आजादी के बाद पहली बार आतंक के खिलाफ जंग में साथ आएंगी भारत-पाक की सेनाएं
By भारती द्विवेदी | Published: April 29, 2018 04:06 PM2018-04-29T16:06:28+5:302018-04-29T16:06:28+5:30
सितंबर में दोनों ही देश एक बहु राष्ट्र विरोधी आतंकवादी अभ्यास का हिस्सा होंगे। हालांकि दोनों देशों की सेनाओं ने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में एक साथ काम किया है।
नई दिल्ली, 29 अप्रैल: पहली बार आतंकवाद के खिलाफ भारत और पाकिस्तान एकजुट होने वाले हैं। सितंबर में दोनों ही देश एक बहु राष्ट्र विरोधी आतंकवादी अभ्यास का हिस्सा होंगे। इस अभ्यास में चीन समेत आठ एससीओ (शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गेनाइजेशन) सदस्यों वाले देश जुड़ेगे। आधिकारियों के मुताबिक, ये सैन्य अभ्यास शंघाई कॉपोरेशन आर्गेनाइजेशन के तहत होगा। शंघाई सहयोग संगठन चीन की वर्चस्व वाली सुरक्षा समूह है, जिसे नाटो के प्रतिद्वंदी के तौर पर देखा जाता है।
आधिकारियों ने बताया है कि ये सैन्य ड्रिल रूस के उरल पहाड़ों पर आयोजित किया जाएगा और लगभग सभी एससीओ सदस्य वाले देश इसका हिस्सा होंगे। इस अभ्यास के मुख्य उद्देश्य आठ एससीओ सदस्यों वाले देश के बीच शांति मिशन स्थापित करना है। साथ ही आतंकवाद विरोधी पहल को मजबूत करना होगा। भारत इस अभ्यास का हिस्सा होगा इसकी पुष्टि निर्माला सीतारमण ने एससीओ रक्षामंत्रियों की बैठक के दौरान की थी। ये बैठक पिछले हप्ते बीजिंग में हुई थी।
स्वतंत्रता के बाद ये पहली बार होगा, जब भारत-पाकिस्तान दोनों एकसाथ सैन्य अभ्यास का हिस्सा होंगे। हालांकि दोनों देशों की सेनाओं ने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में एक साथ काम किया है। शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गेनाइजेशन की स्थापना 2001 में शंघाई में रूस, चीन, कज़ाखिस्तान, किर्गिस्तान, तज़ाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों द्वारा हुई थी।