जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्य पाल मलिक का दावा- अंबानी और आरएसएस से जुड़ी फाइल पास करने के लिए पेश हुई थी 300 करोड़ की रिश्वत
By उस्मान | Published: October 22, 2021 01:08 PM2021-10-22T13:08:56+5:302021-10-22T13:17:25+5:30
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक वीडियो में सत्य पाल मलिक ने यह दावा किया है
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल और वर्तमान में मेघालय के उप राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने दावा किया है कि उनसे कहा गया था कि अगर उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान 'अंबानी' और 'आरएसएस' से जुड़े एक व्यक्ति' से संबंधित दो फाइलों को मंजूरी दे दी, तो उन्हें 300 करोड़ रुपये की रिश्वत मिलेगी, लेकिन उन्होंने सौदे रद्द कर दिए।
पूर्व गवर्नर ने साथ ही साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि उस वक्त पीएम ने उनसे कहा था कि वो भ्रष्टाचार से कोई समझौता ना करें और उन्हें सपोर्ट भी किया था।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सत्य पाल मलिक ने यह दावा सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक वीडियो में किया गया है जोकि राजस्थान के झुंझुनू में एक कार्यक्रम में एक सभा की बताई जा रही है।
मेघालय के राज्यपाल का कश्मीर-अंबानी पर बड़ा खुलासा : सत्यपाल मलिक बोले- अंबानी के इंवोल्वमेंट वाली दो डील में घपला था,मुझे 150-150 करोड़ की पेशकश की थी pic.twitter.com/0gJVNC8NMK
— Mohit Singh (@coolindian) October 22, 2021
सत्य पाल मलिक ने कहा कि कश्मीर जाने के बाद, दो फाइलें मेरे पास (मंजूरी के लिए) आईं, एक अंबानी की और दूसरी आरएसएस से जुड़े एक व्यक्ति की थी, जो पिछली महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली (पीडीपी-भाजपा गठबंधन) सरकार में मंत्री थे और प्रधानमंत्री के बहुत करीब होने का दावा करते थे।
उन्होंने कहा कि 'मुझे दोनों विभागों के सचिवों द्वारा सूचित किया गया था कि इसमें एक घोटाला शामिल है और मैंने तदनुसार दोनों सौदे रद्द कर दिए। सचिवों ने मुझसे कहा कि 'आपको फाइलें क्लियर करने के लिए 150 करोड़ रुपये मिलेंगे' लेकिन मैंने उनसे कहा कि मैं पांच कुर्ता-पजामा के साथ आया हूं और उनके साथ ही जाऊंगा।
हालांकि मलिक ने इन दो फाइलों के बारे में विस्तार से नहीं बताया है, लेकिन वह स्पष्ट रूप से सरकारी कर्मचारियों, पेंशनभोगियों और मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए एक समूह स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के रोल-आउट से संबंधित एक फाइल का जिक्र कर रहे थे, जिसके लिए सरकार ने रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के साथ करार किया था जोकि अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह का हिस्सा है।
अक्टूबर, 2018 में, मलिक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे और उन्होंने कर्मचारियों को समूह स्वास्थ्य बीमा प्रदान करने के लिए रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी के साथ गठजोड़ रद्द कर दिया था क्योंकि इसमें कुछ गड़बड़ थी।
दो दिन बाद, राज्यपाल ने रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के साथ अनुबंध को बंद करने को मंजूरी दे दी और पूरी प्रक्रिया की जांच के लिए मामले को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को भेज दिया ताकि यह देखा जा सके कि यह पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से किया गया था या नहीं।
मालिक ने कहा कि एहतियात के तौर पर, मैंने प्रधानमंत्री से समय लिया और उन्हें दो फाइलों और घोटाले के बारे में जानकारी दी क्योंकि इसमें शामिल लोग उनका नाम ले रहे थे। मैंने सीधे उनसे (पीएम) कहा कि मैं पद छोड़ने के लिए तैयार हूं लेकिन अगर मैं रहता हूं, तो मैं फाइल क्लियर नहीं करूंगा।
बता दें कि एक दूसरी वायरल वीडियो क्लिप में, मलिक को कथित तौर पर यह दावा करते हुए देखा जा सकता है कि अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती को रोशनी योजना के तहत भूखंड मिले थे। फारूक अब्दुल्ला ने मलिक के आरोप को झूठ बताते हुए खारिज कर दिया।
False & unsavoury utterances of Satya Pal Malik about me being a beneficiary of Roshni Act is highly mischievous.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) October 20, 2021
My legal team is preparing to sue him.
He has the option to withdraw his comments failing which I will pursue legal recourse. pic.twitter.com/QVSOEFLGYp
मलिक अनुच्छेद 370 निरस्त किये जाने के समय जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे। अब वह मेघालय के राज्यपाल हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने बृहस्पतिवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्य पाल मलिक के इस आरोप को 'झूठ' बताकर खारिज कर दिया कि वह और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला रोशनी योजना के लाभार्थी थे।