बागी जॉर्ज फर्नांडिस पर लगे इन 5 आरोपों ने उन्हें बनाया 'दागी'

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 29, 2019 02:37 PM2019-01-29T14:37:07+5:302019-01-29T14:37:36+5:30

सन् 1975 में जॉर्ज ने आपातकाल के लिए इंदिरा गाँधी को ललकारा था और फिर भूमिगत हो गए थे..

Former Defence Minister, Veteran socialist, anti Emergency crusader George Fernandes controversy | बागी जॉर्ज फर्नांडिस पर लगे इन 5 आरोपों ने उन्हें बनाया 'दागी'

बागी जॉर्ज फर्नांडिस पर लगे इन 5 आरोपों ने उन्हें बनाया 'दागी'

बागी तेवर के साथ मजदूरों कामगारों के नायक के तौर पर राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले जॉर्ज फर्नांडिस ने आज दिल्ली में आखिरी सांस ली। अपने शुरुआती दिनों में मध्यवर्गीय और उच्चवर्गीय लोगों के बीच एक अराजक व्यक्ति के तौर पर देखे जाने वाले जॉर्ज धीरे धीरे मुंबई के गरीबों के बीच हीरो बनते जा रहे थे। 1974 में देशव्यापी रेल हड़ताल के बाद कद्दावर नेता के तौर पर उभरे जॉर्ज ने रक्षा मंत्री, रेल मंत्री, उद्योग मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों को संभाला। जॉर्ज के जीवन में भी हमेशा सबकुछ उन्हीं के पाले में नहीं रहा बल्कि विवादों से भी उनका गहरा नाता रहा है

देश की सबसे बड़ी हड़ताल
नौकरी की तलाश में जॉर्ज 1949 में बॉम्बे आ गए जहां साल 1973 में फर्नांडिस ‘ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन’ के चेयरमैन चुने गए। रेलवे में उस वक्त करीब 14 लाख लोग काम करते थे और सरकार रेलवे कामगारों की कई जरूरी मांगों को कई सालों से दरकिनार कर रही थी। ऐसे में जॉर्ज ने 8 मई, 1974 को देशव्यापी रेल हड़ताल का बिगुल फूंक दिया जिससे भारतीय रेल का चक्का तीन दिनों के लिए पूरी तरह से जाम हो गया। कई दिनों तक रेल का संचालन ठप रहा।

इस आंदोलन से हरकत में आई सरकार ने आंदोलन को कुचलते हुए 30 हजार लोगों को गिरफ्तार कर लिया और हजारों को नौकरी और रेलवे की कॉलोनियों से निकाल बाहर कर दिया गया।


रक्षामंत्री रहते हुए लगा घोटाले का आरोप
रक्षामंत्री के रूप में जॉर्ज का कार्यकाल खासा विवादित रहा। 2001 में ताबूत घोटाले और तहलका खुलासे में उनके संबंधों को खूब तूल दिया गया। जिसके बाद जॉर्ज फर्नांडिस ने इस गड़बड़ी की नैतिम जिम्मेदारी लेते हुए रक्षा मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि आठ माह से भी कम समय में अदालत से क्लीन चिट मिलने पर उन्हें उसी पद पर पुनः नियुक्त कर दिया गया।

बड़ौदा डायनामाइट कांड
कहा जाता है कि आपातकाल की घोषणा के बाद से ही जॉर्ज फर्नांडिस डायनामाइट लगाकर विस्फोट और विध्वंस करने का फैसला किया था। इसे बड़ौदा डायनामाइट केस नाम से जाना गया। इस मामले में जॉर्ज और उनके साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया। जेल में रहते हुए जॉर्ज लोकसभा चुनाव जीते और 1977 में जनता पार्टी से केंद्रीय मंत्री बने। 

भाई को चुकानी पड़ी थी कीमत
जॉर्ज के आंदोलन से परेशान सरकारी तंत्र ने जॉर्ज फर्नांडिस को परेशान करने के लिए उनके भाई लॉरेंस फर्नांडिस को हिरासत में ले लिया था। पुलिस ने लॉरेंस को इतना मारा कि जिसके चलते उनके पैर हमेशा के लिए खराब हो गए।

दांपत्य जीवन भी रहा विवादों के घेरे में
जॉर्ज फर्नांडिस का विवाह जवाहर लाल नेहरू के मंत्रिमंडल में शिक्षा राज्य मंत्री और जाने माने शिक्षाविद हुमायूं कबीर की बेटी लैला से हुई। कहा जाता है कि शादी से पहले दोनों के बीच लव स्टोरी भी चली थी। लेकिन 1984 आते-आते जॉर्ज और लैला के संबंधों में दरार पड़नी शुरू हो गई थी। 

बाद में जया जेटली से जॉर्ज की नजदीकियों की खबरें आईं। फिर अचानक 25 साल बाद लैला ने जॉर्ज की जिंदगी में लौटने की पहल की और अपने बीमार पति की देखभाल करने लगीं। 

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