पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा, 'संसदीय व्यवस्था न तो सहजता से और न ब्रिटिश सरकार से उपहार में मिली'

By भाषा | Published: August 1, 2019 06:06 PM2019-08-01T18:06:48+5:302019-08-01T18:06:48+5:30

Former President Pranab Mukherjee says Parliamentary British Government | पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा, 'संसदीय व्यवस्था न तो सहजता से और न ब्रिटिश सरकार से उपहार में मिली'

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा, 'संसदीय व्यवस्था न तो सहजता से और न ब्रिटिश सरकार से उपहार में मिली'

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारतीय संसदीय व्यवस्था हम सभी के सतत् संघर्ष की परिणिति है। यह व्यवस्था न तो हमें सहजता से मिली है और न ही ब्रिटिश सरकार से उपहार में मिली है। मुखर्जी गुरुवार को विधानसभा में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (राजस्थान शाखा) एवं लोकनीति- सीएसडीएस के संयुक्त तत्वावधान में विधायकों के लिए आयोजित एक दिवसीय सेमिनार ‘चेंजिग नेचर ऑफ पार्लियामेंट डेमोक्रेसी इन इंडिया’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने भारतीय संविधान के अंगीकार से लेकर इसके वर्तमान स्वरूप तक हुए बदलावों पर विस्तार से प्रकाश डाला। मुखर्जी ने कहा कि संविधान में लगातार संशोधन हुए हैं, लेकिन फिर भी हमने अब तक इसकी मूल आत्मा को जीवित रखा है। उन्होंने राष्ट्रमण्डल के गठन की जानकारी देते हुए बताया कि भारत सरकार के प्रयासों से यह संभव हुआ कि इसके नाम से ब्रिटिश शब्द को हटा दिया गया।

मुखर्जी ने कहा कि जनप्रतिनिधि जनता द्वारा निर्वाचित होते हैं, इसलिए उनकी सबसे पहली जिम्मेदारी जनता के हितों की रक्षा करने की है। सेमिनार को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ (सीपीए) की राजस्थान शाखा के उपाध्यक्ष मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राजस्थान शाखा की ओर से यह आयोजन एक अच्छी शुरुआत है। इससे निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को व्यक्तित्व निर्माण और संसदीय लोकतंत्र में उनकी भूमिका के बारे में जानने का अवसर मिलेगा।

इस अवसर पर सीपीए (राजस्थान शाखा) के अध्यक्ष एवं विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने कहा कि 1952 लेकर 2009 तक देश का पचास प्रतिशत वोट केवल दो राष्ट्रीय पार्टियों के बीच विभाजित हो रहा था। कांग्रेस का वोट 31 प्रतिशत था और भाजपा का वोट 19 प्रतिशत था। देश की राजनीति में 2014 के बाद परिवर्तन हुआ और भाजपा का वोट हो गया 31 प्रतिशत तथा कांग्रेस का वोट प्रतिशत हो गया 19 प्रतिशत।

2019 का लोकसभा चुनाव इस देश की राजनीति को एक कदम और आगे ले गया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पार्टियों का वोट प्रतिशत बढ़ा और वह प्रादेशिक पार्टियों की कीमत पर बढ़ा है। देश की राजनीति में यदि प्रादेशिक पार्टी का वोट कम होता है और राष्ट्रीय पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ता है तो देश के संसदीय लोकतंत्र के लिए यह एक सुखद संकेत है। जोशी ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र के माध्यम से 1947 से लेकर आज तक हमने जो प्रगति की है, वह दुनिया के इतिहास में किसी ने नहीं की।

आज देश की जीडीपी दुनिया के विकसित देशों से ज्यादा है। विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चन्द कटारिया ने कहा कि वर्तमान में देश और विभिन्न राज्यों में अलग-अलग पार्टियों का शासन है, लेकिन सबका मकसद लोकतंत्र को मजबूत बनाना है। उन्होंने कहा कि दोनों राष्ट्रीय पार्टियों ने लोकतंत्र को आगे बढ़ाया। इसमें जनता का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हमें इससे प्रेरणा लेनी होगी। 

Web Title: Former President Pranab Mukherjee says Parliamentary British Government

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