पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जीः राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार, बेटे ने विदाई, तोपों की सलामी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 1, 2020 02:46 PM2020-09-01T14:46:46+5:302020-09-01T16:42:39+5:30
दिल्ली के लोधी श्मशान घाट में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का अंतिम संस्कार किया गया। प्रणब मुखर्जी का कल निधन हो गया था। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पूरे देश के लिए गहरे दुख और सदमे की बात है कि भारत रत्न प्रणब मुखर्जी हम सबके बीच में नहीं रहे। सबको साथ रखने की कला में प्रणब मुखर्जी को महारत थी।
नई दिल्लीः पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का मंगलवार दोपहर को दिल्ली के लोधी रोड विद्युत शव दाह गृह में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उनके बेटे ने अंतिम संस्कार किया।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का मंगलवार दोपहर दिल्ली के लोधी रोड विद्युत शव दाह गृह में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। प्रणब के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने उनका अंतिम संस्कार किया। परिजनों और रिश्तेदारों ने कोविड-19 से बचाव के दिशा-निर्देशों के अनुरूप पीपीई किट में मुखर्जी को अंतिम विदाई दी।
सेना की टुकड़ी ने पूर्व राष्ट्रपति को गार्ड ऑफ ऑनर और तोपों की सलामी दी। इससे पहले मुखर्जी का पार्थिव शरीर फूलों से सजे वाहन में श्मशान गृह लाया गया। उनके पार्थिव शरीर पर तिरंगा लिपटा हुआ था। उल्लेखनीय है कि 84 वर्षीय मुखर्जी का सोमवार शाम को दिल्ली छावनी स्थित सेना के रिसर्च ऐंड रेफरल अस्पताल में निधन हो गया था। वह 21 दिनों से अस्पताल में भर्ती थे।
मास्क पहनकर और सामाजिक दूरी का पालन करते हुए मुखर्जी को दी गई श्रद्धांजलि
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके आवास पर पहुंचे नेताओं एवं अन्य लोगों ने न सिर्फ मास्क पहन रखे थे, बल्कि छह फुट की दूरी रखते हुए कतारबद्ध होकर आपनी पारी का इंतजार किया। देश के 13वें राष्ट्रपति रहे मुखर्जी का पार्थिव शरीर मंगलवार सुबह उनके आवास पर लाया गया। तीन हफ्ते तक सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती रहने के बाद सोमवार को उनका निधन हो गया था। ‘भारत रत्न’ मुखर्जी के निधन पर देश में सात दिनों का राष्ट्रीय शोक है।
मुखर्जी के अंतिम दर्शन के लिए कई नेता और अन्य लोग उनके आवास 10 राजा जी मार्ग पहुंचे। कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने बताया कि नेताओं ने मुखर्जी की तस्वीर पर पुष्प आर्पित किए और वे उनके पार्थिव शरीर को देख सकते थे जो दूसरे कमरे में रखा हुआ था। मुखर्जी के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे लोगों ने मास्क पहन रखे थे। वहां मौजूदा सुरक्षाकर्मियों ने भी फेस शील्ड पहन रखा था। कोरोना वायरस संबंधी सभी दिशानिर्देशों का पालन करते हुए उनके पार्थिक शरीर को ले जाने के इंतजाम किए गए थे।
इसके लिए ‘गन कैरिज’ के बजाय ‘हर्स वैन’ (शव वाहन) का प्रबंध था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने मंगलवार को मुखर्जी के अंतिम दर्शन किए और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, थल सेना अध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे, वायु सेना प्रमुख आर के एस भदौरिया, नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह सहित कई प्रमुख हस्तियों ने भी मुखर्जी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
#WATCH Delhi: Former President #PranabMukherjee laid to rest with full military honours.
— ANI (@ANI) September 1, 2020
His last rites were performed at Lodhi crematorium today, under restrictions for #COVID19. pic.twitter.com/VbwzZG1xX9
राष्ट्रपति कोविंद, प्रधानमंत्री मोदी सहित कई गणमान्य हस्तियों ने दी मुखर्जी को श्रद्धांजलि
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तीनों सेनाओं के प्रमुखों सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और कई गणमान्य व्यक्तियों ने मंगलवार को यहां पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। ‘‘भारत रत्न’’ मुखर्जी का सोमवार की शाम सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे। उन्हें गत 10 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसी दिन उनके मस्तिष्क की सर्जरी की गई थी। अस्पताल से पूर्व राष्ट्रपति के पार्थिव शरीर को फुलों से सुसज्जित एक सफेद वाहन में आज उनके सरकारी निवास 10, राजाजी मार्ग लाया गया, जहां गणमान्य व्यक्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर 31 अगस्त से छह सितंबर तक सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। लंबे समय तक कांग्रेस के नेता रहे मुखर्जी की गिनती सार्वजनिक जीवन में सबसे सम्मानित नेताओं में होती है। इसका नजारा आज उनके सरकारी आवास पर देखने को मिला जब राजनीति से परे सभी दलों के नेता और सामान्य जन ने भी उन्हें भावभीनी विदाई दी।
कोविड महामारी के मद्देनजर मास्क लगाए और उचित दूरी का पालन करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और हर्ष वर्धन, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा ने भी दिवंगत नेता को श्रद्धासुमन अर्पित किए। इन नेताओं ने मुखर्जी की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
अन्य प्रमुख हस्तियों ने भी मुखर्जी को श्रद्धांजलि अर्पित की
उनका पार्थिव शरीर दूसरे कमरे में रखा गया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, थल सेना अध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे, वायु सेना प्रमुख आर के एस भदौरिया, नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह सहित अन्य प्रमुख हस्तियों ने भी मुखर्जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। राजा ने पत्रकारों से कहा, ‘‘लोग उनसे सहमत हों या असहमत वे मुखरता से राष्ट्रहित में अपने विचार रखते थे। ’’ राज्यसभा के सदस्य और भाजपा नेता विजय गोयल ने कहा कि मुखर्जी ने कभी सत्ताधारी और विपक्षी दल के नेताओं में फर्क नहीं किया।
गोयल ने कहा, ‘‘वह एक शानदार नेता और वक्ता थे। कांग्रेस के वह खेवनहार रहे। उन्होंने हर किसी का दिल जीता। हमारे प्रधानमंत्री उनका इतना सम्मान करते थे। इसी से आप समझ सकते है कि वह देश के लिए कितने महत्वपूर्ण थें। सही मायने में वह भारत रत्न थे।’’ मुखर्जी अपने पीछे बेटे अभिजीत और पुत्री शर्मिष्ठा को छोड़ गए हैं। अभिजीत ने मुखर्जी के अपने गांव से लगाव और निकटता को देखते हुए कहा, ‘‘जंगीपुर में अपने घर में उनकी याद में मैं संग्रहालय, जिसमें पुस्तकालय भी हो, का निर्माण करने की योजना बना रहा हूं।’’
मुखर्जी का अंतिम संस्कार आज दोपहर दो बजे लोधी रोड श्मशान घाट में होगा। मुखर्जी 2012 से 2017 तक देश के 13वें राष्ट्रपति रहे। लंबे समय तक कांग्रेस के नेता रहे मुखर्जी सात बार सांसद भी रहे। भाजपा-नीत केंद्र सरकार ने साल 2019 में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘‘भारत रत्न’’ से नवाजा था। पश्चिम बंगाल में जन्मे इस राजनीतिज्ञ को चलता फिरता ‘इनसाइक्लोपीडिया’ कहा जाता था और हर कोई उनकी याददाश्त क्षमता, तीक्ष्ण बुद्धि और मुद्दों की गहरी समझ का मुरीद था।
उन्होंने इंदिरा गांधी, पी वी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह जैसे प्रधान मंत्रियों के साथ काम किया। मुखर्जी भारत के एकमात्र ऐसे नेता थे जो देश के प्रधानमंत्री पद पर न रहते हुए भी आठ वर्षों तक लोकसभा के नेता रहे। वे 1980 से 1985 के बीच राज्यसभा में भी कांग्रेस पार्टी के नेता रहे। मुखर्जी जब 2012 में देश के राष्ट्रपति बने तो उस समय वे केंद्र सरकार के मंत्री के तौर पर कुल 39 मंत्री समूहों में से 24 का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
साल 2004 से 2012 के दौरान उन्होंने 95 मंत्री समूहों की अध्यक्षता की। वैसे तो उन्होंने सरकार में विभिन्न पदों को सुशोभित किया लेकिन साल 2004 में पहली बार उन्हें लोकसभा पहुंचने का सौभाग्य मिला। पश्चिम बंगाल की जंगीपुर संसदीय सीट से चुनाव जीत कर वे लोकसभा के सदस्य बने। इससे पहले उन्हें दो बार लोकसभा चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा था।
साल 1977 में मालदा और 1980 में बोलपुर संसदीय क्षेत्र से वे चुनाव हार गए थे। राष्ट्रपति के रूप में भी उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी। इस दौरान उन्होंने दया याचिकाओं पर सख्त रुख अपनाया। उनके सम्मुख 34 दया याचिकाएं आईं और इनमें से 30 को उन्होंने खारिज कर दिया। जनता के राष्ट्रपति के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले मुखर्जी को राष्ट्रपति भवन को जनता के निकट ले जाने के लिए उठाए गए कदमों के लिए भी याद किया जाएगा। उन्होंने जनता के लिए इसके द्वार खोले और एक संग्रहालय भी बनवाया।
देश ने एक विशिष्ट नेता, उत्कृष्ट सांसद खो दिया : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मुखर्जी के निधन पर कहा
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर मंगलवार को शोक प्रकट किया और कहा कि देश ने एक विशिष्ट नेता एवं उत्कृष्ट सांसद को खो दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दो मिनट का मौन रखकर मुखर्जी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक प्रस्ताव में कहा, ‘मंत्रिमंडल भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी के दुखद निधन पर गहरा शोक प्रकट करता है । उनके निधन से देश ने एक विशिष्ट नेता एवं उत्कृष्ट सांसद को खो दिया ।’’ मंत्रिमंडल ने कहा कि भारत के 13वें राष्ट्रपति मुखर्जी का प्रशासन में अतुलनीय अनुभव था जिन्होंने विदेश, रक्षा, वाणिज्य और वित्त मंत्री के रूप में देश की सेवा की। प्रस्ताव के अनुसार, ‘‘ केंद्रीय मंत्रिमंडल राष्ट्र के प्रति उनकी सेवाओं की गहराई से सराहना करता है तथा सरकार एवं सम्पूर्ण राष्ट्र की ओर से शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करता है।’
Delhi: The last rites of former President #PranabMukherjee being performed at Lodhi crematorium, by his son Abhijit Mukherjee. pic.twitter.com/1asOyutbPV
— ANI (@ANI) September 1, 2020