक के उत्पादन में और उसकी खरीद-फरोक्त में एकाधिकार स्थापित कर चुका था। नमक सत्याग्रह अंग्रेजों द्वारा भारतीयों पर जड़े गए भारी नमक कर के विरोध में था।

औपनिवेशिक भारत में समुद्री जल से नमक का उत्पादन करना अहिंसा सविनय अवज्ञा का कार्य था जिसे भारतीय बखूबी से करते था। इस तरह के काम को अंग्रेजों ने अवैध मानते हुए नमक को महंगी दरों पर खरीदने के लिए भारतीयों को मजबूर किया। 

हालांकि, नमक भारतीयों के लिए समस्या की बात कभी नहीं रही, लेकिन इसे सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रतीक यानी अहिंसा के रास्ते पर चलकर 'स्वराज' के रूप में चुना गया।

ऐसा इसलिए माना गया क्योंकि नमक पर भारतीयों का मूल अधिकार था। नमक भारतीयों को मुफ्त में मुहैया होता रहा जो कि उन्हें कर्ज चुकाने पर मिल रहा था।  

इस कारण महात्मा गांधी ने ब्रिटिश नमक नीतियों को एकरूप विषय बताकर सविनय अवज्ञा आंदोलन की घोषणा कर दी। इस तरह दांडी मार्च की शुरुआत हुई। 

यहां तक दांडी मार्च का मकसद तटीय शहर तक पहुंचने का था और समुद्र तट पर नमक के मैदानों पर काम करने का था। काम करने का मतलब ये था कि हाई टाइड के आने से समुद्री नमक एक जगह इकट्ठा हो जाता है।

लेकिन पुलिस ने ब्रिटिश शासन का आदेश मानते हुए नमक के भंडार को मिट्टी में दबा दिया था।

इस प्रकार नमक को पाने की चाह में महात्मा गांधी समुद्री तटी लाखों लोगों के साथ पहुंचे और वहां से दबे नमक की एक छोटी गांठ उठाई जिसके बाद ब्रिटिश नमक कानून को समाप्त करने के लिए अंग्रेजों को झुकना पड़ा।  

टॅग्स :गाँधी जयंतीमहात्मा गाँधीभारत
Open in App

संबंधित खबरें

विश्वNepal Rastra Bank: 100 रुपये के नए नोट छापने का ठेका चीनी कंपनी को दिया?, लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को लेकर भारत नाराज!

पूजा पाठDiwali 2024: आज है दिवाली, इस शुभ मुहूर्त पर होगी लक्ष्मी पूजा; जानें क्या करें-क्या न करें

भारतDiwali 2024: आज है दिवाली, स्कूल-कॉलेजों और बैंकों में अवकाश; जानें क्या खुला, क्या बंद

भारतTughlak Road Police Station: दो गांधियों की हत्या की एफआईआर का गवाह वो थाना 

भारतBritain's King Charles: भारत आए दुनिया के सबसे अमीर राजा किंग चार्ल्स, पत्नी के साथ बेंगलुरु में की निजी यात्रा

भारत अधिक खबरें

भारतएक राष्ट्र एक चुनाव, समान नागरिक संहिता जल्द: एकता दिवस पर बोले प्रधानमंत्री मोदी

भारतBihar RCP Singh Aap Sab Ki Awaaz: भाजपा से टूटा नाता?, पीके की राह पर आरसीपी सिंह, विधानसभा 2025 में लड़ेंगे 243 सीट पर चुनाव

भारतWATCH: प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान से लगी सरक्रीक सीमा पर जवानों के साथ मनाई दिवाली, मुंह कराया मीठा

भारतDelhi AAP-BJP: करतार सिंह तंवर भाजपा में और ब्रह्म सिंह तंवर आप में?, छतरपुर सीट पर करेंगे मुकाबला!

भारतDiwali 2024: भारतीय और चीनी सैनिकों ने एक-दूसरे को मिठाई?, सहमति से संबंधों में मधुरता, देखें तस्वीरें