सपा नेता रामगोपाल यादव ने कहा- गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए सभी अस्पताल उतनी ही फीस लें जितनी AIIMS में ली जाती है

By भाषा | Published: February 7, 2020 01:19 PM2020-02-07T13:19:58+5:302020-02-07T13:19:58+5:30

लोकसभाः शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए यादव ने कहा कि बड़ी संख्या में लोग हृदय रोग, घुटने की समस्या आदि से पीड़ित होते हैं। गरीबों के लिए इन बीमारियों का इलाज कराना मुश्किल हो जाता है।

For treatment of serious diseases, all hospitals charge same fees as those charged in AIIMS says ramgopal yadav | सपा नेता रामगोपाल यादव ने कहा- गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए सभी अस्पताल उतनी ही फीस लें जितनी AIIMS में ली जाती है

रामगोपाल यादव (फाइल फोटो)

Highlightsसपा नेता ने मांग की कि गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए अन्य तथा निजी अस्पताल उतनी ही फीस लें जितनी फीस एम्स में ली जाती है। विभिन्न दलों के सदस्यों ने उनके इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया।

हृदय रोग, घुटने के प्रतिरोपण आदि के इलाज में निजी अस्पतालों में होने वाले महंगे खर्च का मुद्दा राज्यसभा में उठाते हुए शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने सरकार से यह सुनिश्चित किए जाने की मांग की कि गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए सभी अस्पताल उतनी ही फीस लें जितनी फीस अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा संस्थान (एम्स) में ली जाती है। 

शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए यादव ने कहा कि बड़ी संख्या में लोग हृदय रोग, घुटने की समस्या आदि से पीड़ित होते हैं। गरीबों के लिए इन बीमारियों का इलाज कराना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि ऐसी बीमारियों के इलाज के सरकार ने खर्च की सीमा तय की थी। लेकिन एम्स को छोड़ कर दूसरे तथा निजी अस्पतालों में भारी फीस ली जाती है। 

यादव ने उदाहरण देते हुए बताया कि हृदय रोगियों के लिए स्टेंट लगाने पर सरकार ने खर्च उसकी प्रकृति के आधार पर आठ हजार रुपये, 28 हजार रुपये और 67 हजार रुपये तय किया था। उन्होंने कहा ‘‘दूसरे अस्पतालों ने यह दर तो रखी लेकिन डॉक्टर की फीस, एंजियोप्लास्टी का खर्च, विभिन्न प्रकार के टेस्ट का खर्च, अस्पताल के कमरे के किराये आदि को अत्यधिक कर दिया। ऐसे में गरीबों के लिए इन अस्पतालों में इलाज कराना मुश्किल हो गया है।’’ 

सपा नेता ने मांग की कि गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए अन्य तथा निजी अस्पताल उतनी ही फीस लें जितनी फीस एम्स में ली जाती है। विभिन्न दलों के सदस्यों ने उनके इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया। इसी पार्टी के विशंभर प्रसाद निषाद ने भी निजी अस्पतालों में ली जाने वाली बड़ी फीस का मुद्दा उठाते हुए मांग की कि देश के कई हिस्सों में बाढ़ या सूखा की तबाही मचती है और किसानों की फसल खराब हो जाती है। ऐसे में वे महंगा इलाज कैसे कराएंगे। 

निषाद ने निजी अस्पतालों में शुल्क के नियमन, डॉक्टरों एवं अन्य चिकित्सा कर्मियों के रिक्त पद भरने तथा स्थानीय सांसद क्षेत्रीय विकास निधि से इलाज के लिए 25 लाख रुपये दिए जाने की सीमा को बढ़ा कर 50 लाख रुपये किए जाने की मांग की। विभिन्न दलों के सदस्यों ने उनके इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया। 

राकांपा की वंदना चव्हाण ने शून्यकाल में वायु प्रदूषण से जुड़ा मुद्दा उठाते हुए कहा कि यह देश में पांचवा सबसे बड़ा खतरा बन चुका है। उन्होंने कहा कि नासा के उपग्रह के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में वायु प्रदूषकों में सर्वाधिक कण सल्फर डाई ऑक्साइड के होते हैं। वंदना ने कहा कि सल्फर डाई ऑक्साइड के कारण स्वास्थ्य संबंधी खतरे भी बढ़ रहे हैं और इनका उत्सर्जन ताप घरों से भी हो रहा है।

सल्फर डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन पर नजर रखने के लिए संयंत्रों में व्यवस्था लागू करने और उसकी निगरानी करने की मांग करते हुए वंदना ने सुझाव दिया कि देश में वायु स्वच्छता कार्यक्रम चलाया जाना चाहिए। जदयू सदस्य रामनाथ ठाकुर ने जाति आधारित जनगणना किए जाने की मांग उठाई। 

उन्होंने कहा कि जाति आधारित जनगणना होने पर अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जातियों, जनजातियों की सटीक संख्या का पता चलेगा जिसके आधार पर उनके कल्याण के लिए योजनाएं बनाना आसासन होगा। ठाकुर ने कहा ‘‘जाति आधारित जनगणना इसलिए जरूरी है ताकि सबको विकास का लाभ मिल सके और वंचित जातियां मुख्य धारा से जुड़ सकें। अत: सरकार 2021 में प्रस्तावित राष्ट्रीय गणना में जातिगत पहलू को शामिल करे।’’ 

अन्नाद्रमुक सदस्य ए विजय कुमार ने मांग की कि कन्याकुमारी में भारत रत्न एवं तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत के कामराज की 300 फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाए। उन्होंने मध्यान्ह भोजन योजना का नाम भी कामराज के नाम पर रखे जाने की मांग की। 

Web Title: For treatment of serious diseases, all hospitals charge same fees as those charged in AIIMS says ramgopal yadav

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