नेशनल हेराल्ड मामले में दूध का दूध और पानी का पानी होगा?, पूर्व कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा-भारत में ऐसा नहीं हो सकता चोरी करके आदमी बच जाए
By सतीश कुमार सिंह | Updated: December 23, 2025 09:50 IST2025-12-23T09:49:24+5:302025-12-23T09:50:10+5:30
सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर जवाब देने को कहा, नेशनल हेराल्ड मामले में उनके खिलाफ दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से इनकार करने वाले निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई है।

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संभलःउत्तर प्रदेश के संभल में पूर्व कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, "नेशनल हेराल्ड मामले में दूध का दूध और पानी का पानी होगा। ये मामला बहुत लंबा चलेगा क्योंकि इसमें चोरी हुई है... भारत में ऐसा नहीं हो सकता कि चोरी करके आदमी बच जाए।" दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की उस याचिका पर जवाब देने को कहा, जिसमें नेशनल हेराल्ड मामले में उनके खिलाफ दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से इनकार करने वाले निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई है।
#WATCH संभल(उत्तर प्रदेश): पूर्व कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, "नेशनल हेराल्ड मामले में दूध का दूध और पानी का पानी होगा। ये मामला बहुत लंबा चलेगा क्योंकि इसमें चोरी हुई है... भारत में ऐसा नहीं हो सकता कि चोरी करके आदमी बच जाए।" pic.twitter.com/d2SOpP6hfG
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 23, 2025
न्यायमूर्ति रवींदर डुडेजा ने गांधी परिवार और अन्य लोगों को मुख्य याचिका के साथ-साथ ईडी के उस आवेदन पर भी नोटिस जारी किया, जिसमें 16 दिसंबर के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है। निचली अदालत ने कहा था कि इस मामले में एजेंसी की शिकायत का संज्ञान लेना ‘‘कानूनी रूप से अस्वीकार्य’’ है क्योंकि यह प्राथमिकी पर आधारित नहीं है।
उच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 मार्च 2026 की तारीख तय की। इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ईडी का प्रतिनिधित्व किया, जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी और आर एस चीमा ने गांधी परिवार की ओर से पैरवी की। निचली अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की अनुसूची में उल्लिखित अपराध के लिए प्राथमिकी के अभाव में धन शोधन के अपराध से संबंधित जांच और उसके परिणामस्वरूप अभियोग शिकायत (आरोपपत्र के समकक्ष) ‘‘मान्य नहीं’’ है।
अदालत ने कहा कि एजेंसी की जांच एक निजी शिकायत के आधार पर शुरू हुई थी, न कि प्राथमिकी के आधार पर। सोमवार को सुनवाई के दौरान, मेहता ने दलील दी कि निचली अदालत ने अपने दृष्टिकोण में ‘‘बड़ी गलती’’ की है और इससे अन्य मामलों पर भी असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जांच के बाद, ईडी के अधिकारी सबूत और अन्य सामग्री एकत्र करते हैं, और पुलिस की तरह ही एक रिपोर्ट दायर करते हैं।
तथा ईडी अभियोजन शिकायत दर्ज करता है। सिंघवी ने ईडी की ओर से दिए गए बयानों का विरोध किया, लेकिन कहा कि वह नोटिस स्वीकार करेंगे और इस मामले में जवाब दाखिल करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं कुछ कहना चाहता हूँ। मैं बस इतना कह रहा हूँ कि एक ऐसा दृष्टिकोण है जो मेरे दोस्त की कही बात के विपरीत है।’’
ईडी ने अपनी याचिका में कहा कि निचली अदालत के आदेश ने एक तरह से धनशोधन करने वालों के एक वर्ग को केवल इस आधार पर छूट दे दी है कि अनुसूचित अपराध की रिपोर्ट एक निजी व्यक्ति द्वारा मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत के माध्यम से की गई है। निचली अदालत ने कहा था कि भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा की गई शिकायत और उसके परिणामस्वरूप 2014 में जारी किए गए समन आदेश के बावजूद, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित अनुसूचित अपराध के संबंध में आज तक प्राथमिकी दर्ज करने से परहेज किया है।
ईडी ने सोनिया और राहुल गांधी के साथ-साथ कांग्रेस के दिवंगत नेताओं मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा और निजी कंपनी यंग इंडियन पर साजिश और धनशोधन का आरोप लगाया है। आरोप है कि उन्होंने ‘एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड’ (एजेएल) की लगभग 2,000 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियों का अधिग्रहण किया।
यह कंपनी ‘नेशनल हेराल्ड’ अखबार का प्रकाशन करती है। जांच एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया है कि गांधी परिवार की ‘यंग इंडियन’ में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जिसने 90 करोड़ रुपये के ऋण के बदले कथित तौर पर धोखाधड़ी से एजेएल की संपत्तियों पर कब्जा कर लिया।