दिल्ली हाईकोर्ट में सेना के पूर्व अधिकारी ने 'अग्निपथ योजना' के खिलाफ दायर की जनहित याचिका
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: August 19, 2022 02:54 PM2022-08-19T14:54:22+5:302022-08-19T15:01:29+5:30
'अग्निपथ योजना' के खिलाफ पूर्व सैन्य अधिकारी कर्नल अमित कुमार ने एक जनहित याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की है। इस याचिका को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच 25 अगस्त को सुनेगी।
दिल्ली: रक्षा मंत्रालय की नई सेना भर्ती योजना 'अग्निपथ' के खिलाफ एक पूर्व सैन्य अधिकारी ने दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। सेना के पूर्व कर्नल की ओर से गुरुवार को दायर की गई याचिका में कहा है कि भारतीय वायुसेना की ओर से साल 2019 में आयोजित परीक्षा के परिणाण को रद्द करते हुए जो सशस्त्र बलों में अल्पकालिक भर्ती योजना शुरू की गई है, उसे रद्द किया जाना चाहिए और साल 2019 में जिन उम्मीदवारों का चयन वायुसेना के लिए किया था, उसे रद्द नहीं किया जाना चाहिए।
भारतीय सेना से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर दिल्ली बार काउंसिल में बतौर वकील पंजीकृत होने वाले कर्नल अमित कुमार की यह जनहित याचिका चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच में लिस्ट हुई है।
दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने इस याचिका को इसी तरह के अन्य मामलों के साथ जोड़कर 25 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में भी 'अग्निपथ योजना' को रद्द करने के लिए कई याचिकाएं दायर की गई थी, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने एक साथ दिल्ली हाईकोर्ट को ट्रांसफर कर दिया था।
कर्नल अमित कुमार की ओर से दायर की गई जनहित याचिका में कोर्ट से मांग की गई है किस केंद्र और उसके तहत आने वाले सभी संबंध अधिकारियों को उन सभी उम्मीदवारों के कॉल लेटर और सेलेक्शन लेटर जारी करने के निर्देश देने की मांग की गई है, जिन्होंने पहले सेना, नौसेना और वायु सेना में क्रमशः सैनिकों, नाविकों और वायु सेना में प्रवेश के लिए योजना के लागू होने से पूर्व चयन प्रक्रिया को पूरा कर चुके हैं।
इसके साथ ही कर्नल अमित कुमार की याचिका में कोर्ट से यह भी कहा गया है कि 'अग्निपथ योजना' लागू करने योग्य नहीं है। कर्नल अमित कुमार ने इस योजना को रद्द करने के लिए सेना अधिनियम, 1950 की धारा 193 ए का हवाला दिया है, जिसके मुताबिक 'अग्निपथ योजना' की मंजूरी संसद के किसी भी सदन से नहीं ली गई है।
याचिका के अनुसार, "अग्निपथ योजना, जो भारत की सेना, नौसेना, वायु सेना में क्रमशः सैनिकों, नाविकों और वायुसैनिकों की भर्ती के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा लागू की गईएक नई योजना है। यह योजना राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करती है और इस योजना के कारण युवाओं का भविष्य खराब हो सकता है और यह योजना नागरिकों के मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन करती है।"
कर्नल अमित कुमार ने याचिका में कहा है, "इस योजना में कई बड़ी खामियों हैं, जिसके कारण तीनों सैन्य बल और जनता में बहुत आक्रोश है। यही कारण था की जब इस योजना का ऐलान किया गया था तो युवाओं का आक्रोश हिंसक विरोध की हद तक चला गया था, जिससे कारण देश की सार्वजनिक संपत्ति को काफी नुकसान हुआ और कुछ राज्य सरकारों ने तो इस योजना के लिए बाकायदा संकल्प भी पारित किया है।"
कर्नल अमित कुमार ने मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा, "यह योजना पहली बार में राष्ट्रीय सुरक्षा को दांव पर लगाती है और युवाओं के भविष्य के लिए बेहद घातक है। इस योजना से जवानों के प्रशिक्षण की कमी के अलावा हथियार की अधूरी ट्रेनिंग के कारण सेना के मनोबल को कोई लाभ नहीं होने वाला है और सबसे मुख्य बात यह है कि चार साल के बाद सेना से रिटायर होने वाले युवा संभावित रूप से आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। (समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ)