विदेशी पर्यटक नहीं कर रहे कश्मीर का रुख, ये बड़ी वजह है राह का रोड़ा!

By सुरेश डुग्गर | Published: December 14, 2018 11:43 AM2018-12-14T11:43:17+5:302018-12-14T11:43:17+5:30

तमाम कोशिशों के बाद भी विदेशी सरकारों ने नहीं हटाई यात्रा चेतावनियां, नतीजतन विदेशी पर्यटक नहीं कर रहे कश्मीर का रुख।

Foreign tourists are not going to Kashmir, this is a major reason that the barrier of the road! | विदेशी पर्यटक नहीं कर रहे कश्मीर का रुख, ये बड़ी वजह है राह का रोड़ा!

विदेशी पर्यटक नहीं कर रहे कश्मीर का रुख, ये बड़ी वजह है राह का रोड़ा!

Highlightsदेशभर के पर्यटक भी एक बार फिर धरती के स्वर्ग का आनंद उठाने आने लगे हैं पर विदेशी पर्यटक चाह कर भी चांदनी रात में डल झील में नौका विहार से वंचित हो रहे हैं।विदेशी सरकारों ने कश्मीर को अभी भी आतंकवादग्रस्त क्षेत्र घोषित कर अपने नागरिकों के कश्मीर टूर को प्रतिबंधित कर रखा है।

जम्मू, 14 दिसम्बरः यह एक कड़वी सच्चाई है कि राज्य सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद कश्मीर की ओर विदेशी टूरिस्टों का रुख नहीं होने का परिणाम है कि कश्मीर की अर्थव्यवस्था में वह सुधार नहीं हो पा रहा है जिसकी उम्मीद की जा रही थी। ऐसे में राज्य सरकार के समक्ष अब यही रास्ता बचा है कि वह विदेशी पर्यटकों को कश्मीर की ओर आकर्षित करने की खातिर वह उन देशों से एक बार फिर गुहार लगाए जिन्होंने अपने नागरिकों के लिए कश्मीर का दौरा प्रतिबंधित कर रखा है।

कश्मीर में बालीवुड भी लौटने लगा है। देशभर के पर्यटक भी एक बार फिर धरती के स्वर्ग का आनंद उठाने आने लगे हैं पर विदेशी पर्यटक चाह कर भी चांदनी रात में डल झील में नौका विहार से वंचित हो रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनकी सरकारों ने कश्मीर को अभी भी आतंकवादग्रस्त क्षेत्र घोषित कर अपने नागरिकों के कश्मीर टूर को प्रतिबंधित कर रखा है।

राज्य के टूरिज्म विभाग से जुड़े अधिकारी भी मानते हैं कि करीब 25 मुल्कों ने कश्मीर को अपने वाश्ंिादों के लिए फिलहाल प्रतिबंधित कर रखा है। इस चिंता से वे केंद्र सरकार को भी अवगत करवा चुके हैं। इन मुल्कों के राजदूतों को कई बार कश्मीर बुला कर शांति के लौटते कदमों से परिचय करवा चुके हैं परंतु नतीजा वही ढाक के तीन पात वाला ही निकला है। इन मुल्कों ने अभी भी यात्रा चेतावनियों को नहीं हटाया है।

यात्रा चेतावनियों को हटवाने की खातिर पूर्व टूरिज्म मंत्री और मुख्यमंत्री भी कई बार विदेशों का दौरा कर चुके हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्रियों ने भी बहुतेरी कोशिश की थी। पर कोई भी कामयाब नहीं हो पाया। कारण स्पष्ट है। कोई भी मुल्क कश्मीर में अभी भी जारी हिंसा की वारदातों के चलते अपने नागरिकों के लिए खतरा मोल लेने को तैयार नहीं है।

यूं तो लाखों देशी टूरिस्टों ने कश्मीर का रूख करना आरंभ कर दिया है। पर उनकी वापसी संतोषजनक इसलिए नहीं मानी जा रही क्योंकि एक तो देशी टूरिस्ट 3 से 4 दिनों तक ही कश्मीर में रूकते हैं तो दूसरा वे अधिक खर्च नहीं करते। जोरा का कहना था कि विदेशी पर्यटकों का कार्यक्रम अक्सर 20 से 22 दिनों का होता है और उनके द्वारा किया जाने वाला खर्च ही अर्थव्यवस्था को सुधारता है।

ऐसा भी नहीं है कि कश्मीर में विदेशी टूरिस्ट न आ रहे हों बल्कि चोरी छुपे आने वालों की संख्या नगण्य ही है और जिन मुल्कों के नागरिक कश्मीर का दौरा कर रहे हैं वे लद्दाख की ओर ही रूख कर रहे हैं। इन्हीं कोशिशों के बीच राज्य सरकार ने एक बार फिर तकरीबन 60 से 70 मुल्कों के राजदूतों को कश्मीर बुलाने का फैसला किया था पर वह भी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं दे पाया। अधिकारियों के मुताबिक, ऐसा कर वे कश्मीर में लौट आई शांति से उन्हें अवगत करवाएंगें ताकि वे यात्रा चेतावनियों को हटा लें।

राज्य सरकार के प्रयासों का एक रोचक पहलू यह था कि उसका सारा जोर कुछ हजार की संख्या में आने वाले विदेशी टूरिस्टों की ओर ही है। वह कश्मीर आने वाले अन्य लाखों देशी पर्यटकों के प्रति अधिक नहीं सोच रही है। सिवाय इसके की उनकी यात्रा सुरक्षित रहे।

Web Title: Foreign tourists are not going to Kashmir, this is a major reason that the barrier of the road!

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