दिल्ली हिंसाः जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को 10 दिन की पुलिस रिमांड, राजद्रोह, हत्या, हत्या के प्रयास का मामला दर्ज, जानिए पूरा मामला
By भाषा | Published: September 14, 2020 09:42 PM2020-09-14T21:42:01+5:302020-09-14T21:42:01+5:30
खालिद को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के समक्ष पेश किया गया। पुलिस ने यह कहते हुए दस दिन के लिए उसकी हिरासत मांगी कि उसे ढेर सारे डाटा से आमना-सामना कराने की जरूरत है। खालिद को इस मामले में रविवार रात को गिरफ्तार किया गया था।

हिंसा होने के बाद 24 फरवरी को सांप्रदायिक हिंसा फैल गया जिसमें 53 लोग मारे गये और करीब 200 लोग घायल हुए। (fphoto-ani)
नई दिल्लीः दिल्ली की एक अदालत ने अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद को फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े एक मामले में सोमवार को दस दिन के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया।
खालिद को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के समक्ष पेश किया गया। पुलिस ने यह कहते हुए दस दिन के लिए उसकी हिरासत मांगी कि उसे ढेर सारे डाटा से आमना-सामना कराने की जरूरत है। खालिद को इस मामले में रविवार रात को गिरफ्तार किया गया था।
उसके वकील ने यह कहते हुए पुलिस हिरासत का विरोध किया कि वह 23-26 फरवरी के दौरान दिल्ली में नहीं था, जब हिंसा हुआ था। अपनी प्राथमिकी में पुलिस ने दावा किया है कि सांप्रदायिक हिंसा ‘सुनियोजित साजिश’ थी जिसे कथित रूप से खालिद और दो अन्य ने कथित रूप से रचा था।
विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य और दंगा फैलाने का भी मामला दर्ज किया गया
खालिद पर राजद्रोह, हत्या, हत्या के प्रयास, धर्म के आधार पर विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य और दंगा फैलाने का भी मामला दर्ज किया गया है। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि खालिद ने दो स्थानों पर कथित भड़काऊ भाषण दिया और नागरिकों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश देने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा के दौरान सड़कें जाम करने की अपील की कि भारत में अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार किया जा रहा है।
प्राथमिकी में दावा किया गया है कि विभिन्न घरों में आग्नेयास्त्र, पेट्रोल बम, तेजाब की बोतलें और पत्थर इकट्ठा किये गये। पुलिस ने आरोप लगाया कि सह आरोपी दानिश को दो स्थानों पर दंगे के लिए लोगों को इकट्ठा करने की कथित जिम्मेदारी सौंपी गयी।
प्राथमिकी के अनुसार इलाके में तनाव पैदा करने के लिए 23 फरवरी को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास की सड़कों को महिलाओं और बच्चों से जाम कराया गया। उत्तर पूर्वी दिल्ली में संशेाधित नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा होने के बाद 24 फरवरी को सांप्रदायिक हिंसा फैल गया जिसमें 53 लोग मारे गये और करीब 200 लोग घायल हुए।
Former JNU student leader Umar Khalid sent to 10 days police remand by Delhi's Karkardooma Court
— ANI (@ANI) September 14, 2020
He was arrested by Special Cell last night, under the Unlawful Activities (Prevention) Act, in connection with Delhi violence matter
(file pic) pic.twitter.com/T5i75wByNN
शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उमर खालिद की गिरफ्तार की निंदा की
शिक्षाविदों, नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक वर्ग ने सोमवार को जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद के साथ एकजुटता दिखायी जिन्हें उत्तरपूर्व दिल्ली में हिंसा में उनकी कथित भूमिका के लिए गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया है। खालिद को दिल्ली पुलिस की विशेष इकाई ने रविवार रात में 11 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया।
वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं खालिद के पिता डा. एस क्यू आर इलियास ने ट्वीट किया, ‘‘मेरे बेटे उमर खालिद को आज रात 11:00 बजे स्पेशल सेल, दिल्ली पुलिस ने यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया। पुलिस अपराह्न 1:00 बजे से उससे पूछताछ कर रही थी। उसे फंसाया गया है।’’ उनकी पार्टी द्वारा जारी एक बयान के अनुसार इलियास ने अपने बेटे की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की और कहा कि पुलिस ‘‘दिल्ली हिंसा में उसे झूठे ही फंसा रही है।’’
बयान में उनके हवाले कहा गया है कि खालिद ने ‘‘हमेशा संविधान को बरकरार रखा है और विवादास्पद सीएए कानून के खिलाफ एक मजबूत आवाज के रूप में उभरा है और उसका दृष्टिकोण हमेशा शांतिपूर्ण, अहिंसक और कानून के मापदंडों के भीतर रहा है।’’
दिल्ली दंगों से उसे जोड़ना पूरी तरह से गढ़ा हुआ विमर्श है
उन्होंने दावा किया, ‘‘दिल्ली हिंसा से उसे जोड़ना पूरी तरह से गढ़ा हुआ विमर्श है जिसे दिल्ली पुलिस द्वारा देश को गुमराह करने और असहमति की आवाज दबाने के लिए निर्मित किया गया है।’’ बयान में कहा गया है, ‘‘डा. उमर खालिद के खिलाफ यूएपीए के विभिन्न धाराओं के तहत एक मामला दर्ज किया गया है और उन्हें दिल्ली दंगों में एक साजिशकर्ता बनाया गया है जबकि वास्तव में भड़काऊ भाषण देकर उकसाने वालों को छोड़ दिया गया है।
उन्होंने नागरिकों का आह्वान किया कि वे उमर खालिद और उन सभी बेगुनाह कार्यकर्ताओं के साथ खड़ें हों जिन्हें दिल्ली हिंसा में झूठे ही फंसाया गया है।’’ खालिद की गिरफ्तारी के बाद ‘‘स्टैंडविदउमरखालिद’’ ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने हैशटैग ‘स्टैंडविदउमरखालिद’ का इस्तेमाल करते हुए ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री कहते हैं कि वह आलोचना का स्वागत करते हैं, लेकिन वह कीमत का उल्लेख करना भूल जाते हैं जो उन लोगों को चुकानी पड़ती है जो बोलते हैं।’’
स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने ट्वीट किया, ‘‘यह जानकार हैरानी हुई कि आतंकवाद निरोधक कानून यूएपीए का उपयोग उमर खालिद जैसे युवा, सोच वाले आदर्शवादी को गिरफ्तार करने के लिए किया गया है जिन्होंने हमेशा किसी भी रूप में हिंसा और सांप्रदायिकता का विरोध किया है। वह निस्संदेह उन नेताओं में से हैं जिनकी भारत को जरूरत है। दिल्ली पुलिस भारत के भविष्य को लंबे समय तक नहीं रोक सकती।’’ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि खालिद की गिरफ्तारी ‘‘दिल्ली दंगों की जांच की प्रकृति की कुरूपता’’ को उजागर करती है।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘येचुरी, योगेंद्र यादव, (शिक्षाविद) जयति घोष और अपूर्वानंद का नाम डालने के बाद दिल्ली पुलिस द्वारा उमर खालिद की गिरफ्तारी, दिल्ली दंगों में उसकी जांच की दुर्भावनापूर्ण प्रकृति के बारे में बिल्कुल भी संदेह नहीं छोड़ती।’’ सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने खालिद को एक ऐसा युवा बताया जिस पर देश को गर्व होना चाहिए और कहा कि उन्होंने हमेशा अहिंसा और गांधी की बात की।
सतीश देशपांडे, मैरी जॉन, अपूर्वानंद, नंदिनी सुंदर, शुद्धब्रत सेनगुप्ता, ए पटेल, मंदर, फराह नकवी और बी. पटनायक सहित शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक समूह ने संयुक्त रूप से खालिद के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए एक बयान जारी किया। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने खालिद को मामले में ‘‘झूठे ही फंसाने’’ के लिए दिल्ली पुलिस पर निशाना साधा और सभी प्रगतिशील वर्गों से अपील की कि वे ‘‘एकजुट और जागरूक रहें और इस तरह के कायरतापूर्ण कृत्यों से विचलित नहीं हों।’’
जेएनयूएसयू ने दावा किया, ‘‘जेएनयूएसयू सामाजिक कार्यकर्ताओं को लगातार निशाना बनाने की निंदा करता है। हम दोहराते हैं कि ये सभी कार्रवाई सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ लोकतांत्रिक विरोध को अपराध की श्रेणी में लाने का एक तरीका है जो विभाजनकारी, भेदभावपूर्ण और सांप्रदायिक एजेंडा है।’’